मंगलवार, 28 दिसंबर 2021

पेड़ो के बारे में रोचक तथ्य/ Interesting/Amazing Facts about Tree/ Tree's Facts World/

                                    


                                                   "पेड़ो के बारे में रोचक तथ्य "


        क्या आपने अभी तक कोई पेड़ लगाया ? यदि हाँ, तो बहुत अच्छे. यदि नही, तो कम से कम जीवन में एक पेड़ तो लगाओ. आज हम आपको पेड़ पौधे के बारे में बहुत ही अच्छी जानकारी और देगे और ग़ज़ब रोचक तथ्यों के माध्यम से बताएगें की वृक्ष हमारे लिए कितने जरूरी है.. 



1. पेड़ धरती पर सबसे पुरानें living organism हैं, और ये कभी भी ज्यादा उम्र की वजह से नही मरते.


2. धरती पर मानवों के जन्म से लेकर अब तक हम 3 लाख करोड़ पेड़ काट चुके हैं. हर 2 second में एक फुटबाॅल के मैदान जितने जंगल काटे जा रहे हैं.


3. हर साल 5 अऱब पेड़ लगाए जा रहे है लेकिन हर साल 10 अऱब पेड़ काटे भी जा रहे हैं.


4. एक पेड़ 1 साल में 21.7 kg काॅर्बनडाइ-ऑक्साइड  अपने अंदर सोखता है और दिन में इतनी ऑक्सीजन देता है कि 4 आदमी जिंदा रह सकें.


5. दुनियाभ़र में लगभग 30 खऱब 40 अऱब पेड़ है. यानि मिल्की वे सितारों और मानव दिमाग में मौजूद कोशिकाओं से भी ज़्यादा.


6. देशों की बात करें, तो दुनिया में सबसे ज्यादा पेड़ रूस  में है 641 अऱब. उसके बाद कनाडा में 318 अऱब, ब्राज़ील में 301 अऱब, अमेरिका में 228 अऱब और भारत में केवल 35 अऱब पेड़ बचे हैं.


7. दुनिया की बात करें, तो 1 इंसान के लिए 422 पेड़ बचे है. लेकिन अगर भारत की बात करें, तो 1 हिंदुस्तानी के लिए सिर्फ 28 पेड़ बचे हैं.


8. पेड़ो की कतार धूल-मिट्टी के स्तर को 75% तक कम कर देती है. और 50% तक शोर को कम करती हैं.


9. एक पेड़ इतनी ठंड पैदा करता है जितनी 1 A.C 10 कमरों में 20 घंटो तक चलने पर करता है. जो इलाका पेड़ो से घिरा होता है वह दूसरे इलाकों की तुलना में 9 डिग्री ठंडा रहता हैं.


10. पेड़ अपनी 10% खुराक मिट्टी से और 90% खुराक हवा से लेते है. एक पेड़ में एक साल में 2,000 लीटर पानी  धरती से चूस लेता हैं.


11. एक एकड़ में लगे हुए पेड़ 1 साल में इतनी Co2 सोख लेते है जितनी एक कार 41,000 km चलने पर छोड़ती हैं.


12. दुनिया की 20% oxygen अमेजन के जंगलो द्वारा पैदा की जाती हैं. ये जंगल 8 करोड़ 15 लाख एकड़ में फैले हुए हैं.


13. इंसानो की तरह पेड़ो को भी कैंसर होती है. कैंसर होने के बाद पेड़ कम ऑक्सीजन देने लगते हैं.


14. युकेलिप्टस (जिसे हम सफेदे का पेड़ भी कहते है) की पत्तियों में भी सोने के कण मौजूद होते है. सफेदे का पेड़ खेत को बंजर बनाता है यह किसी भी ओर पेड़ की तुलना में सबसे ज्यादा पानी चूसता है. अंग्रेजों ने दलदल मिटाने के लिए सफेदे के पेड़ लगाने आरंभ किये थे.


15. पेड़ की जड़े बहुत नीचे तक जा सकती है. दक्षिण अफ्रिका में एक अंजीर के पेड़ की जड़े 400 फीट नीचे तक पाई गई थी.


16. दुनिया का सबसे पुराना पेड़ स्वीडन के डलारना प्रांत  में है. टीजिक्को नाम का यह पेड़ 9,550 साल पुराना है. इसकी लंबाई करीब 13 फीट हैं.


कौन-सा पेड़ या पौधा सबसे ज्यादा ऑक्सीजन पैदा करता है ?


किसी एक पेड़ का नाम लेना मुश्किल हैg लेकिन तुलसी, पीपल, नीम और बरगद दूसरों के मुकाबले ज्यादा ऑक्सीजन पैदा करते हैं.


पेड़ ऊपर की तरफ ही क्यों बढ़ते है नीचें या साइड में क्यों नही ?


ऐसा सूर्य की किरणों की वजह से होता है. जब हम धरती  में किसी बीज को दबा देते है तो भी वह ऊपर की तरफ ही निकलता है जबकि वहाँ तक तो सूर्य की किरणें भी नही जाती ? दोस्तों, सूर्य की रोशनी में प्रकाश से अलग भी किरणें होती है जो धरती में 1-2 मीटर तक जाती है जैसे:- अवरक्त किरणें, पैराबैंगनी किरणें. बीज इन्हीं किरणों से सूर्य की दिशा पता कर लेते हैं.


यदि धरती के सारे पेड़ काट दिए जाए तो क्या वायुमंडल रहेगा ?


वायुमंडल के लिए पेड़ आवश्यक नही है. इसके लिए जरूरी है गुरूत्वाकर्षण बल. मंगल ग्रह पर पेड़ नही है लेकिन वायुमंडल है, लेकिन उसका वायुमंडल कम घना है क्योकिं पृथ्वी की तुलना में उसका गुरूत्वाकर्षण बल भी कम है. दूसरी तरफ चंद्रमा पर गुरूत्वाकर्षण बल इतना कमजोर है कि यहाँ पर वायुमंडल ही नही है. अब बताते है कि पेड़ ना होने पर क्या होगा, सभी प्राणी Co2 उत्पन्न करेगें और पेड़ Co2 को सोखते है तो सारे पेड़ कटने के बाद पृथ्वी पर कार्बनडाई-आक्साइड की मात्रा बहुत ज्यादा बढ़ जाएगी.

सोमवार, 27 दिसंबर 2021

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मानवीय शरीर के बारे में कुछ रोचक तथ्य/ Interesting/Amazing Facts about Human Body/मानव शरीर

                                    




                                        ☀️"मानवीय शरीर के बारे में कुछ रोचक तथ्य"...✍️


मानव शरीर की संरचना जितनी अद्भुत है उतनी ही जटिल भी है। मानव शरीर कई सारे कोशिकाएँ, ऊतक और अलग-अलग अंगों से बनता है। आइये जानते है मानवीय शरीर के बारे में कुछ रोचक तथ्य..


मानव शरीर की सबसे बड़ी हड्डी फीमर (जांध की हड्डी) है, और यह स्टील से भी मजबूत होती है 


मनुष्य का दिमाग दिन के मुकाबले रात को ज़्यादा सक्रिय होता है।


औरतों का दिल पुरुषों के दिल से ज़्यादा जल्दी धड़कता हैं।.


एक वयस्क मानव में, उसकी हड्डियों का 25% हिस्सा पैरों में होता है।

बच्चे हमेशा नीली आँखों के साथ पैदा होते हैं। उनकी आँखों में मेलेनिन को जमने में समय लगता है।


शरीर का एकमात्र हिस्सा जिसमे कोई रक्त की आपूर्ति नहीं है, वह आंख का कॉर्निया है। यह हवा से सीधे ऑक्सीजन ग्रहण करता है।


दुनिया में जितने लोग हैं, उससे कहीं अधिक मानव मुंह में बैक्टीरिया मौजूद हैं

मनुष्य की बहुत ज़्यादा खाने के बाद सुनने की क्षमता कम हो जाती है।


हमारी Middle Finger (बड़ी उंगली) का नाखून बाकी सभी नाखुनों से ज़्यादा तेजी से बढ़ता है।


क्या आप जानते हैं हमारी खोपड़ी 29 अलग-अलग हड्डीयों से बनी हैं


हमारे शरीर की अस्सी प्रतिशत गरमाहट, हमारे सिर से निकलती है।


जन्म के बाद आँखों का आकर नहीं बढ़ता लेकिन नाक और कान का विकास नहीं रुकता।


मानव मस्तिष्क में एक मेमोरी क्षमता होती है जो हार्ड ड्राइव पर चार से अधिक टेराबाइट्स के बराबर होती है।


मानव शरीर में 900 पेंसिल बनाने के लिए पर्याप्त कार्बन, एक खिलौना तोप को चलाने के लिए पर्याप्त पोटेशियम, साबून के 7 बार बनाने के लिए पर्याप्त वसा और 50 लीटर बैरल भरने के लिए पर्याप्त पानी होता हैं।


एक औसत जीवन काल में मानव का दिल तीन बिलियन से अधिक बार धड़कता है।

हमारे शरीर में 100 प्रकार से ज़्यादा वायरस पाए जाते हैं, जिसके कारण हमें सर्दी होने की सम्भावना होती है।

हमारी लम्बाई शाम की तुलना में सुबह 1 सेमी. ज़्यादा लम्बी होती है।


मानव मस्तिष्क में इतनी तंत्रिका कोशिकाएं होती हैं कि उन्हें गिनने में लगभग 3,000 साल लग जाते हैं।

मानव भ्रूण गर्भावस्था के तीन महीने के भीतर उंगलियों के निशान बनाना शुरू करता है।


यदि मनुष्य अपने पुरे जीवनकाल में अपने बाल नहीं कटवाएँगे तो बालों की लंबाई 725 किलोमीटर हो सकती हैं।


हमारे शरीर की सबसे मज़बूत मांसपेसी हमारी जीभ में पाई जाती है।


जब एक शिशु का जन्म होता है तो उसके शरीर में 300 हड्डियाँ होती हैं लेकिन जब वो बड़ा हो जाता है, तो उसके शरीर में सिर्फ 206 हड्डियाँ होती हैं।


मनुष्य का बायाँ फेफड़ा उसके दाएं फेफड़े से लगभग 10 प्रतिशत छोटा होता है।

मनुष्य के शरीर की आधी हड्डियाँ हाथ और पैर की हड्डियों में होती है।


मनुष्य की बाहरी त्वचा हर 27 दिन में नई हो जाती है।


एक पुरुष के शरीर में लगभग 8 लीटर रक्त होता है जबकि महिलाओं में लगभग 5 लीटर रक्त होता है।


हमारा दिल इतनी रफ्तार से खून पंप करता है, कि खून किसी इमारत के चौथे माले पर पहुँच सकता है।


इंसान के दांत शार्क के दांतों की तरह ही मजबूत होते हैं।


मानव शरीर की सबसे बड़ी ग्रंथि यकृत है।

मनुष्य ही केवल एक ऐसी प्रजाति है जिसके भावनमयी आंसु निकलते हैं।


शरीर में सबसे बड़ी कोशिका मादा अंडा है और सबसे छोटा नर शुक्राणु है।

रक्त पानी की तुलना में 6 गुणा मोटा होता हैं।


भौहों के बीच की जगह को “ग्लैबेला” कहा जाता है जो लैटिन शब्द ग्लैबेलस से निकला है जिसका अर्थ चिकनी।


एक वयस्क मानव की छोटी आंत लगभग 18 से 23 फीट लंबी होती है, जो कि एक वयस्क व्यक्ति की लम्बाई से लगभग चार गुना अधिक होती है।

महात्मा जोतिराव गोविंदराव फुले/ज्योतिबा फुले जीवनी/Jyotiba Phule


                                                               


                                                                ज्योतिबा फुले जीवनी -✍️


 

नाम : महात्मा जोतिराव गोविंदराव फुले

जन्म : ११ अप्रैल १८२७ पुणे

पिता : गोविंदराव फुले

माता : विमला बाई

विवाह : सावित्रीबाई फुले



महात्मा ज्योतिबा फुले (ज्योतिराव गोविंदराव फुले) को 19वी. सदी का प्रमुख समाज सेवक माना जाता है. उन्होंने भारतीय समाज में फैली अनेक कुरूतियों को दूर करने के लिए सतत संघर्ष किया. अछुतोद्वार, नारी-शिक्षा, विधवा – विवाह और किसानो के हित के लिए ज्योतिबा ने उल्लेखनीय कार्य किया है.


आरंभिक जीवन :



उनका जन्म 11 अप्रैल  1827  को सतारा महाराष्ट्र , में हुआ था. उनका परिवार बेहद गरीब था और जीवन-यापन के लिए बाग़-बगीचों में माली का काम करता था. ज्योतिबा जब मात्र  एक वर्ष के थे तभी उनकी माता का निधन हो गया था. ज्योतिबा का लालन – पालन सगुनाबाई नामक एक दाई ने किया. सगुनाबाई ने ही उन्हें माँ की ममता और दुलार दिया. 7 वर्ष की आयु में ज्योतिबा को गांव के स्कूल में पढ़ने भेजा गया.


जातिगत भेद-भाव के कारण उन्हें विद्यालय छोड़ना पड़ा. स्कूल छोड़ने के बाद भी उनमे पढ़ने की ललक बनी रही. सगुनाबाई ने बालक ज्योतिबा को घर में ही पढ़ने में मदद की. घरेलु कार्यो के बाद जो समय बचता उसमे वह किताबें पढ़ते थे. ज्योतिबा  पास-पड़ोस के बुजुर्गो से विभिन्न विषयों में चर्चा करते थे. लोग उनकी सूक्ष्म और तर्क संगत बातों से बहुत प्रभावित होते थे.



उन्‍होंने विधवाओं और महिलाओं के कल्याण के लिए काफी काम किया। उन्होंने इसके साथ ही किसानों की हालत सुधारने और उनके कल्याण के लिए भी काफी प्रयास किये। स्त्रियों की दशा सुधारने और उनकी शिक्षा के लिए ज्योतिबा ने 1848 में एक स्कूल खोला। यह इस काम के लिए देश में पहला विद्यालय था।



लड़कियों को पढ़ाने के लिए अध्यापिका नहीं मिली तो उन्होंने कुछ दिन स्वयं यह काम करके अपनी पत्नी सावित्री को इस योग्य बना दिया। उच्च वर्ग के लोगों ने आरंभ से ही उनके काम में बाधा डालने की चेष्टा की, किंतु जब फुले आगे बढ़ते ही गए तो उनके पिता पर दबाब डालकर पति-पत्नी को घर से निकालवा दिया इससे कुछ समय के लिए उनका काम रुका अवश्य, पर शीघ्र ही उन्होंने एक के बाद एक बालिकाओं के तीन स्कूल खोल दिए।


पेशवाई के अस्त के बाद अंग्रेजी हुकूमत की वजह से हुये बदलाव के इ.स. 1840 के बाद दृश्य स्वरूप आया. हिंदू समाज के सामाजिक रूढी, परंपरा के खिलाफ बहोत से सुधारक आवाज उठाने लगे. इन सुधारको ने स्त्री शिक्षण, विधवा विवाह, पुनर्विवाह, संमतीवय, बालविवाह आदी. सामाजिक विषयो पर लोगों को जगाने की कोशिश की. लेकीन उन्नीसवी सदिके ये सुधारक ‘हिंदू परंपरा’ के वर्ग में अपनी भूमिका रखते थे. और समाजसुधारणा की कोशिश करते थे.

