सोमवार, 20 दिसंबर 2021

 कुछ हाथ से मेरे निकल गया,

वो पलक झपक के छिप गया,

फिर लाश बिछ गयी लाखों की,

सब पलक झपक के बदल गया।

जब रिश्ते राख में बदल गए,

इंसानियत का दिल दहल गया,

मैं पूछ पूछ के हार गया,

क्यूँ मेरा भारत बदल गया?

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