        

महात्मा जोतिराव फुले इन्होंने भारत के इस सामाजिक आंदोलन से महराष्ट्र में नई दिशा दी. उन्होंने वर्णसंस्था और जातीसंस्था ये शोषण की व्यवस्था है और जब तक इनका पूरी तरह से ख़त्म नहीं होता तब तक एक समाज की निर्मिती असंभव है ऐसी स्पष्ट भूमिका रखी. ऐसी भूमिका लेनेवाले वो पहले भारतीय थे. जातीव्यवस्था निर्मूलन के कल्पना और आंदोलन के उसी वजह से वो जनक साबीत हुये.


महात्मा फुले इन्होंने अछूत स्त्रीयों और मेहनत करने वाले लोग इनके बाजु में जितनी कोशिश की जा सकती थी उतनी कोशिश जिंदगीभर फुले ने की है. उन्होंने सामाजिक परिवर्तन, ब्रम्ह्नोत्तर आंदोलन, बहुजन समाज को आत्मसन्मान देणे की, किसानो के अधिकार की ऐसी बहोतसी लढाई यों को प्रारंभ किया. सत्यशोधक समाज ये भारतीय सामाजिक क्रांती के लिये कोशिश करनेवाली अग्रणी संस्था बनी.


महात्मा फुले ने लोकमान्य टिळक , आगरकर, न्या. रानडे, दयानंद सरस्वती इनके साथ देश की राजनीती और समाजकारण आगे ले जाने की कोशिश की. जब उन्हें लगा की इन लोगों की भूमिका अछूत को न्याय देने वाली नहीं है. तब उन्होंने उनपर टिका भी की. यही नियम ब्रिटिश सरकार और राष्ट्रीय सभा और कॉग्रेस के लिये भी लगाया हुवा दिखता है.


महात्मा फुले ने अपनी पत्नी सावित्रीबाई फुले को पढ़ने के बाद १८४८  में उन्होंने पुणे में लडकियों के लिए भारत की पहली प्रशाला खोली | २४ सितंबर १८७३ को उन्होंने सत्य शोधक समाज की स्थापना की | वह इस संस्था के पहले कार्यकारी व्यवस्थापक तथा कोषपाल भी थे |इस संस्था का मुख्य  उद्देश्य समाज में शुद्रो पर हो रहे शोषण तथा दुर्व्यवहार पर अंकुश लगाना था |

महात्मा फुले अंग्रेजी राज के बारे में एक सकारात्मक दृष्टिकोण रखते थे क्युकी अंग्रेजी राज की वजह से भारत में न्याय और सामाजिक समानता के नए बिज बोए जा रहे थे | महात्मा फुले ने अपने जीवन में हमेशा बड़ी ही प्रबलता तथा तीव्रता से विधवा विवाह की वकालत की | उन्होंने उच्च जाती की विधवाओ के लिए १८५४ में एक घर भी बनवाया था |  दुसरो के सामने आदर्श रखने के लिए उन्होंने अपने खुद के घर के दरवाजे सभी जाती तथा वर्गों के लोगो के लिए हमेशा खुले रखे.


ज्योतिबा मैट्रिक पास थे और उनके घर वाले चाहते थे कि वो अच्छे वेतन पर सरकारी कर्मचारी बन जाए लेकिन ज्योतिबा ने अपना सारा जीवन दलितों की सेवा में बिताने का निश्चय किया था | उन दिनों में स्त्रियों की स्तिथि बहुत खराब थी क्योंक घर के कामो तक ही उनका दायरा था | बचपन में शादी हो जाने के कारण स्त्रियों के पढने लिखने का तो सवाल ही पैदा नही होता था | दुर्भाग्य से अगर कोई बचपन में ही विधवा हो जाती थी तो उसके साथ बड़ा अन्याय होता था | तब उन्होंने सोचा कि यदि भावी पीढ़ी का निर्माण करने वाली माताए ही अंधकार में डूबी रहेगी तो देश का क्या होगा और उन्होंने माताओं के पढने पर जोर दिया था |



उन्होंने विधवाओ और महिला कल्याण के लिए काफी काम किया था | उन्होंने किसानो की हालत सुधारने और उनके कल्याण के भी काफी प्रयास किये थे | स्त्रियों की दशा सुधारने और उनकी शिक्षा क्व लिये ज्योतिबा और उनकी पत्नी ने मिलकर 1848 में स्कूल खोला जो देश का पहला महिला विद्यालय था | उस दौर में लडकियों को पढ़ाने के लिए अध्यापिका नही मिली तो उन्होंने अपनी पत्नी सावित्रीबाई को पढाना शुरू कर दिया और उनको इतना योग्य बना दिया कि वो स्कूल में बच्चो को पढ़ा सके |



ज्योतिबा यह जानते थे कि देश व समाज की वास्तविक उन्नति तब तक नहीं हो सकती, जब तक देश का बच्चा-बच्चा जाति-पांति के बन्धनों से मुक्त नहीं हो पाता, साथ ही देश की नारियां समाज के प्रत्येक क्षेत्र में समान अधिकार नहीं पा लेतीं । उन्होंने तत्कालीन समय में भारतीय नवयुवकों का आवाहन किया कि वे देश, समाज, संस्कृति को सामाजिक बुराइयों तथा अशिक्षा से मुक्त करें और एक स्वस्थ, सुन्दर सुदृढ़ समाज का निर्माण करें । मनुष्य के लिए समाज सेवा से बढ़कर कोई धर्म नहीं है । इससे अच्छी ईश्वर सेवा कोई नहीं । महाराष्ट्र में सामाजिक सुधार के पिता समझे जाने वाले महात्मा फूले ने आजीवन सामाजिक सुधार हेतु कार्य किया । वे पढ़ने-लिखने को कुलीन लोगों की बपौती नहीं मानते थे । मानव-मानव के बीच का भेद उन्हें असहनीय लगता था । 


दलितों और निर्बल वर्ग को न्याय दिलाने के लिए ज्योतिबा ने 'सत्यशोधक समाज' स्थापित किया। उनकी समाजसेवा देखकर 1888 ई. में मुंबई की एक विशाल सभा में उन्हें 'महात्मा' की उपाधि दी। ज्योतिबा ने ब्राह्मण-पुरोहित के बिना ही विवाह-संस्कार आरंभ कराया और इसे मुंबई हाईकोर्ट से भी मान्यता मिली। वे बाल-विवाह विरोधी और विधवा-विवाह के समर्थक थे। वे लोकमान्य के प्रशंसकों में थे।


🔺 कार्य और सामाजिक सुधार :


• इनका सबसे पहला और महत्वपूर्ण कार्य महिलाओं की शिक्षा के लिये था; और इनकी पहली अनुयायी खुद इनकी पत्नी थी जो हमेशा अपने सपनों को बाँटती थी तथा पूरे जीवन भर उनका साथ दिया।


• अपनी कल्पनाओं और आकांक्षाओं के एक न्याय संगत और एक समान समाज बनाने के लिये 1848 में ज्योतिबा ने लड़कियों के लिये एक स्कूल खोला; ये देश का पहला लड़कियों के लिये विद्यालय था। उनकी पत्नी सावित्रीबाई वहाँ अध्यापान का कार्य करती थी। लेकिन लड़कियों को शिक्षित करने के प्रयास में, एक उच्च असोचनीय घटना हुई उस समय, ज्योतिबा को अपना घर छोड़ने के लिये मजबूर किया गया। हालाँकि इस तरह के दबाव और धमकियों के बावजूद भी वो अपने लक्ष्य से नहीं भटके और सामाजिक बुराईयों के खिलाफ लड़ते रहे और इसके खिलाफ लोगों में चेतना फैलाते रहे।


• 1851 में इन्होंने बड़ा और बेहतर स्कूल शुरु किया जो बहुत प्रसिद्ध हुआ। वहाँ जाति, धर्म तथा पंथ के आधार पर कोई भेदभाव नहीं था और उसके दरवाजे सभी के लिये खुले थे।


• ज्योतिबा फुले बाल विवाह के खिलाफ थे साथ ही विधवा विवाह के समर्थक भी थे; वे ऐसी महिलाओं से बहुत सहानुभूति रखते थे जो शोषण का शिकार हुई हो या किसी कारणवश परेशान हो इसलिये उन्होंने ऐसी महिलाओं के लिये अपने घर के दरवाजे खुले रखे थे जहाँ उनकी देखभाल हो सके।


🔺मत्यु :


 योतिबा फुले और सावित्री बाई फुले के कोई संतान नहीं थी इसलिए उन्होंने एक विधवा के बच्चे को गोद लिया था | यह बच्चा बड़ा होकर एक Doctor बना और इसने भी अपने माता पिता के समाज सेवा के कार्यों को आगे बढ़ाया | मानवता की भलाई के लिए किये गए ज्योतिबा के इन निश्वार्थ कार्यों के कारण May 1988 में उस समय के एक और महान समाज सुधारक “राव बहादुर विट्ठलराव कृष्णाजी वान्देकर” ने उन्हें “महात्मा” की उपाधी प्रदान की | July 1988 में उन्हें  लकवे का Attack आ गया | जिसकी वजह से उनका शरीर कमजोर होता जा रहा था लेकिन उनका जोश और मन कभी कमजोर नही हुआ था |


27 नवम्बर 1890 को उन्होंने अपने सभी हितैषियो को बुलाया और कहा कि “अब मेरे जाने का समय आ गया है, मैंने जीवन में जिन जिन कार्यो को हाथ में लिया है उसे पूरा किया है, मेरी पत्नी सावित्री ने हरदम परछाई की तरह मेरा साथ दिया है और मेरा पुत्र यशवंत अभी छोटा है और मै इन दोनों को आपके हवाले करता हूँ |” इतना कहते ही उनकी आँखों से आसू आ गये और उनकी पत्नी ने उन्हें सम्भाला | 28 नवम्बर 1890 को ज्योतिबा फुले ने देह त्याग दिया और एक महान समाजसेवी इस दुनिया से विदा हो गया |

बिल गेट्स के बारे में रोचक तथ्य / Interesting/Amazing Facts about Bill Gates/About Bill Gates

                                                  




                                               ●☞"बिल गेट्स के बारे में रोचक तथ्य । 



दुनिया के सबसे धनी व्‍यक्ति बिल गेट्स को कौन नहीं जानता, वे Microsoft Company के संस्‍थापक हैं और इतना बड़ा आदमी बनने के बाद भी मात्र 10 डाॅलर की घड़ी पहनते है. ये शख्स पैसो का ही नही दिल का भी अमीर है, 


1. बिल गेट्स का पूरा नाम है विलियम हेनरी गेट्स तृतीय.


2. बिल गेट्स की कहानी फकीर से अमीर वाली नही है। बल्कि, वे पहले से ही अमीर है। उनके पिता विलियम एच. गेट्स नामी वकील थे। गेट्स के परदादा बैंक के मालिक थे। उनके बाद बैंक का कामकाज गेट्स की दादी ने संभाला। दादी ने अरबों की संपति अपने पोते के नाम कर दी थी।


3. Bill gates ने Programing Computer बनाने 13 साल की उम्र में शुरू कर दिए थे।


4. क्या आप को पता है कि बिल गेट्स को Computer Software Programing से इतना प्यार था कि वह पढ़ाई छोड़ कर इस में ही लगे रहते थे जिसकी वजह से वह 11वीं में फेल हो गए थे.


5. कहा जाता है कि बिल गेट्स अपनी हाई स्कूल क्लास में लड़कों से ज्यादा लड़कियां चाहते थे. इसके लिए उन्होंने स्कूल का कंप्यूटर सिस्टम हैक कर लिया था.


6. Bill Gates ने पहला कंप्यूटर प्रोग्राम एक गेम बनाने में इस्तेमाल किया था. इसे “Tic-Tac-Toe” गेम कहते थे. इसमें दो प्लेयर होते थे. एक तो कंप्यूटर और दूसरा एक इंसान.


7. उन्होंने अपना पहला प्रोग्राम केवल 17 वर्ष की आयु में बेचा था जो कि उनके स्कूल के लिए टाइम टेबल का एक सिस्टम था।


8. गेट्स ने भी कॉलेज की पढ़ाई बीच में ही छोड़ दी थी। उन्होंने 1975 में हार्वर्ड युनिवर्सिटी को छोड़ दिया और अपने आप को पूरी तरह से माइक्रोसॉफ्ट के प्रति समर्पित कर दिया। हालांकि 2007 में उसी हार्वर्ड यूनिवर्सिटी ने उन्हें मानद डिग्री देकर सम्मानित किया.


9. बिल गेट्स ने अपनी 30 साल की उम्र में यह इच्छा व्यक्त की थी की वह करोडपति बनना चाहते है लेकिन यह बात अलग है की सिर्फ 1 साल के बाद ही वह अरबपति बन चुके थे।


10. बिल गेट्स की पहले एक कंम्पनी थी “Traff-O-Data” जो ऐसे यंत्र बनाती थी जो कि सड़क पर स्थति किसी बिन्दु से गुजरने वाली कारों की गिणती रिकार्ड करते थे।


11. 1997 तक वह तक वह आम आदमी की तरह ही उड़ान भरते थे। अब उनके पास अपनी एक प्लेन है जिसको वह अपना ‘बड़ा फिजूलखर्च’ बताते हैं।


12. अपने महंगे प्लेन के अलावा Bill gates के पास कैंची का अविष्कार करने वाले “लियोनार्डो दा विंसी” के लिखे हुए कोड भी है जो इन्होने साल 1994 में 30.8 मिलियन डॉलर में ख़रीदे थे।


13. बिल गेट्स English के अलावा कोई और भाषा नहीं जानते। उनके जीवन में सबसे बड़ा अफसोस यही है।



14. बिल गेट्स को 17 की उम्र में लाल बत्ती तोड़ने के जुर्म में जेल की हवा खानी पड़ी थी।


15. कार के शौकिन गेट्स ने माइक्रोसाॅफ्ट की पार्किंग में एक कर्मचारी की कार को ठोकर मार दी। वे कर्मचारी को अपना बिजनेस कार्ड पकड़ाकर चलते बने और कह गए कि डैमेज ठीक कराने के पैसे आकर ले जाएं। इससे “Send the bill to bill” की कहावत फेमस हो गई।


16. बिल गेट्स हर सेकेंड में करीब 12,054 रूपए कमाते हैं यानि कि एक दिन में लगभग 102 करोड़ रूपए कमाते हैं।


17. अगर बिल गेट्स का अपना कोई देश होता तो पुरी दुनिया में वह देश 37वां सबसे अमीर देश होता।


18. बिल गेट्स अगर पूरी दुनिया में हर व्यक्ति को लगभग बराबर-बराबर रूपए बाटें तो हर एक के हिस्से में करीब 4,983 रूपए आएगें।


19. हमारे भारत के सबसे महंगे खिलाड़ी “Mahendra Singh Dhoni” हैं. अगर वह अपना पैसा बिलकुल खर्च न करें तो उन्हें बिल गेट्स के बराबर पैसा इकट्टठा करने में 35,000 साल लग जाएगें।


20. बिल गेट्स पूरे अमेरिका का कर्जा सिर्फ दस साल में उतार सकते हैं।


21. यदि बिल गेट्स 6.5 करोड़ रुपए रोज खर्च करे तो भी अपनी पूरी संपत्ति को खर्च करने में इन्हें 218 साल लगेंगे।


22. अगर मौजूदा संपत्ति के हिसाब से आकलन करें तो Bill gates जब तक जीवित रहेंगे प्रति सेकंड 7 हजार रुपये कमाते रहेंगे. ऐसे में मजाक में कहा जाता है कि अगर बिल गेट्स अपना 100 डॉलर का जमीन पर गिर गया नोट उठाते हैं, तो वह उठाने में उन्हें जितना समय लगेगा, उतने में वह उससे ज्यादा रकम कमा लेते हैं.


23. गेट्स अपनी लाइफ में 100 मिलियन डाॅलर (63170 Crore) दान करना चाहते है।


24. बिल गेट्स के दो बेटियां और एक बेटा है। हर बच्चे को माता पिता से केवल 10 मिलियन डॉलर मिलेंगे जबकि उनकी संपत्ति 72 बिलियन डॉलर से भी ज्यादा है।

शनिवार, 25 दिसंबर 2021

Psychology facts in hindi/मनोविज्ञान से जुड़े रोचक तथ्य/मनोवैज्ञानिक Facts In Hindi/साइकोलॉजी बातें/ह्यूमन साइकोलॉजी इन हिंदी | Human Psychology Tips In Hindi


1. एक नकारात्मक विचार को खत्म करने के लिए कम से कम सात सकारात्मक विचारों की जरूरत पड़ती है !

 2. साइकोलॉजी कहता है कि महिला के साथ बातचीत करने से पुरुष की मानसिक स्थिति में सुधार होता है !!

 3.ह्यूमन साइकोलॉजी के अनुसार इंसान
का दिमाग आधे से ज्यादा समय सिर्फ पुरानी यादों को दोहराता रहता है !

4. ह्यूमन साइकोलॉजी के अनुसार हर के व्यक्ति चाहता है कि सामने वाला व्यक्ति समझे कभी आप भी सामने वाले को
समझने की कोशिश कीजिए !

5. साइकोलॉजी कहता है कि जैसे लोगों के हाथ में पावर (शक्ति) आती है वैसे ही व अन्य लोगों को नजरअंदाज करने लगते हैं. ताकत किसी भी इंसान को अन्य लोगों की परवाह ना करना सिखा देती है !!

6. साइकोलॉजी के अनुसार हमारे दिमाग के लिए सुख को भूलना ज्यादा आसान होता है और दुख को भूलना ज्यादा मुश्किल होता है !

7.कोई शौक या जुनून आपको अधिक आकर्षक व्यक्ति बनाता है , इसलिए हममें की भी चीज को करने का जुनून या शोक जरूर होना चाहिए !!

8. सबसे अच्छा एहसास तब होता है जब आपको पता चलता है कि आप उन लोगों के बिना भी पूरी तरह से खुश हैं जिनकी आपको सबसे ज्यादा जरूरत हुआ करती थी !!

9. आप चाहते हैं कि लोग आपको गंभीरता से लें तो सबसे पहले आपको उन्हे गंभीरता से लेना होगा , इसलिए बोले कम और सुने ज्यादा !!

10. लड़के अपने लिए सुंदर लड़कियो को चाहते है जबकि इसके विपरित लड़कियां उन लड़कों को चाहती हैं जो दिल और स्वभाव के अच्छे हो...

11. अगर आपको कोई घूर रहा है तो आपको इसका एहसास हो जाता हैं, चाहे आप नींद में ही क्यों न हो...

12.Middle class family में एक छोटी सी खुशी के पीछे कोई न कोई sacrifice छुपा होता हैं...

13. इंसान का दिमाग केवल 150 रिश्तों को निभानेके लिए ही सक्षम होता हैं....

14.मनोवैज्ञानिकों के अनुसार दोस्त बनाने का सबसे आसान तरीका है कि 20%  बोलो और 80% सुने !!

15. मनोविज्ञान के अनुसार कड़वा सत्य यह भी है कि लड़कों को कितना भी प्यार करने वाली लड़की क्यूँ ना मिल जाए, खुबसुरत लडकियों को देखकर उनकी नज़र फिसल ही जाती है.

16.एक अध्ययन के अनुसार 70% महिलाएं अपना दर्द ज़ाहिर करने के लिए शांत स्वभाव (silence expression) अपनाती है जिसे समझना औसतन व्यक्तियों के लिए के लिए आसान नहीं होता !!

17. अगर आप कुछ नया करने जा रहे हैं और आपको मन में लग रहा है कि आप नहीं कर पाएंगे उसी वक्त आप शीशे के सामने खड़े होकर खुद से पूछे कि मे क्यों नहीं कर पाऊंगा/ पाऊँगी...
5.आपको जवाब मिल जाएगा। और शीशे के सामने खड़े होकर खुद से सवाल पूछने पर आपके आत्मविश्वास विश्व में भी सुधार होगा।

18. साइकोलॉजी कहता है - दूसरों को अपनी कमियों या कमजोरियों को देखने देना कोई बुरी बात नहीं है, क्योंकि इस तरह से दूसरों को लगेगा कि आप एक वास्तविक , इस प्रकार घनिष्टता की भावना पैदा होती है।

19. जब दो इंसान बातचीत के दौरान किसी तीसरे के विषय में नफरतभरी बात कर रहे होते हैं तो यह उन दोनो इंसानों को काफी करीब लाता है !!

20.अगर आप किसी इंसान को पसंद करते हैं, तो उसके साथ काम करते हुए चीज़ों को जल्दी सीखते हैं !!

21.अगर कोई व्यक्ति किसी शख्स के सामने खुद को ठीक करने लगता है, ती वो उसे पसंद करता है !!

22. uncomfortable महसूस होने पर पुरुष अपना चेहरा छूने लगते हैं,वहीं महिलाएं गला, कपड़े, ज्वैलरी, बाल और हाथ टच करती हैं !!

23. आपको देखते ही उसके आचरण और व्यवहार में बदलाव आने लगे ,  जैसे- बेवजह हाथ हिलाना, जोर से बात करना, तो समझ लेना उसके मन आपके लिए के कुछ तो feeling जरूर है!!

24. “मुझे नहीं पता”, क्योंकि ऐसा कोई टॉपिक नहीं जिसपर लड़कियों के पास कुछ कहने को ना हो , अगर वो ये कहती है तो इसका मतलब है या तो वो बताना नहीं चाहती या फिर वो गुस्सा है !!

25. अगर कोई लड़की आपको दूर से देखे, लेकिन पास पहुंचते ही किसी  और जगह देखने का बहाना करे , तो समझो वह आपको पसंद करती है !!

26. आपके चेहरे के अलावा जूते एकमात्र ऐसी चीज है जहां इंसान की नजर सबसे पहले जाती है, इसलिए जूता मात्र एक पहिनने की चीज नहीं है वो सामने वाले से बिना बात किए भी बहुत कुछ बता सकता है !!

27. ह्यूमन साइकोलॉजी के अनुसार आप किसी भी अनजान व्यक्ति से लगभग 3 से 4 मिनट तक लगातार आई कांटेक्ट बनाये रखते है तो चार मिनट बाद आप एक दूसरे के अंदर एक इमोशनल फिलिंग महसूस करेंगे !!

28. और यदि आप अपने पार्टनर के साथ लगातार चार मिनट तक आई कांटेक्ट बनाये रखते है तो आई दोनों का दिल सेम तरीके से धड़कने लगेगा, हालांकि ऐसा क्यों होता है विज्ञान भी इसका पता नही लगा सकी है!

29. ह्यूमन साइकोलॉजी के अनुसार प्यार का एक तथ्य ये भी है कि यदि आप किसी ये प्यार करने लग जाते है तो उसके भेजे मैसज को बार बार पढ़ते है ।

30. क्या आप जानते हैं, एक बीमारी है हाइपोपिटिटैरिज़्म इससे पीड़ित लोगो को रोमांटिक प्यार महसूस ही नहीं होता है, क्या आपको भी प्यार महसूस नही होता !!

31. एक शोध में पाया गया है कि अगर कोई व्यक्ति किसी खतरनाक स्थिति (जैसे-काँपते हुए किसी पुल पर) में किसी लड़की से मिलता है तो उसके साथ प्यार में पड़ने की संभावना बहोत अधिक हो जाती है।

32. आप किसी से सच्चा प्यार करते है तब ये ycologyfec आपके जीवन की सबसे बेहरीन इमोशन होती है, क्योकि इससे ज्यादा खुशी दुनिया के और किसी चीज में नहीं मिलती चाहे आप कुछ भी कर लो, कुछ भी बन जाओ प्यार करना दुनिया की सबसे महंगा और सबसे बेहतरीन एहसास है।

33. जब भी आपको सच्चा प्यार होता है तब आप अपने आप को सबसे ज्यादा खुश महसूस करते है क्योंकि जब आपको सच्चा LOVE होता है तब आपके दिमाग से डोपामिन नामक कैमिकल रिलीज़ होने लगता है जो कि आपको सबसे ज्यादा खुशी महसूस करता है !!

34. दुनिया में सबसे ज्यादा बोले जाने वाला आम झूठ: "मै ठीक हूँ” (I am fine).

35. अपने चेहरे की smile को कभी फीकी मत होने देना वरना लोग आपको notice करना बंद कर देंगे ऐसे तो पूरी दुनिया मुह फुलाये घूमती है सबको notice नही किया जाता !!

36. हर कहीं मुँह मारना बंद करदो इससे लोग आपके बारे में गलत सोचते हैं, ऐसे लोगों को लोग importance नही देते !!

37. फालतू लोगों के लिए फालतू में समय बर्बाद करना बंद करें इससे आपकी इज्जत कम होगी, जो आपको समय देते हैं केवल उन्हीं समय दें !!

38. अपनी आवाज में थोड़ी मिठास लाओ, वेवजह बोलना बंद करो, जरूरत पढ़ने पर ही बोले इससे लोग आपको notice करना स्टार्ट करेंगे !!

39. खुद को unique समझो दूसरे तो भगवान में भी कमी निकाल देते हैं, हम तो फिर भी इंसान हैं !!

40. हमेशा busy रहने की कोशिश करो, फ्री लोगों को ही अक्सर लोग नकारा समझते हैं !!

41. जो चीजें लोगों को आसानी से मिल जाती हैं, लोग उनकी इज्जत करना बंद कर देते हैं , इसलिए जो भी हमे हासिल हो या मिले उसका वैल्यू समझे और उसकी इज्ज़त करे !!

42.मनोविज्ञान के अनुसार वैसे तो अधिकांश लड़कियां अपने बॉयफ्रेंड से मिलने जाने से पहले खुद पर बहुत ध्यान देती है और अच्छे से तैयार होकर ही मिलने जाती हैं। लेकिन बॉयफ्रेंड से यही कहती हैं कि मैं खुद पर ज्यादा ध्यान नहीं देती और ज्यादा सजने-संवरने का उनके पास वक्त नहीं होता !!

43. साइकोलॉजी कहता है कि अगर कोई लड़की कहती है कि उसने नहीं सुना, इसका मतलब वह आपको एक मौका देना चाहती हैं आपकी
बात को Change करने का !!

44.अगर आप किसी से बात कर रहे हो और वो चुप है, तो इसका मतलब है कि वो आपकी बात को सुनना नहीं चाहता।।

45. साइकोलॉजी की ऐसी ही आनसुनी, खुफिया और रोचक बाते रोजाना जानते रहने के लिए हमे अभी फॉलो करें!!

46. दुनिया की सबसे ताकतवर चीज लड़की की खुबसुरती होती है, यदि आप समझदार है तो मेरी इस बात से यकीन रखते होंगे, इसके लिए कोई भी इंसान किसी भी हद तक जा सकता है, शायद आजकल इसी को लोग प्यार कहते हैं !!

47. मनोविज्ञान कहता है कि गहरे रंग की आंखों वाले लोग खेलने में ज्यादा अच्छे होते हैं और हल्के रंग की हल्के रंग की आंखों वाले लोग योजना बनाने में !!

48. साइकोलॉजी तौर पर यह बात सिद्ध हो चुकी है कि एक लड़की को नापसंद लड़के का प्रेम भी हवस लगता है, और पसंदीदा लड़के का हवस 'भी प्रेम लगता है' !!

49. मानवीय स्वभाव यह दर्शाता है कि आपके दुःख से लोगों को दुःख नहीं होगा बल्कि ज्यादातर लोगों को तो खुशी होगी इसलिए अपने जीवन में कितना भी बुरा समय क्यों ना आये किसी के सामने अपने दुःखो का रोना मत रोइय!!

50.खुश रहने का पहला नियम, लोगो पर हद से ज्यादा भरोसा करना छोड़ दो !

51.खुश रहने का दूसरा नियम, खुद के काम को दुसरो से न करवाकर खुद करो ।

52.खुश रहने का तीसरा नियम, छोटी सी बात को ज्यादा सोचकर बड़ी मत बनाओ !!

53.खुश रहने का चौथा नियम, प्रकति के साथ अपने मन और दिल को जोड़ने की कोशिश करे !!

54.खुश रहने का पांचवा नियम, अपने , परिवार के साथ वक्त बिताए, कुछ अच्छी बूक्स पढे ।

55.खुश रहने का छटा नियम, सुबह जल्दी उठना शुरू करे, सुबह के मौसम का आनंद लेना सीखे !

56.खुश रहने का सातवाँ नियम, खुद को अकेला समझकर खुद से बाते करना सीखें !!

57.आलसी व्यक्ति बहुत इंटेलिजेंट होते है क्योकि वे काम न करने के लिए बहुत ही आसान तरीका 
खोज निकलते है ..

58.जब भी किसी से मिलें तो चेहरे पर स्माइल जरूर होनी चाहिए।

59.हमेशा Available न रहें, खुद को बीजी पर्सन बनाएं, इससे लोग आपकी अहमियत समझे !!

60.खुद को कभी किसी से कम न समझें, आप जो कर सकते हैं वो कोई और नहीं कर सकता !!

61.जब भी किसी बड़े अंकल आंटी से मिलें तो उनको अपनी भाषा में प्रणाम करें, इससे उनकी नजरों में आपकी
इज्जत बढ़ेगी।

62.किसी भी लड़की को घूरे नहीं, इससे लोग आपको लफंगा समझने लगेंगे।

63. किसी को भी उसके कपड़ों से जज न करें, क्योंकि एक अच्छी किताब की कीमत उसके ज्ञान से आंकी जाती है न कि उसके कपड़ों से !!

64.फालतू लोगों की फालतू बातों को दिल से लगाकर दुखी न हों !!

65.व्यस्त रहने पर लोग अधिक ख़ुश रहते हैं, क्योंकि व्यस्तता उन्हें जीवन की नकारात्मक चीजों के बारे में सोचने से रोकती है।

66.किसी भी लड़की का व्यवहार कैसा होगा, यह आप पहली नजर में कतई नहीं समझ सकते हैं।

67.लड़कियां अपने पसंदीदा व्यक्ति के खिलाफ एक शब्द भी सुनना पसंद नहीं करती हैं।

68.लड़कियों से बात करते वक्त अगर आप बहुत ज्यादा सीरियस हो गये तो वो बात को खत्म कर देती हैं।

69.लड़कियां इतनी ज्यादा संवेदनशील होती हैं कि अगर कोई लड़का कोई बेहद सेंटीमेंटल बात कह दे, तो वह उसे जिंदगी भर नहीं भूलती।

70. लड़कियां अपने क्रश के बारे में दिन भर सपने देखती रहती हैं, लेकिन कभी जाहिर नहीं होने देतीं ।

71.अगर कोई भी लड़की स्पेशियली आपके लिये कुछ पका कर लाये, तो समझ लीजिये आप उसके लिये बेहद खास हैं।

72.लड़कियों से यह कभी मत कहें कि वो किसी काम की नहीं हैं। उन्हें यह बात बहुत ज्यादा बुरी लगती है !!

73.अगर कोई भी लड़की स्पेशियली आपके लिये कुछ पका कर लाये, तो समझ लीजिये आप उसके लिये बेहद खास हैं।

74. "साइकोलॉजी के अनुसार"
अगर आपको लगता है की वास्तव में कोई आपको जानबूझ कर इग्नोर कर रहा है, तो आप उससे किसी बहाने से छोटी सी लड़ाई करके चुपचाप बस दो दिन के लिए Msg / call, जहां मिलने की संभावना हो वहां से गायब हो जाइए , यही एक मात्र तरीका है खुद की वैल्यू दुबारा उसकी नजर में लाने का !!

75. "साइकोलॉजी के अनुसार"
जिनके दोस्त बहुत कम होते हैं उनका आत्मविश्वास बहुत ज्यादा होता है, ऐसा इसलिए हो पाता है क्योंकि उन्हें सहारा देने वाला कोई नहीं होता और वो अकेले ही दुनिया जीतने की कोशिश करते हैं !!

76. साइकोलॉजी के अनुसार जब आप किसी के मुस्कुराने का कारण बनते हो तो आप उनके नजर में ज्यादा आकर्षक बनते
हो !

77. साइकोलॉजी के अनुसार साइकोलॉजी कहता है कि आप जितना ज्यादा साइकोलॉजी जानते हैं आपके सक्सेस होने के चांस 70% बढ़ जाता है जिससे आप अपने मनपसंद कामों को जल्दी पूरा कर सकते हैं !

78. साइकोलॉजी के अनुसार एक ही Profession में काम कर रहे लड़के और लड़की को प्यार में एक दूसरे के साथ पड़ने की संभावनाएं ज्यादा हो जाती हैं।

79. "साइकोलॉजी के अनुसार"
जिससे आप प्यार करते हैं आप कितनी भी समस्याओं से क्यों ना घिरे हो उस इंसान की थोड़ी सी आवाज भी आपकी नस्याओं को 70% कम कर सकती है।

80. "साइकोलॉजी के अनुसार"
जब आप खुद के साथ ज्यादा समय अकेले बिताने लगते हैं तो आप अपने साथ - साथ दूसरे की भी मन की स्थिति को बड़ी आसानी से समझ जाते हैं कि वह कैसा महसूस कर रहा है।

81. "साइकोलॉजी के अनुसार"
जो लोग किसी नोटबुक पर उन चीजों के बारे में लिखते हैं जो चीज उनके पास है और जिसके लिए वह खुशी महसूस करते हैं वह इसे हफ्ते में तीन से चार बार करते हैं ऐसे लोग ज्यादा खुश रहते हैं ।

82.छोटी-छोटी बातों पर चिड़चिड़ा जाने या नाराज़ हो जाने वाले व्यक्ति से सामना हो, तो समझ जायें कि उसे आपके प्यार और साथ की ज़रूरत है ..


83.किसी के परेशानी में अगर कोई शख्स बस इतना कह दे - " परेशान मत हो, यह चीजे अक्सर लोगों के साथ हो जाया करती है, जल्द ही सब सही हो जायेगा" मात्र यह वाक्य परेशान व्यक्ति को हिम्मत
प्रदान कर उसे पॉजिटिव कर देता है।
84.यदि आप जानना चाहते हैं कि कौन व्यक्ति आपको पसंद करता है या नहीं, तो एक सिंपल ट्रिक को अपनाएं: उनको हंसाने की कोशिश करें यदि वे आसानी से हंस देते हैं तो वे आपको पसंद करते हैं. और यदि वे आसानी से नहीं हंसते तो जवाब है, वे आपको पसंद नहीं करते !!
85. आप ये सोचते है की मै अब बॉडी बनाऊंगा, उस वक्त से ही हमारे शरीर की कोशिकाएं हमारे शरीर को मजबूत करने में लग जाती है ।।

96. किसी को impress कैसे करें 👇👇

1. लोगो से मुस्कराकर मिले। मुस्कुराहट आपके चेहरे पर इस तरह बिखरी हो कि लगे जैसे आप  सामने वाले व्यक्ति से दिल से मिल रहे है

2. एक शांत, मध्यम आवाज में बात करे, आवाज के उचित उतार चढ़ाव से आप अपनी बात को दिलचस्प बना सकते है। आत्याधिक ऊंची, नीची, उत्साहित या कपती हुई आवाज में बात न करे।

3. आत्मविश्वास के साथ मिले, स्वयं को बेहतर समझे और सदेव स्वयं से प्यार करे~

4. उन्हें खुद के बारे मे बात करने दे, उनकी बातो में intrest दिखाएं की वो आपके लिए कितने महत्वपूर्ण है और क्या कहना चाह रहे हैं~

5. खुद को भूल कर उन पर ध्यान दें, यह अनुमान लगाना बंद कर दे की वे आपको पसंद करते है या नही~

6. उनकी बॉडी लैंग्वेज की नकल करे और उन्हें feel कराए की आप उन्हीं के जैसे है~

7. आंखो में आंखे डाल कर सहज और जिज्ञासापूर्ण तरीके से बात करे!

97.इंसान से प्यार करते हैं उससे ज्यादा समय तक गुस्सा नहीं रह सकते , अगर वह गुस्सा 3 दिन से आगे बढ़ जाए तो समझ जाना चाहिए कि उस इंसान को आपसे सच्चा प्यार ही नहीं था !!

98. "साइकोलॉजी के अनुसार" कई बार महसूस होता है की सपनो में कोई अजीब सा साया मेरे पीछे आ रहा है यह एक काफी डरावना सपना है, बच्चे इससे डर, जाते हैं लेकिन कई मनोवैज्ञानिक कहते हैं इसका रहस्य हमारे पिछले जन्म से जुड़ा होता है !!

99. "साइकोलॉजी के अनुसार" एक मजेदार सपना वह होता है जब सपने देखने वाले को पता होता है कि वे सपने में है और इस तरह से होने वाली हर चीज पर उसका नियंत्रण होता है !!

100. सपने में मरने से ठीक पहले हम इसलिए जग जाते है क्योकि दिमाग को ये नही पता कि मौत के बाद क्या होता है !!

101. साइकोलॉजी के अनुसार कई लोगों ने अपने परिवारजनों को अपने मरने के कुछ दिन पहले बताया कि उन्हें एक सपना आया जिसमें कई लोग रो रहे थे..!

102. 'साइकोलॉजी के अनुसार'
कई लोगों पर हुई आत्मिक रिसर्च से पता चला जिनके सपनों में पानी हिलोरे मारता हुआ या गंदा पानी दिखा उन्हें कुछ दिनों के अंदर भारी नुकसान उठाना पड़ा , इसकी सिद्धि कई ज्योतिषो ने भी की है !

103."ह्यूमन साइकोलॉजी" के अनुसार कई लोगो में ऐसी पावर होती है की उनको अपने परिवार या अपने आस पास घटित होने वाली घटना का 15 से 10 दिन पहले ही सपने में पता चल जाता हैं , क्या आपके साथ भी कभी ऐसा हुआ है तो हमे कॉमेंट में जरूर बताएं !!

104. "साइकोलॉजी के अनुसार"
सपने में पॉजिटिव चीजों की बजाय नेगेटिव चीजे ज्यादा दिखाई पड़ती है, सपने आपके लिए एक संकेत होते है !
. छोटी-छोटी बातों पर चिड़चिड़ा जाने या नाराज़ हो जाने वाले व्यक्ति से सामना हो, तो समझ जायें कि उसे आपके प्यार और साथ की ज़रूरत है !!

105. जब आप किसी प्रिय को याद करने लगते हैं, तो आपका मन अचानक उदास होने लगता है !!

106. कोई बात छुपा रहा है या नहीं ये बात पता करने के लिऐ..... जिस बात को वो छुपाना चाहता है उसी के बारे मे बात करना शुरू कर दे ऐसा करने पर वह हड़बड़ा जाता है और आंखे चुराने लगता हैं एवम इसी गबराहट में या तो चुप रहता हैं या फिर बोलता भी है तो सामान्य तेजी से !!

107. जिन व्यक्तियों में आत्म-विश्वास की कमी होती है, वे दूसरों की कमियाँ निकालने में माहिर होते हैं !!

108. हम जितना ज्यादा दूसरो पर खर्च करते है, हम उतना ही खुश रहते है !!

109. हम एक ही समय पर केवल 4 चीजें ही याद रख पाते हैं !!

110. अच्छा झूठ बोलने वाले दूसरों के झूठ को पकड़ने में भी काफी तेज होते हैं , क्या आप भी दुसरो के जूठ पकड़ने में माहिर है 🤭🤭 ??

111. "साइकोलॉजी के अनुसार" 6 सेकंड से अधिक बिना दर देखे 'दूर या पलक झपकाए आँख से संपर्क करने से सेक्स या हत्या की इच्छा का पता चलता है !!

112. " साइकोलॉजी के अनुसार " अक्सर जब कोई व्यक्ति रोना शुरू करता है तो वह अपने रोने वाले 'शैतानी दिमाग' को बढ़ाने के लिए अन्य दुखद घटनाओं को याद करता है !!

113. "साइकोलॉजी के अनुसार" अपने प्रिय व्यक्ति के साथ हाथ मिलाने से शारीरिक दर्द के साथ-साथ तनाव और भय भी कम हो सकता है !!

114. "साइकोलॉजी के अनुसार" अगर हम एक दूसरे के बारे में बात करने के बजाय एक दूसरे से बात करें तो दुनिया में बहुत सारी समस्याएं गायब हो जाएंगी !!

115. "साइकोलॉजी के अनुसार" जो लोग अपनी भावनाओं को साझा करते हुए रोते हैं वे सबसे मासूम होते हैं। उन्हें कभी चोट नहीं पहुंचानी चाहिए !!

116. "साइकोलॉजी के अनुसार" रात में अचानक नींद टूट जाने का मतलब है कि आप किसी के सपने में गए हुए है, या फिर किसी ने आपको बहुत ज्यादा सोचा होता है !!

117. "साइकोलॉजी कहता है की " हर व्यक्ति अपने शब्दों के पीछे छुपा हुआ है अगर उसे समझना है तो उसे बोलने दो।

118. Lalochezia :

गाली देने के बाद आदमी के मन को जो संतुष्टि मिलती है ठुसे Lalochezia कहते है।

119. Halo Effect :

खूबसूरत लोगों को, बुद्धिमान न होने के बावजूद भी अक्सर लोगों द्वारा बुद्धिमान समझा जाता है। इसे मनोविज्ञान की भाषा में Halo Effect के नाम से जाना जाता है !!

120. Philophobia :

अगर आप प्यार जैसी फीलिंग या किसी रिलेशनशिप में पड़ने से डरते है तो साइंस में इसे फिलोफोबिया कहा जाता है !!

121. Pareidolia :

कई बार आप बादलों या फिर आग की लपटों में किसी इंसानी चेहरे या फिर कोई मनगढ़ंत Shape को देखते हैं इसे Pareidolia कहा जाता है !!

122. grammar pedantry syndrome :

क्या आप जानते है वो लोग जो हमेशा दूसरों की grammar सही करते रहते हैं, दरसअल वो एक बीमारी से पीड़ित है, जिसका नाम grammar pedantry syndrome !!

123. Cherophobia :

चेरोफोबिआ एक ऐसा फोबिया है जिसमें इंसान को खुश होने से या मज़ा आने से डर लगता है !!

124."साइकोलोजी के अनुसार" ज्यादातर लोगों के 3 से 5 सबसे अच्छे दोस्त होते हैं,और आमतौर पर उनमें से 
 किसी एक से वो नफरत करते है।

125. " साइकोलॉजी के अनुसार "
रिश्तों में, बातचीत का अभाव, सब कुछ बर्बाद कर देता है। क्योंकि, यह जानने के बजाय कि दूसरा व्यक्ति कैसा महसूस कर रहा है, हम सिर्फ मान लेते हैं !!

126. " साइकोलॉजी के अनुसार " नकली आत्मविश्वास, आपके मस्तिष्क को सकारात्मक रूप से प्रभावित कर सकता है और आपके जीवन को बदल सकता है , इसलिए आप में आत्मविश्वास होना चाहिए भले ही नकली हो !!

127. " साइकोलॉजी के अनुसार "
आप जितना जल्दी खाएंगे, आपका वजन उतना ही
ज्यादा होगा।

128. " साइकोलॉजी के अनुसार "
आपकी आंख की पुतली 45% तक फैल जाती है जब आप किसी ऐसे व्यक्ति को देखते हैं जिससे आप प्यार करते या बहुत चाहते हैं !!

129. " साइकोलॉजी के अनुसार "
जब आप अपने आप से बात करते हैं, तो आप वास्तव में अपने आप को “चालाक” बना रहे हैं ।

130. " साइकोलॉजी के अनुसार "
यदि आप किसी से एक प्रश्न पूछते हैं और वे केवल थोड़ा/अधूरा उत्तर देकर चुप हो जाते हैं तो, बस प्रतीक्षा करें और चुप होकर उन्हें देखें, वे आगे बात करना जारी रखेंगे।

131. अगर आप परेशान बहुत है किसी बात पर ओर रोने का मन करता है तो रो दीजिए रोने के थोड़ी देर बाद ही आपके अंदर समस्या से लड़ने के लिए सकारात्मक विचार पैदा होंगे जो रोने के पहले जो मन की स्थिति से कई गुना ज्यादा आपको मजबूत बनाएंगे !!

132. किसी को बाहर फिरने जाने के लिए बुलाते वक्त उनके कंधे या हाथ को छूने से उनकी 'हाँ' कहने की संभावना बढ़ जाती है !!

133. सभी रिस्क समान नहीं होते हैं। जो व्यक्ति निडर होकर पैराशूट लेके कूद सकता है, वो अपने बॉस या शेरों को प्रशिक्षित करने से डरता है, वही कोई ताकदवर होता हैं लेकिन किसी सुंदर महिला से बात करते समय शर्मिंदगी महसूस करता है !!

134. जब भी कोई व्यक्ति आपसे बात करते हुए कुछ छुपाता हुआ दिखे तो उससे बार-बार न पूछें , जरा उनकी आंखों में देखिए , लंबे समय तक आंखों का संपर्क उन्हें आपसे झूठ बोलने के लिए बहुत असहज और दोषी महसूस कराएगा, और वे सच बताएंगे !!

135. लोग किसी को पसंद करते हैं तो उनसे बात करते समय आगे झुक जाते हैं , और कई लोग पैर भी हिलाते हैं, और यह सहजतापूर्ण होता है !!

136. अगर हँसते समय इंसान के आँखों के आसपास झुरिया नही पड़ती तो संभावित रूप से वो नकली मुस्कान दे रहा है !!

137. अगर कोई व्यक्ति घड़ी देख के आपसे फिर से बात कर रहा है, तो आपको समझ जाना चाहिए कि उस व्यक्ति जाने की जल्दी है, उसे अब आपसे बात करने में कोई दिलचस्पी नहीं है !!

138.एक शोध के अनुसार लोग दिन की तुलना में रात के समय ज्यादा आसानी से रो पाते हैं। इसका एक कारण एक्सपर्ट्स ने बताया है कि नींद की कमी के कारण लोग अपने इमोशन्स पर नियंत्रण नहीं रख पाते,और काफी देर तक भी रोते रह सकते हैं।

139. प्यार में पड़ना दुनिया के सबसे खतरनाक नशा cocaine से भी खतरनाक है क्योंकि इन दोनों का बहुत • घातक असर हमारे दिमाग पर होता है।

 140. साईकोलॉजी के अनुसार यदि किसी पर crush 4 महीने से अधिक समय तक रहता है, तो एक तरीके से प्यार ही माना जा सकता है!

141. वैसे कपल जिनकी बहुत सारी आदतें एक दूसरे से मिलती-जुलती है उनका रिलेशनशिप ज्यादा दिन तक नहीं टिकता!

142. इंसानों की तरह हंस भी पूरे जीवन एक ही जीवन साथी के साथ रहते है!

143. प्यार मे पड़ने के बाद अधिकतर लोग पूरी तरह से बदल जाते हैं!

144. क्या आपको पता है लड़कियां आमतौर पर उस व्यक्ति के साथ ज्यादा देर आंखें नहीं मिला सकती जिसे वह बहुत पसंद करती हैं!

145. यदि कोई व्यक्ति गुस्सा है और आप उन्हें शांत करना चाहते है तो उसे सीधा मत कहिए कि शांत रहो. उनसे यह बोलो की आपको पूरा अधिकार है इस बात पर गुस्सा होने का. इस बात से वह व्यक्ति बिना बोले शांत हो जाएगा !!

146. साइकोलॉजी के अनुसार जो व्यक्ति डांस करता है, चाहे अकेले हो या फिर पब्लिक के सामने, वह आम इंसान से ज्यादा पॉजिटिव होता है. आप भी अब डांस करना स्टार्ट कर दीजिए !!

147. साइकोलॉजी के अनुसार जो व्यक्ति जरूरत से ज्यादा शुगर खाता है या मीठी चीजों का सेवन ज्यादा करता है वह दोनो तरह से नेगेटिव ऊर्जा वाला होता है पहला शारीरिक तौर पर दूसरा दिमागी तौर पर !!

148. कोशिश करे कि आप 1 हफ्ते 1 महीने और 1 साल तक किसी के बारे में नेगेटिव ना बोले, और देखे आपका जीवन दूसरो से 100 गुना जल्दी बदलता है , आप ज्यादा स्मार्ट और ज्यादा बुद्धिमान हो जाएंगे!!

149. साइकोलॉजी के अनुसार यदि कोई व्यक्ति 2 बार मैसेज करने के बाद भी रिप्लाई ना करे तो आपको कोई और व्यक्ति खोज लेना चाहिए बात करने के लिए, क्योंकि जो व्यक्ति 2 बार मैसेज करने पर रिप्लाई ना करे वह सामान्य तौर पर आपसे बात करने के लिए इंटरेस्टेड नही है !!

150. "साइकोलॉजी के अनुसार" लड़कियां जिसे सच्चे दिल से प्यार करती है उसके लिए वह अपनी खुशी की कुर्बानी देने के लिए भी तैयार रहती है !!

151. लड़कियो को beautiful सुनना अच्छा लगता है हॉट और सेक्सी के मुकाबले !!

152. जिस लड़की के Male Friends ज्यादा होते है वो ज्यादा अच्छे मूड में रहती है मुकाबले दूसरे लडकी की !!

153. लड़कियां बड़ी बड़ी बाते करने वाले या फेकने वाले लड़को से दूर ही रहना पसंद करती है !!

154. लड़कियां कभी नहीं चाहती, बाकी लड़कों को पता चले कि  वह रिलेशनशिप में है!!

155. लड़की अगर कहे कि वह दुखी हैं और अगर उसकी आंखो में आसू ना हो तो समझो वह दिल से दुखी है !!

156. "साइकोलॉजी के अनुसार के"
लड़कियां बहुत इमोशनली चीजों को सोंचती है इसीलिए सबसे अच्छा किसी बात का सॉल्यूशन मिनटों में उनके पास मिल जायेगा , पुरातत्वेता काल में भी Male अपनी Female से राय लिया करते थे !!

157. "साइकोलॉजी के अनुसार" 
एक बार जब आप अपनी कमियों को स्वीकार कर लेते हैं, तो कोई भी न्हें आपके खिलाफ इस्तेमाल नहीं कर सकता है।

158. "साइकोलॉजी के अनुसार"
ऐसे लोग जो दूसरों की बातों पर जल्दी काफी कोमल होता है, यह बड़े फैसले नही ले पाते सबसे ज्यादा धोखेबाजी भी इन्ही के साथ होती है!!

159. "साइकोलॉजी के अनुसार"
जिस व्यक्ति का जीवन जितना सरल होता है उतना ही वो कम तनाव में जीता है!!

160. "साइकोलॉजी के अनुसार"
आप सोते वक्त सपने में खुद को कभी सोता हुआ नही देख सकते हमेशा खुद को दौड़ते, डरते या किसी से लड़ते हुए ही देख पाएंगे !!

161. अगर आपको किसी की आंखों में देख कर बात करने में शर्म आती हैं तो आपको उसकी आंख की जगह पर उसके नाक की तरफ देखना चाइए इससे आपको शर्म नही आएगी और आप जिससे बात कर रहे हो उसे पता भी नही चलेगा की आप उससे eye contact नही कर रहे हो

162. किसी भी बड़ी जानकारी को याद रखने के लिए उसे टुकड़ों टुकड़ों में याद करें , ऐसा करने से किसी भी
 जानकारी को याद रखने में आसानी होती है !!

163. जब आप कोई गन्दी लत या आदत छोड़ना चाहें, तो इसके लिए आप ख़ुद को चैलेंज करें, ताकि आप उस आदत को जल्दी छोड़ सकें !!

 164. अपने friend सर्कल को बदले , क्युकी ज्यादातर लोगो के बुरी आदत की शुरुआत अपने दोस्तो से ही शुरू होती है , ओर अच्छे लोगो के संपर्क में रहे !!

 165. किसी भी ग़लत आदत को छोड़ने के लिए सकारात्मक रवैया अपनाना बहुत ज़रूरी है , अपना ध्यान ग़लत आदत से हटाने के लिए ख़ुद को बिज़ी रखें. ख़ुद को किसी मनपसंद एक्टिविटी, जैसे-खेल, बुक्स, मूवीज़ इत्यादि में व्यस्त रखें. कोशिश करें कि आपको अकेले न रहना पड़े !!

166. किसी तरह की लत या ग़लत आदत से छुटकारा पाने के लिए सबसे पहले हमे यह स्वीकार करना होगा कि आप ग़लत आदत के शिकार हैं, क्योंकि बहुत से लोग यह मानने के लिए तैयार नहीं होते कि उनमें कोई ख़राब आदत है !!

 167. जो चीज़े हमारे दिमाग़ में बार-बार चलती रहती हैं, वे आदत का रूप ले लेती हैं, इसलिए किसी ऐसी चीज़ की
 ओर ध्यान लगाएं, जिससे आपको फ़ायदा हो. उदाहरण के लिए आप शराब के बिना नही रह सकते इसलिए जब 
भी आपको शराब पीने का मन करे हो से उतना अपनी family के साथ रहे !!

 168. अपने विचारों पर ध्यान दें. आपका ध्यान ग़लत आदतों की ओर ज़रूर जाएगा, लेकिन ध्यान रखें, किसी आदत से छुटकारा पाने के लिए यह स्टेप भी बहुत ज़रूरी है. उस ओर ध्यान जाने पर मेडिटेशन करें. इससे आपका ध्यान ख़ुद-ब- ख़ुद उस ओर से हट जाएगा.

 169. अगर आपको सिगरेट पीने की आदत है तो सिगरेट का बुरा पिक्चर इमेज़िन करें और उसके सबसे बुरे प्रभाव के बारे में सोचें. धीरे धीरे आपका मन उस ओर से उचट जाएगा.

170. खुश महसूस करना चाहते हो? मुस्कुराओ आपका शरीर हंसी को पहचान लेगा और भले ही आप दुखी हों, फिर भी कोशिश करो आप तुरंत खुश महसूस करेंगे !!

171. अगर कोई व्यक्ति बात करते व्यक्ति अपनी दोनो आंखों को Left साइड ऊपर की ओर बार बार ले जा कर बात कर रहा है तो समझ जाना सामने बैठा व्यक्ति कुछ याद करने की कोशिश कर रहा है और वो जो बोलेगा वो सच ही बोलेगा क्योंकि जब हम कोई रियल मेमोरी याद करने की कोशिश कर रहे होते है तो हम हमारे left Brain का यूज़ करते है और हमारी आँखें अपने आप Left साइड ऊपर की ओर हो जाती हैं , 

172. जब महिलाएं आपसे बात करते हुए हैं अपने बालों से खेलती है तो संभावना कि वह आपको पसंद करती है !!

173. किसी के व्यवहार और बात करने और चलने के तरीके को कॉपी करें यह अवचेतन रूप से परिचित की
 भावना पैदा करता है !!

174. यदि आप किसी से मिलते हैं, तो उस व्यक्ति से हाथ मिलाएं और अपना एक हाथ उसके कंधे पर रखें। इससे दूसरे व्यक्ति द्वारा आपको पसंद किए जाने के चांसेस बढ़ जाते हैं !!

175. जब महिलाएं बात करते समय अपने होंठों पर काटती हैं, तो यह भी आकर्षण का संकेत हो सकता हैं !!

176. पैरों को देखों , यह सबसे ज्यादा काम करता है यदि पैर ज्यादातर आपकी दिशा में हैं, तो दूसरा व्यक्ति आपको पसन्द करता हैं !!

177. साइकोलॉजी कहता है - 
यदि आप पहली बार किसी से मिल रहे हैं, तो आपके 69 पास अपनी पहली प्रभावशाली छाप बनाने के लिए केवल 7 सेकंड हैं !!

178. साइकोलॉजी कहता है की - 
लड़कियां चेहरे याद रखने में लड़को से बेहतर होती हैं !!

179. साइकोलॉजी कहता है – कई
 लोगों सफल इसलिए नही हो पाते है क्युकी वो दुसरे लोगो के जैसा बनने की कोशिश करते है , इसलिए लोगो 
के जैसा बनने की कोशिश मत करो बल्कि उन लोगो से सीख लेकर और उनकी गलतियों से सीख लेकर खुद 
की एक अलग पहचान बनाने में लग जाओ !!

180. साइकोलॉजी कहता हैं – 
यदि कोई व्यक्ति बहुत सोता है, तो वह दुखी हैं !!

181. साइकोलॉजी कहता है - 
आपके जूते जितना आप सोचते हो उससे भी बहुत महत्वपूर्ण हैं , लोग जूते के आधार पर किसी व्यक्ति के बारे में 
कई निष्कर्ष निकालते है !!

182. ह्यूमन साइकोलॉजी के अनुसार रोज़ 
दिन मे 15 मिनट तक हंसने से आपके पूरे जीवनकाल में लगभना 2 दिन बढ़ सकते हैं , हमेशा स्माइल करते रहे !

183.→• बात करने के तरीके:-

1. डरो मत कि वो मुझसे बात करेगा/ करेगी या नहीं, wait मत करो, बोल दो "hi-hlo" उसके बाद आपकी बात
शुरु हो जाएगी !!

2. एक दूसरे में कॉमन चीजे ढूंढो, जब आपको एक दूसरे में common चीजे मिल जाएगी तो आपकी बाते और भी गहरी और लंबी
चलेगी !!

3. छोटी बातों में मत फसो, कोई ऐसी बात करो जो उनके दिल के करीब हो, पर्सनल हो, लोग बताने के लिए ready है, बस कमी है तो उनको पूछने
वालों की !!

4. सामने वाले की राय जानने की कोशिश करो और उससे आसान सवाल करो ताकि उसे लगेगा की उसने बहुत
अच्छा जवाब दिया है !!

5. सामने वाले की बात ध्यान से सुनो, इधर-उधर या मोबाईल में मत देखो, और सामने वाले को देखकर
बात करो !!

6. छोटी-छोटी बाते याद रखने की कोशिश करो जैसे नाम, जन्मदिन या pet नाम इससे आपका इम्प्रेशन और अच्छा होगा !!

184. कोई भी इंसान प्यार में पड़ने से नही डरता, बल्कि इससे डरता है कि कही गलत आदमी के प्यार में ना पड़ जाऊँ !!

185. कपल जितना ज़्यादा समय एक दूसरे के साथ रहेंगे उतना कम “I Love You” बोलेंगे !!

186. सोने से पहले आप जिस आदमी के बारे में सोचते हैं वही आपकी खुशी और दर्द का कारण हैं !!

187. किसी को पहली नजर में ही पसंद करने में केवल 90 सेकंड से 4 मिनट का समय लगता है !!

188. यदि आप एक बार किसी के प्यार में पड़ गए तो वापिस उसके फ्रेंड नही बन सकतें !!

189. चाहे दिन हो या रात जितने समय में आप ‘I Love You' कहोगे उतने समय में आपकी 20,000 सेल मर जाएगी और इनकी जगह नई पैदा भी हो जाएगी !!

190.  स्टडी की बात करे तो जो व्यक्ति सुबह अपने पार्टनर को किस करते है वो पुरुष दूसरों की तुलना में ज्यादा जीते है !!

191. अगर आप रिलेशनशिप में है या किसी से प्यार करते है तो उसकी तस्वीर देखने से भी आपको अपने दर्द से राहत मिल सकती है !!

192. आपका दिमाग तब कम काम करता हैं, जब आप रोमांटिक मूड में होते हैं !!

193. साइकोलॉजी कहता है की लड़के अपने लिए सुंदर लड़कियो को चाहते है जबकि इसके विपरित लड़कियां उन लड़कों को चाहती हैं जो दिल और स्वभाव के अच्छे हो !!

194. अगर कोई आप की तरफ घूर रहा हो तो आप को खुद एहसास हो जाता है चाहे आप नींद में ही क्यों ना हो , खास कर लड़कियो को !!

195. जब एक महिला आपसे निराश और परेशान नहीं होती है, तो आप लगभग गारंटी ले सकते हैं कि उसे अब आपकी परवाह नहीं है !!

196. महिलाएं अपनी जिंदगी का एक साल तो ये decide करने में लगा देती हैं कि क्या पहने ?

197. अगर किसी पुरुष को किसी की बात से तकलीफ पहुंची हो, तो वो उस बात को भूल जाते हैं, लेकिन माफ़ नहीं करते. लेकिन अगर एक महिला को किसी की बात से तकलीफ पहुंची हो, तो वो माफ़ कर देती हैं, लेकिन 
भूलती नहीं !!

198. जिस दिन आप अपने बालों को शैंपू करते हो उस दिन आपको लगता है कि आ ज्यादा खूबसूरत लगते हो विशेषकर महिलाएं..

199. जब लड़कियो को कोई ये पूछता है की क्या अपने कभी किसी को किस किया है??  तो लगभग 80% लड़कियो का यही जवाब होता है 
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" किया है ना छोटे बेबी को "
Try करके देख लेना

200. साइकोलॉजी कहता है - 
एक औसत इंसान को विभिन्न परिस्थितियों से जुड़े हुए कई प्रकार के सपने आते हैं, लेकिन ज्यादातर बार केवल सबसे गहराई से जुड़ा हुआ सपना याद रह जाता है।

201. साइकोलॉजी कहता है - 
भावनात्मक आघात के कारण तनाव, अवसाद और मनोवैज्ञानिक दर्द से राहत पाने के लिए वीडियो गेम खेलना बहुत कारगर साबित हुआ है।

202. साइकोलॉजी कहता है - यदि 
कोई मूर्खतापूर्ण या क्षुद्र (छोटी) बातों पर क्रोधित होता है, तो इसका मतलब है कि उसे प्यार की बहुत ज्यादा जरूरत है।

203. साइकोलॉजी कहता है
 कभी-कभी थोड़ी दूरी बनाने से लोगों को यह पहचानने में मदद मिलेगी कि आप वास्तव में उनके लिए कितना मायने रखते हैं।

204. साइकोलॉजी कहता है - 
जब आप सोचते सोचते सो जाते हैं, तो मन सक्रिय रहता है जैसे कि आप जाग रहे थे यही कारण है कि आप थके हुए जागते हैं।

205. अगर आपके अंदर किसी को माफ कर देने का गुण है तो यह आपकी Health के लिए सबसे ज्यादा लाभदायक है ।।

206. सपने में हम वही देख सकते हैं, जिसे हमने पहले कही देखा हो  इसीलिए सपने में मरने से ठीक पहले हम जग जाते हैं, क्योंकि हमारे दिमाग को ये पता ही नहीं होता है कि मरने के बाद क्या होता है !!

207. " साइकोलॉजी के अनुसार " 
मौत आने के कुछ दिनों पहले से
 ही इंसान को सपने में अजीब अजीब घटनाएं दिखाई देती है जैसे की उसका परिवार टूट गया हो, या उसके किसी खास का एक्सीडेंट हो गया है !!

208. " साइकोलॉजी के अनुसार " 
मौत एक आसान प्रक्रिया नहीं है दुनिया में आज तक किसी को मौत आसानी से नहीं मिली हैं पूरा शरीर अंदर से कई बार टूटता है तब मौत मिलती है !!


209. एक घन्टे की डरावनी फ़िल्म देखने से 30 मिनट तक पैदल चलने के बराबर कैलोरी जल जाती है।

210. आपको शायद नहीं पता होगा की ज्यादातर लोगो को सबसे ज्यादा डर तब " लगता है जब उनके घर के दरवाजे पर आवाज आती है या कोई दरवाजे को बजाता है और बाहर जाकर देखने पर वहा कोई नही होता हैं !!

211. जब भी आप किसी की तारीफ करते हैं तो उसे यह मत बोलिए कि आपका कपड़ा यह जूता अच्छा है बल्कि इसके साथ एक और लाइन जोड़िए: बोलिए कि आप इस जूते या कपड़े के साथ बहुत अच्छे दिख रहे हैं !!

212. साइकोलॉजी के अनुसार जब भी आप किसी की तारीफ करते हैं तो आपका एनर्जी लेवल काफी मात्रा में पड़ जाता है क्योंकि इससे आपके एक हार्मोन रिलीज होती है. जो आपको खुशी का अनुभव बनाते हैं. मुझे नीचे कमेंट में बताएं आपको पोस्ट पसंद आई या नहीं? Good or Bad?

213. साइकोलॉजी पढ़ने से आपका दिमाग किसी और कि तुलना में दोगुनी तक तेज हो जाता है, और आपके सफल होने का चांस 67% तक बढ़ जाता है,

214. यदि आप अपने इमोशन को या भावनाओं को कंट्रोल करना चाहते हैं तो जब भी आप कोई एक्टिविटी कर रहे हो तो अचानक उस एक्टिविटी के विपरीत करना शुरू कर दो. जैसे आप किसी के मैसेज को पढ़ कर हंस रहे हो तो एकदम शांत हो जाओ एकदम सीरियस. ऐसी अलग-अलग भावनाएं को रोककर आप अपने इमोशन को कंट्रोल कर सकते हैं. ध्यान रहे इसे आप अकेले करें वरना लोग आपको पागल बोलेंगे !!

 215. कहते हैं, फर्स्ट इंप्रेशन इज लास्ट इंप्रेशन. आप अपने मन में एक नियम बना लो कि जब भी आप किसी व्यक्ति से आंख मिलाओ उसकी 1 से 2 सेकेंड के अंदर ही एक छोटा सा इस्माइल करोगे , इससे आपका व्यक्तित्व बहुत ज्यादा प्रभावित होगा !

216. क्या आप भी किसी से बात करते वक्त एकदम जल्दी जल्दी बोलते हो? साइकोलॉजी के अनुसार ऐसे व्यक्ति ज्यादा प्रभाव नहीं छोड़ते. आपको हर एक वाक्य के बाद कुछ सेकंड रुकना और यदि इंपॉर्टेंट बात हो तो कुछ देर सोच कर बोलना, इससे लोग आपकी हर एक बात मानने लगेंगे !!

217. "साइकोलॉजी के अनुसार, अगर आप किसी भी व्यक्ति को ज्यादा सुधारना चाहोगे तो वो आपका दुश्मन बन जायेगा ।

 218. "साइकोलॉजी के अनुसार जब दो इन्सान बहुत समय से साथ होते तो इस दौरान उन दोनों की दिमागी रिलेशनशिप मजबूत हो जाती है और कभी कभी वो एक ही समय में समान शब्द का उच्चारण कर देते है। "

219. "साइकोलॉजी के अनुसार खाने की चीज़ कम के हो और दो बच्चों में बांटना हो तो एक बच्चे को उसे
 बराबर बांटने को और दूसरे बच्चे को पहला piece उठाने को कहें, कभी झगड़ा नही होगा।"

220. "साइकोलॉजी के अनुसार अगर आप किसी इंसान को परखना चाहते है तो देखो की वो ज्यादातर बच्चों के साथ कैसा व्यवहार करता है, क्युकी कोई व्यक्ति बच्चो से जिस तरह का व्यवहार करता है, वैसा ही असलियत में वो अंदर से होता है,जो बाहर निकलही जाता है। "

221. "साइकोलॉजी के अनुसार आपके विचार उन चीजों से बनते हैं जो चीजें आप देखते, सुनते और पढ़ते हैं। अगर आप अपने आप को बदलना चाहते हैं तो उन चीजों को भी बदल दीजिए जो आप देखते, सुनते और पढ़ते हैं। "

222. "साइकोलॉजी के अनुसार जिस व्यक्ति का संबंध अपने परिवार के साथ खुशनुमा रहता है, और जिसके सच्चे मित्र होते है, ऐसा व्यक्ति अपने जीवन में ज्यादा सुखी रहता है।'

223. "साइकोलॉजी के अनुसार एक इंसान को अपने बारे में सुनना सबसे ज्यादा पसंद है इसलिए अगर आप किसी व्यक्ति को इंप्रेस करना चाहते हैं तो उस व्यक्ति के बारे में बात करें ।'

224. ह्यूमन साइकोलॉजी के अनुसार आप किसी भी अनजान व्यक्ति से लगभग 3 से 4 मिनट तक लगातार आई कांटेक्ट बनाये रखते है तो चार मिनट बाद आप एक दूसरे के अंदर एक इमोशनल फिलिंग महसूस करेंगे –

225. और यदि आप अपने पार्टनर के साथ लगातार चार मिनट तक आई कांटेक्ट बनाये रखते है तो आप दोनों 
का दिल सेम तरीके से धड़कने लगेगा, हालांकि ऐसा क्यों होता है विज्ञान भी इसका पता नही लगा सकी है।

226. प्यार का एक तथ्य ये भी है कि यदि आप किसी ये प्यार करने लग जाते है तो उसके भेजे मैसज को बार बार पढ़ते है।

227. क्या आप जानते हैं , एक बीमारी है हाइपोपिटिटैरिज़्म इससे पीड़ित लोगो को रोमांटिक प्यार महसूस ही नहीं होता है , क्या आपको भी प्यार महसूस नही होता !!

228.  एक शोध में पाया गया है कि अगर कोई व्यक्ति किसी खतरनाक स्थिति (जैसे-काँपते हुए किसी पुल पर) में किसी लड़की से मिलता है तो उसके साथ प्यार में पड़ने की संभावना बहोत अधिक हो जाती है।

229. आप किसी से सच्चा प्यार करते है तब ये आपके जीवन की सबसे बेहरीन इमोशन होती है, क्योकि इससे ज्यादा खुशी दुनिया के और किसी चीज में नहीं मिलती चाहे आप कुछ भी कर लो, कुछ भी बन जाओ प्यार करना दुनिया की सबसे महंगा और सबसे बेहतरीन एहसास है।

230. जब भी आपको सच्चा प्यार होता है तब आप अपने आप को सबसे ज्यादा खुश महसूस करते है क्योंकि जब आपको सच्चा LOVE होता है तब आपके दिमाग से डोपामिन नामक कैमिकल रिलीज़ होने लगता है जो कि आपकोnसबसे ज्यादा खुशी महसूस करता है !!

231. लड़कियो को तब बहुत अच्छा लगता हैं जब वह खुद को स्पेशियल फील कराती हैं या जब कोई उन्हें ज्यादा इज्जत देता है....

232. बात करने में लड़कियां लड़कों की तुलना में बहुत आगे होती है....

233. अगर लड़कियां दुखी है लेकिन रो नही रही है तो इसका मतलब यह है कि वह दिल से रो रही है और बहुत स्ट्रॉन्ग है....

234. किसी भी लड़की का व्यवहार कैसा होगा यह आप पहली नजर में कतई नहीं समझ सकते हैं...

235. लड़कियो के बात करते बात करते वक्त अगर आप बहुत सीरियस हो गए तो वह बात को खत्म कर देती है...

236. लड़कियो को खुद की तारीफ बहुत पसंद है भले ही वह जूठी तारीफ हो क्यू ना हो...

237. जब भी सामने वाला कोई ऐसी बात करता है जो लड़की के मन की होती है तो उसे सुनने के बाद लड़की की आंखो में आसू जरूर आ जाते है...

238. " साइकोलॉजी के अनुसार हमारा मन इस बात की क्षमता रखता है कि बिना देखा ही हमें पता चल जाता है कौन हमें देख रहा है , खासकर लड़कियां !!

239. "  ह्यूमन साइकोलॉजी के अनुसार "बहुत सारा खाना खाने के बाद, हमें ठीक तरह से सुनाई नहीं देता है ।

240." साइकोलॉजी के अनुसार यदि आप किसी से सच बुलवाना चाहते हैं या कोई बात जानना चाहते हैं, तो आपको उससे देर रात में बात करनी चाहिए, वह सच ही कहेगा / कहेगी ।

241. " साइकोलॉजी के अनुसार "जिनके ज़्यादा तिल होते हैं कहा जाता है कि वे लोग ज़्यादा साल तक जीवित रहते हैं।

242." साइकोलॉजी के अनुसार हमारा दिमाग और हमारी याददाश्त कुछ ऐसे हैं कि जो चीज़ हमें याद रखनी 
चाहिए, वो चीज़ हम सबसे पहले भूल जाते हैं !!

243. " साइकोलॉजी के अनुसार "हमारा नाक 50,000 प्रकार के महक को याद रख पाता है,और पहचान पाता है !!

244. " साइकोलॉजी के अनुसार "जिनके आँख बड़े होते हैं, हम अक्सर उनकी तरफ आकर्षित हो जाते हैं।

245. यदि आपको गुस्सा आये तो सामने खड़े व्यक्ति से कुछ भी बोलने से पहले एक बार सोच ले की आप कही गलत तो नहीं बोल रहें है ओर अगर आप सच बोल रहे हो तो भी आप तेज आवाज में बात ना करे !!

 246. अगर आपको लगता है की आपको गुस्सा आ रहा है तो तुरंत आपको वो जगह छोड़कर कही ओर चले जाना
चाहिए या उस व्यक्ति के सामने से तुरंत हठ जाए और कही ओर चले जाए !!

 247. जब भी आपको गुस्सा आएँ तब आप अपनी लाइफ के खुशी के लम्हों को याद करे , इससे आपका गुस्सा 
आसानी से शांत हो सकता है !!

248. यदि आप सिगरेट , तंबाकू , शराब आदि का सेवन करते है तो तुरंत छोड़ दे क्युकी ये सभी चीजे गुस्सा बढ़ाने का काम करती है !!

249. यदि आपको बोहत अधिक गुस्सा आता है तो अकेले में जाकर चीखे और जोर जोर से चिल्लाइए इससे आपके
अंदर जितना भी गुस्सा होगा बाहर निकल जायेगा !!

250. Self help words का प्रयोग करे , आपने three idiots movie तो जरूर देखी होगी उसमे अमीर खान को जब भी गुस्सा आता है या जब भी नर्वस फील करता है तो all is well , all is well बोलकर खुद की खुद से हेल्प करता है वैसे ही जब भी आपको गुस्सा आये तो आप भी ऐसे ही self help words का प्रयोग कर सकते हैं 

251. लड़के तब ज्यादा कॉफिडेंट फील करते हैं जब उनकी जेब में अच्छा खासा पैसा हो !!

252. लड़को को चैलेंज बहुत पसंद होता है और जो काम difficult हो उसे करने में लड़को को बहुत मज़ा आता हैं !

253. लड़के दूसरे लड़को से तारीफ सुनना पसंद करते हैं !

254. लड़को को jealousy फील करवाना बहुत ही आसान होता हैं !

255. किसी सर्मिले स्वभाव वाले लड़के के साथ कॉफ़ी शॉप में बैठे और उनसे सवाल करे,वह किसी Extravert कि 
तुलना से ज्यादा आसानी से अपनी जिंदगी का किताब खोल देगा !

256. लड़कियो के मुकाबले लड़के अपने गोल्स पर ज्यादा फोकस करते है और जिम्मेदारी लेते है !

257. जो लड़की बात बात पर रोती है और छोटी - छोटी चीजों में हार मान लेती है ऐसी लड़कियों को लड़के बिलकुल भी पसंद नहीं करते !

258. लड़के चीट कर सकते हैं, अगर लड़किया उनको physically और emotionally satisfied ना करे !

259. हमारा दिमाग 75% से ज्यादा पानी से बना होता है।

260. मनुष्य के दिमाग में दर्द की कोई भी नस नहीं होती हैं, इसीलिए वह कोई दर्द महसूस नहीं करता है।

261. दिन के मुकाबले रात में हमारा दिमाग ज्यादा एक्टिव रहता है।

262. पढ़ने और बोलने से बच्चों का दिमागी विकास ज्यादा होता है।

263. सर्जरी से भी हमारा आधा दिमाग हटाया जा सकता है और इससे हमारी यादों पर भी कुछ असर नहीं पड़ेगा।

264. मानव दिमाग के अंदर 1सेकंड में एक लाख रासायनिक प्रतिक्रिया होती हैं।

265. जो लड़कियां ज्यादा बात करती हैं वे ज्यादा मिलनसार होती हैं लेकिन  कभी–कभी अपने रिश्तों को लेकर कंफ्यूज भी रहती हैं।

266. लड़कियों को ऐसे लड़के पसंद आते हैं जो आत्मविश्वास से उनके घर आएं और उनके परिवार के साथ कुछ समय बिताएं।

267. अगर कोई लड़का हर दो, तीन घंटे में लगातार फोन करता है तो लड़की चिढ़ जाती है। कई मामलों में यही ब्रेकअप का कारण भी बन जाता है।

268. अगर कोई लड़की आपको सबसे पहले गुड मॉर्निंग मेसेज भेजती है तो ज्यादा संभावना है कि वह आपको पसंद करती है और चाहती है कि आप उसके दोस्त बने रहे।

269. लड़कियां भावनात्मक रूप से अपने माता पिता से ज्यादा जुड़ी होती हैं।

 270. लड़कियां किसी भी गंभीर रिश्ते से पहले दोस्ती पसंद करती हैं।

271. लड़कियां दिन में लगभग 9 बार अपनी Look के बारे में सोचती हैं, और वो अपनी जिंदगी का एक साल यह सोचने में गंवा देती हैं कि उन्हें क्या पहनना है ??

272. ज्यादा खाना खाने के बाद इंसान की सुनने की शक्ति कम हो जाती हैं !

273. आलसी लोगो की मृत्यु स्मोकिंग करने वालों की तुलना में जल्दी होती हैं !

274. हम सुबह के मुकाबले प्रत्येक शाम ond को 1 सेंटीमीटर छोटे हो जाते हैं !

275. आप शायद नही जानते की kiss करने के लिए केवल होंठो या अधर का इस्तेमाल नहीं होता हैं. kiss करने में हमारे चेहरे की 146 मांसपेशियां कसरत करती हैं !

276. ह्यूमन साइकोलॉजी के अनुसार जो इंसान ज्यादा Emotional होता है वो अपने सपनो के पीछे ज्यादा तेजी से भागता है क्योकि वो अपने सपनो के साथ Emotionally Attach होता है !

277. एक रिसर्च से प्रूव हो चुका है कि यदि आप किसी की तारीफ करते हैं तो आपके दिमाग में एक केमिकल रिलीज होता है जो आपको तुरंत ही खुशी का अनुभव कराता है , आप अभी ही इस का अनुभव कर सकते हैं..

278. किताबे पढ़ना आपको पसंद नही होगा लेकिन दिमाग तेज करने के लिए किताबे पढ़ना बहुत जरूरी है, शुरू में रुचि ओर पसंदीदा किताबे पढो !

279. पसंदीदा खेल खेले इससे आपके दिमाग से प्रेशर (preshar) कम होगा और दिमाग का फोकस बढ़ेगा !


280. यदि आपसे कोई पेन मांगे, तो उसे बिना ढक्कन के पेन दीजिये. क्योंकि ज्यादातर लोग बिना ढक्कन की पेन 
अपनी जेब में नहीं डालते. इस तरह आपको अपनी पेन वापस मिलने की गुंजाइश ज्यादा रहेगी !

281. सायकोलॉजी कहता है कि लोग चाहते है कि उन्हें सुना जाये, उन्हें खुद के बारे में बात करने दें और उन्हें गौर से सुनें, इससे उन्हें आपसे पूरी तरह से प्यार हो जाएगा !

282. मस्तिष्क लगभग 12 से 25 वाट की बिजली पैदा करता है. यह कम वाट क्षमता वाली एलईडी लाइट (LED Light) जलाने के लिए पर्याप्त है !

283. यह धारणा कि मृत्यु के बाद भी मनुष्य के बाल और नाखून बढ़ते रहते हैं, पूरी तरह से गलत है. मृत शरीर सूख जाता है और सिकुड़ जाता हैं. इसलिए देखने पर ऐसा लगता है कि बाल और नाखून बढ़ रहे हैं !

284. नींद की कमी भोजन और पानी की कमी की तुलना में अधिक तेज़ी से मारती है.मनुष्य बिना खाये 2 माह तक, बिना पानी पिये 30 दिनों तक जीवित रह सकता है.लेकिन बिना सोये मात्र 11दिनों तक जीवित रह सकता है!

285. मनुष्य का अवचेतन मन चेतन मन से 30,000 गुना अधिक शक्तिशाली होता है. मनुष्य 90% निर्णय अपने अवचेतन मन (subconscious mind) द्वारा लेता है !

286.  एक मजेदार सपना वह होता है जब सपने देखने वाले को पता होता है कि वे सपने में है और इस तरह से होने वाली हर चीज पर उसका नियंत्रण होता है !

287. सपनें में हम जिन लोगों को देखते है,वे चेहरे हमने अपने वास्तविक जीवन मे कही न कही देखा होता है !

288. जागने के तुरंत बाद 95% सपने हम भूल जाते है !

289. हम एक साथ खर्राटे के साथ सपने नही देख सकते !

290. दृष्टिहीन लोगो के सपनों में आमतौर पर स्वाद, ध्वनि और स्पर्श जैसी अन्य इंद्रियों की जानकारी शामिल होती है !

291. छोटे बच्चे तीन चार साल के होने के बाद सपने देखते है क्योंकि तब तक उनकी याददाश्त अच्छी हो जाती है !

293. कई बार सपनों में हम अपने भविष्य की घटनाओं को भी देख लेते है जो काफी हद तक सही होते है !

294. साइकोलॉजी के अनुसार जो व्यक्ति जरूरत से ज्यादा शुगर खाता है या मीठी चीजों का सेवन ज्यादा करता है वह 2 तरह से नेगेटिव ऊर्जा वाला होता है पहला शारिरिक तौर पर और दूसरा मानसिक तौर पर !

295. साइकोलॉजी के अनुसार लड़कियां आजकल ज्यादा चालाक लड़कों के साथ रहना पसंद करती हैं, जिसका परिणाम बाद में वो भुगतती हैं !

296. साइकोलॉजी कहता है कि अगर आप अपने बच्चों को बहुत Hurt करते हैं तो वह आपसे नहीं बल्कि खुद से
 नफरत करने लगते हैं !

297."साइकोलॉजी कहता है" जब भी intelligent लोग अपने दोस्तों के साथ time गुजारते है तब वे दुःखी हो जाते है ऐसा इस लिए है क्योंकि जो लोग अपनी intelligent का ज्यादा इस्तेमाल करते है. जो लोग किसी बड़े सपने को साकार करने के पीछे लगे होते है यदि कोई चीज़ उन्हें उनके गोल से दूर ले जाए या उनके वक़्त को बरवाद करे तो वे दुःखी हो जाते है!!

298. साइकोलॉजी के अनुसार क्यूटनेस आक्रामकता को प्रेरित करती है, यही वजह है कि इंसान अक्सर उन चीजों को निचोड़ना / प्राप्त करना चाहते हैं , जो उसे प्यारी लगती हैं।

299. साइकोलॉजी कहता है की औसत लोगों की तुलना में बुद्धिमान लोग अधिक भुलक्कड़ होते है !!

300.साइकोलॉजी कहता है वही व्यक्ति समस्याओं से ज्यादा घिरा रहता है जो दूसरों को अच्छी सलाह देता है !!

301. साइकोलॉजी के अनुसार यदि कोई व्यक्ति आपके सामने किसी की चुगली करता है, तो समझ जायें कि वह कहीं और भी आपकी चुगली अवश्य करता है !!

302. साइकोलॉजी कहता है की जो लोग बहुत अधिक कसम खातें हैं, उनकी दोस्ती सच्ची और ईमानदार होती हैं !!

303. साइकोलॉजी कहता है कि हर बार ‘yes' नही कहना चाहिए क्योंकि लोग उनकी इज्जत करते है जिनकी कुछ सीमाएँ होती है. कभी कभी ‘no’ कहना भी ठीक है !!

304. साइकोलॉजी कहता है जब आप दुःखी होते हो उस वक़्त आप सबसे पहले जिस व्यक्ति को याद करते हो वो व्यक्ति आपके जीवन का सबसे खास व्यक्ति होता है, जिससे आप कही न कही इमोशनल लेवल में जुड़े हुए हो !!

305. साइकोलॉजी कहता है जब हम किसी के प्यार में होते हैं तो हमारे काम करने की क्षमता कम हो जाती है !!

306. साइकोलॉजी कहता है की जब भी आप किसी दो ऑप्शन के बीच फसते है तो आपका पहला ऑप्शन सही होता है !!

307.हमारा दिमाग कंप्यूटर से भी ज्यादा तेज है जो हमारी कल्पना से कई गुना ज्यादा बातें याद रखता है। लेकिन जीवन में कुछ मुश्किल है ऐसी आती हैं जिनमें हम असफल हो जाते हैं। इसी कारण हम अपने आप को कमजोर मानने लगते हैं। हमें लगता है कि हमारा दिमाग 100% काम नहीं करता .....
ऐसे में इंसान खुद को कमजोर मानने लगता है। इसीलिए हमेशा सकारात्मक सोचना चाहिए ताकि हम अपने आप को कमजोर ना समझे। तभी हम दिमाग का अच्छे से पूरा उपयोग कर सकते हैं आइए जानते हैं कि हम अपने दिमाग का 100% उपयोग कैसे कर सकते है....

308. बुद्धि ;
इसके लिए बुद्धि का तेज होना भी जरूरी है , अपने दिमाग को तेज करने के लिए पहेलियां सुलझानी चाहिए। कुछ कोडिंग गेम्स भी खेलनी चाहिए जिससे आपका दिमाग ज्यादा उपयोग होगा और मुश्किल से मुश्किल काम को करने में आसानी होगी , इसके लिए आपको पता ही होगा की पहले से ही पहेलियों का नया पेज बनाया हैं जिस पर जाने के लिए आप ऊपर दिए गए डोट पर दो से तीन बार क्लिक करे !!

309. ध्यान ;
अगर आप कोई भी काम कर रहे हो तो उस काम पर ध्यान लगाना बहुत ज्यादा जरूरी है। तभी उस काम को अच्छे से कर पाएंगे। ध्यान लगाने के लिए रोज कम से कम 15 से 30 मिनट तक मेडिटेशन और योग करें , और अगर मेडिटेशन करना आपको मुश्किल लग रहा है तो इसके लिए हम एक शानदार ट्रिक लेकर आए है जिसका लिंक हमारी प्रोफाइल के discruptiom में दिया गया है !!

310. ज्ञान ;
दिमाग को तेज करने के लिए ज्ञान भी जरूरी है और ज्ञान किताबों से मिलता है , एक अच्छी किताब पढ़ने से आप बहुत सारा ज्ञान पा सकते हैं , क्योंकि किताबों में लेखकों ने अपने जीवनभर का ज्ञान और अनुभव दिया होता है , इसके लिए हम आपके लिए बहुत जल्द ज्ञान वर्धक किताबे और साइकोलॉजी की भी बोहत अच्छी बुक्स की सीरीज लाने वाले है !!

311. याददाश्त ;
 याददाश्त तेज करने के लिए मेहनत और ध्यान जरूरी है , कुछ भी याद करने के लिए नोट्स और नेमोनिक्स का उपयोग करें , इससे आपको किसी भी चीज को याद करने में ज्यादा आसानी होगी , ओर हम पढ़ा हुआ याद केसे की इसके लिए भी बहुत जल्द आपके लिए पोस्ट लाने वाले है !!

312. सीखना
सबसे ज्यादा तेजी से सीखने का गुण बच्चों में होता है और वे आसानी से बातों को याद कर लेते हैं , बच्चों की तरह जिज्ञासा बढ़ाने के लिए आसपास की चीजों और रोचक बातों में ध्यान लगाएं , इससे आप बढ़ती उम्र में भी ज्ञान बढ़ा पाएंगे !!

313. जब हम कोई डरवाना सपना देखते है तो हम उसके बाद कुछ देर तक बॉडी काम नही करती, ऐसा इसलिए होता है क्युकी उस समय हमारा mind ये तय नही कर पता की हम सपने में है या उठ चुके है, जिसके कारण mind को हमारी बॉडी को signal देने में थोड़ा time लगा देता है !!


314.सपने में हम वही देख सकते हैं, जिसे हमने पहले कही देखा हो  इसीलिए सपने में मरने से ठीक पहले हम जग जाते हैं, क्योंकि मारे दिमाग को ये पता ही नहीं होता है कि मरने के बाद क्या होता है !!

315. " साइकोलॉजी के अनुसार " मौत आने के कुछ दिनों पहले से ही इंसान को सपने में अजीब अजीब घटनाएं दिखाई देती है जैसे की उसका परिवार टूट गया हो, या उसके किसी खास का एक्सीडेंट हो गया है

316. " साइकोलॉजी के अनुसार " 
मौत एक आसान प्रक्रिया नहीं है दुनिया में आज तक किसी को मौत आसानी से नहीं मिली हैं पूरा शरीर अंदर से कई बार टूटता है तब मौत मिलती है !!

317. एक घन्टे की डरावनी फ़िल्म देखने  से 30 मिनट तक पैदल चलने के बराबर कैलोरी जल जाती है।

318. आपको शायद नहीं पता होगा की ज्यादातर लोगो को सबसे ज्यादा डर तब " लगता है जब उनके घर के दरवाजे पर आवाज आती है या कोई दरवाजे को बजाता है और बाहर जाकर देखने पर वहा कोई नही होता हैं !!

319. "साइकोलॉजी के अनुसार अगर 
आप किसी इंसान को परखना
 चाहते है तो देखो की वो ज्यादातर 
बच्चों के साथ कैसा व्यवहार करता
 है, क्युकी कोई व्यक्ति बच्चो से जिस तरह का व्यवहार करता है, वैसा ही असलियत में वो अंदर से होता है,
 जो बाहर निकलही जाता है। "

320. "साइकोलॉजी के अनुसार आपके
 विचार उन चीजों से बनते हैं जो
 चीजें आप देखते, सुनते और पढ़ते
 हैं। अगर आप अपने आप को 
बदलना चाहते हैं तो उन चीजों को
 भी बदल दीजिए जो आप देखते,
 सुनते और पढ़ते हैं। "

321. "साइकोलॉजी के अनुसार जिस
 व्यक्ति का संबंध अपने परिवार 
के साथ खुशनुमा रहता है, और
 जिसके सच्चे मित्र होते है, ऐसा 
व्यक्ति अपने जीवन में ज्यादा 
सुखी रहता है।'

322. "साइकोलॉजी के अनुसार एक
 इंसान को अपने बारे में सुनना 
सबसे ज्यादा पसंद है इसलिए
 अगर आप किसी व्यक्ति को 
इंप्रेस करना चाहते हैं तो उस 
व्यक्ति के बारे में बात करें ।'

323. "साइकोलॉजी के अनुसार, अगर
 आप किसी भी व्यक्ति को ज्यादा
 सुधारना चाहोगे तो वो आपका
 दुश्मन बन जायेगा ।

 324. "साइकोलॉजी के अनुसार जब
 दो इन्सान बहुत समय से साथ
 होते तो इस दौरान उन दोनों की
 दिमागी रिलेशनशिप मजबूत हो
 जाती है और कभी कभी वो एक
 ही समय में समान शब्द का
 उच्चारण कर देते है। "

325. "साइकोलॉजी के अनुसार खाने
 की चीज़ कम के हो और दो बच्चों 
में बांटना हो तो एक बच्चे को उसे
 बराबर बांटने को और दूसरे बच्चे
 को पहला piece उठाने को कहें,
 कभी झगड़ा नही होगा।"

326. दिमाग तेज करने के लिए सिर में मेहंदी लगाए और दही खाए. क्योकिं दही में अमीनो ऐसिड होता हैं जिससे टेंशन दूर होती हैं और दिमाग़ की क्षमता बढ़ती हैं.

327. अगर दिमाग़ से “Amygdala” नाम का हिस्सा निकाल दिया जाए तो इंसान का किसी भी चीज से हमेशा के लिए डर खत्म हो जाएगा.

328. Brain (दिमाग) और Mind (मन) दो अलग-अलग चीजे हैं वैज्ञानिक आज तक पता नही लगा पाए कि मन शरीर के किस हिस्से में हैं.

329. हमारे दिमाग़ में एक “मिडब्रेन डोपामाइन सिस्टम” (एमडीएस) होता है, जो घटने वाली घटनाओं के बारे में मस्तिष्क को संकेत भेजता हैं हो सकता की हम इसे ही अंतर्ज्ञान अथवा भविष्य के पूर्वानुमान कहते हैं. जिस व्यक्ति के दिमाग में यह सिस्टम जितना ज्यादा विकसित होता है वह उतनी ही सटीक भविष्यवाणी कर सकता हैं.

330.क्या हमारे दिमाग कि memory Full हो सकती है ?

Ans. हमारे दिमाग की memory unlimited होती हैं यह कंप्यूटर की तरह कभी नही कहेगा कि memory full हो गई. वो अलग बात है कि पुरानी बिना काम की चीजें यह अपने आप भूल जाता है लेकिन किसी के याद दिलाने पर वो चीजें तुरंत याद आ जाएगी। अब खुलकर जो मर्जी याद करो..

331. दिमाग तेज करने का सबसे आसान उपाय ?

Ans. दिमाग तेज करने का सबसे आसान उपाय हैं, जमकर पानी पाएँ। 1 गिलास पानी पीने से दिमाग 14% तेजी से काम करता हैं. जब तक प्यास शांत नही होती तब तक मनुष्य के दिमाग को ध्यान केंद्रित करने में कठिनाई होती हैं.

332. एक ही बार बुलाने पर आप भागे चले जाते हैं, जिससे आपकी वैल्यू कम होती है, ये हैं आपकी पहली गलती !!

 333. आप कुछ लोगों को उनकी औकात से ज्यादा प्यार दे देते हैं इसीलिए आपको Ignore किया जाता है, , आपकी दूसरी गलती !!

 334.आप बहुत ज्यादा और खुलकर बोलते हैं इसीलिए आपको Ignore किया जाता है, आपकी तीसरी गलती !!

335.आप अपना इम्प्रेशन जमाने के चक्कर मे कभी कभी ओवर  रिएक्ट कर जाते हैं इसीलिए लोग आपको Ignore करते हैं, चौथी गलती !!

 336.पांचवी गलती, आप करते कम हैं और बोलते ज्यादा हैं इसीलिए लोग आपको इतनी इज्जत नहीं देते !!

337. छठी गलती आप अपना समझकर अपने दिल की बात बताते हैं और वो आपसे बोर हो जाते हैं इसीलिए वो आपसे बचते हैं !!

338. जब भी आपको गुस्सा आने लगे तो मुंह से कुछ भी बोलने से पहले 10 तक उलटी गिनती गिनना शुरू कर दें. जिससे आप आराम मेहसूस
करोगे और गुस्सा कम हो जाएगा !!

339. गुस्सा आ गया है तो इससे कुछ ग़लत ना हो इसलिए आपको जब भी गुस्सा आये तो आप कुछ अच्छा सोचने लगें , इसके लिए आप अपनी आंखे बंद कर लें और फिर कुछ भी सोचे!!

340. अगर आपको Music सुनना अच्छा लगता हो तो music सुनिए जिससे आप का गुस्सा भाग जाएगा अगर आप को Meditation आता है तो 2 मिनट meditation कर लें या आँखे बंद करके लम्बी लम्बी साँस ले !!

341. गुस्से को अपने अंदर रखना अच्छी बात नहीं है इसलिए गुस्से को निकालने के लिए एक जगह चुने और वहां जाकर अपना सारा गुस्सा चिल्लाकर या किसी तरह बहार निकाल दिजिए !!

342.आप जो भी बोलते हैं उसपर ध्यान देना शुरू करें , आप सोच समझकर बोलेंगे तो ना आपको गुस्सा आएगा और ना ही दुसरों को आप पर गुस्सा आएगा!!

343. नींद पूरी लें ,  कम नींद की वजह से आपका मिजाज चिड़चिड़ा रहता है और आपको गुस्सा अधिक आता है !!
344.साइकोलॉजी कहता है जब कोई लड़की आपसे ज्यादा सवाल पूछती है तो समझो वह आपमें Interested है !!

345. साइकोलॉजी कहता है जो लोग शीशे के सामने खड़े होकर Confidence के साथ बोल सकते हैं वो Mentally strong होते हैं !!

346.अपने जीवन में हम जितने खुश रहेगे उतनी ही कम नींद की आवश्यकता होगी, और जितना दुखी रहेंगे नींद की उतनी ही अधिक आयाशकता होगी, इसलिए हमेशा खुश रहने की कोशिश करें !!

347.साइकोलॉजी कहता है जिन लोगों में सेल्फ कॉन्फिडेंस होता है वो अक्सर दूसरों में बहुत कमियां निकालते हैं, इसलिए जो भी काम करे confindance से करे, दूसरो की गलतियां निकाल कर अपना time वेस्ट ना करे !!

348.साइकोलॉजी कहता है कि महिलाओं की Body में पुरुषों से कहीं ज्यादा दर्द रहता है, हालांकि वो इस दर्द को सहन करने में पुरुषों से ज्यादा सक्षम हैं!

349.साइकोलॉजी कहता है कि लड़कियों के मुकाबले लड़के कम हंसमुख होते हैं, हालांकि वो Jokes बनाने में माहिर होते हैं !!

350."साइकोलॉजी के अनुसार" देर रात में सोने वालों के सपनों में ज्यादातर नेगेटिव घटनाएं घटित होती हैं, उन्हें सपने में खुद के द्वारा किए हुए कुकर्मों और सत्कर्मों का प्रतिरूप दिखाई पड़ता है!!

351. "साइकोलॉजी के अनुसार" देर रात तक जागने वालों के सामाजिक संबंध खराब होने लगते हैं, यह अपनों में ही कमियां निकालना शुरू कर देते हैं !!

352. "साइकोलॉजी के अनुसार" देर रात में सोने वाले एक अच्छे वक्ता और अच्छे एडवाइजर होते हैं, इनकी सलाह वास्तव में कबीले तारीफ होती है !!

353. "साइकोलॉजी के अनुसार" देर रात में सोने वाले दूसरों की बजाय खुद पर ज्यादा मेहनत करते हैं, इनकी लिखावट काफी अच्छी होती है!!

354. "साइकोलॉजी के अनुसार" देर रात में सोने वाले समय के साथ शक्की मिजाज के हो जाते हैं!!

355. "साइकोलॉजी के अनुसार" देर रात में सोने वालों में 5% ही अपनी जीवन में खुद की ऊंचाइयों को हासिल कर पाते है , जबकि 95% उन 5% को अपना आइडल मानते हुए खुद को भी उन्ही के के जैसा बनाने का प्रयास करते है!!

356. साइकोलॉजी कहता है कि आप जितना ज्यादा साइकोलॉजी जानते हैं आपके सक्सेस होने के चांस 70% बढ़ जाता है जिससे आप अपने कामों को जल्दी पूरा कर सकते हैं !!


1.दुनिया में ऐसा कोई कपल नहीं है जिनके जीवन में कभी जगडा नहीं हुआ हो।

2. "साइकोलॉजी के अनुसार अगर आप किसी को हद से ज्यादा चाहते हैं तो उसका थोड़ा सा बिजी होना भी आपको Ignorance Feel करा सकता है !

3. लडकियों को तब सबसे ज्यादा अच्छा लगता है जब उसका प्रेमी रोड पे चलते समय उसका हाथ पकड़कर चले !

4.मर्दों में टेस्टोस्टेरोन हार्मोन महिलाओं की तुलना में 20% ज्यादा होता है। जिसकी वजह से महिलाओं की तुलना में लड़के ज्यादा रोमांटिक बने रहते हैं ।

5.आप जिस व्यक्ति से जितनी 
अधिक बाते करते हैं उसके साथ प्यार में पड़ने की संभवना उतनी अधिक
 हो जाती हैं !!

6. यदि आप किसी के बारे में जागते हुए सपने देखते हैं तो इसका मतलब है कि आप उसे मिस कर रहे हैं।

7. क्या यह बात आप जानते हैं कि हम जिस इंसान से प्यार करते हैं उससे ज्यादा समय तक गुस्सा नहीं रह सकते । अगर वह गुस्सा कुछ दिन आगे बढ़ जाए तो समझ जाना चाहिए कि उस इंसान को आपसे सच्चा प्यार ही नहीं था !

 8.दुनिया में ज्यादातर लोगों को अपना पहला प्यार 15 से 18 साल की उम्र में होता है। आपको कब हुआ था कमेंट बॉक्स में जरूर बताये।


प्रश्न:- लडकियों में वो क्या होता है जो बड़ी जल्दी बहार निकल आते है?

उत्तर:- आंसू - लडकियों में आंसू ही एक ऐसी चीज़ है जो बात बात पर बहाने लगाती है

प्रश्न:- वह क्या चीज़ है जिसे लडकियों में आसानी से डाला जा सकता है?

उत्तर:- शंका - शंका यानी सक करने की बीमारी लडकियों में आसानी से डाला जा सकता है ।

प्रश्न:- वह कौन सी चीज है जिसे जितना ही साफ़ किया जा सकता है वो उतना ही काला हो जाता है?

उत्तर:- ब्लैक बोर्ड - आप ब्लैक बोर्ड को जितना साफ़ करते है वो उतना ही काला होता जाता है

प्रश्न:- इन्सान के शारीर का सबसे ज्यादा व्यस्त अंग कौन सा है?

उत्तर:- ह्रदय और दिमाग - ये दोनों अंग कभी आराम नहीं करते है ।

्रश्न:- जब होठ से होठ मिलते है तो क्या होता है?

उत्तर:- मुह बंद हो जाता है - आप अपने दोनों होठ को मिला के देखिये

प्रश्न:- पति का छोटा हो या बड़ा शादी के बाद पत्नी को लेना ही पड़ता है?

उत्तर:- सरनेम - शादी के बाद हर लड़की को अपने नाम के बाद अपने पति का सरनेम लगाना पड़ता है ।

अगर आप कुछ नया करने जा रहे हैं और
आपको मन में लग रहा है कि आप नहीं कर पाएंगे उसी वक्त आप शीशे के सामने खड़े होकर खुद से पूछे कि मे क्यों नहीं कर पाऊंगा/ पाऊँगी...
आपको जवाब मिल जाएगा। और शीशे के सामने खड़े होकर खुद से सवाल पूछने पर आपके आत्मविश्वास विश्व में
भी सुधार होगा।

साइकोलॉजी कहता है कि अपने दिमाग को खुश होने के लिए फिर से प्रोग्राम कर सकते हैं बस आपको 21 दिन तक लगातार यह वाक्य बोलते रहना है - I'm happy for this day और मेरे पास जो भी है उसके लिए मैं धन्यवाद देता है!

मनोवैज्ञानिकों के अनुसार दोस्त बनाने का सबसे आसान तरीका है की 20% बोलो और 80% सुने!!

साइकोलॉजी के अनुसार जब आप खुद से प्यार करने और खुद पर ध्यान देने लगते है, उस वक्त आप ज्यादा सुंदर मजबूत और आत्मविश्वासी नजर आने लगते है।


 

बुधवार, 22 दिसंबर 2021

Hindi Kahaniya/ Hindi story/ Inspirational Hindi Kahaniya/ Motivational Hindi Kahaniya.





 (1)                                                "अपनी पड़ताल स्वयं करे"


"दूसरों की आलोचना करने वालों को इस घटना को भी स्मरण रखना चाहिए।"👇🏻👇🏻


   --एक व्यक्ति के बारे में मशहूर हो गया कि उसका चेहरा बहुत मनहूस है। लोगों ने उसके मनहूस होने की शिकायत राजा से की। राजा ने लोगों की इस धारणा पर विश्वास नहीं किया ,लेकिन इस बात की जाँच खुद करने का फैसला किया। राजा ने उस व्यक्ति को बुला कर अपने महल में रखा और एक सुबह स्वयं उसका मुख देखने पहुँचा। संयोग से व्यस्तता के कारण उस दिन राजा भोजन नहीं कर सका।वह इस नतीजे पर पहुंचा कि उस व्यक्ति का चेहरा सचमुच मनहूस है। उसने जल्लाद को बुलाकर उस व्यक्ति को मृत्युदंड देने का हुक्म सुना दिया।जब मंत्री ने राजा का यह हुक्म सुना तो उसने पूछा ,"महाराज!इस निर्दोष को क्यों मृत्युदंड दे रहे हैं ?राजा ने कहा ,"हे मंत्री! यह व्यक्ति वास्तव में मनहूस है ।आज सर्वप्रथम मैंने इसका मुख देखा तो मुझे दिन भर भोजन भी नसीब नहीं हुआ ।,इस पर मंत्री ने कहा ,"महाराज क्षमा करें ,प्रातः इस व्यक्ति ने भी सर्वप्रथम आपका मुख देखा। आपको तो भोजन नहीं मिला, लेकिन आपके मुखदर्शन से तो इसे मृत्युदंड मिल रहा है। अब आप स्वयं निर्णय करें कि कौन अधिक मनहूस है ।"राजा भौंचक्का रह गया।उसने इस दृष्टि से तो सोचा ही नहीं था। राजा को किंकर्तव्यविमूढ़ देख कर मंत्री ने कहा, "राजन्! किसी भी व्यक्ति का चेहरा मनहूस नहीं होता। वह तो भगवान की देन है। मनहूसियत हमारे देखने या सोचने के ढंग में होती है। आप कृपा कर इस व्यक्ति को मुक्त कर दें। राजा ने उसे मुक्त कर दिया। उसे सही सलाह मिली।

              

(2) 

                                                                         *स्वर्ग की मिट्टी*


*एक पापी इन्सान मरते वक्त बहुत दुख और पीड़ा भोग रहा था। लोग वहाँ काफी संख्या मेँ इक्ट्ठे हो गये, वहीँ पर एक महापुरूष आ गये, पास खड़े लोगोँ ने महापुरूष से पूछा कि आप इसका कोई उपाय बतायेँ जिससे यह पीड़ा से मुक्त होकर प्राण त्याग दे और ज्यादा पीड़ा ना भोगे।*

 

*महापुरूष ने बताया कि अगर स्वर्ग की मिट्टी लाकर इसको तिलक किया जाये तो ये पीड़ा से मुक्त हो जायेगा। ये सुनकर सभी चुप हो गये। अब स्वर्ग कि मिट्टी कहाँ से और कैसे लायेँ ?*

 

*महापुरुष की बात सुन कर एक छोटा सा बच्चा दोड़ा दोड़ा गया और थोड़ी देर बाद एक मुठ्ठी मिट्टी लेकर आया और बोला ये लो स्वर्ग की मिट्टी इसे तिलक कर दो। बच्चे की बात सुनकर एक आदमी ने मिट्टी लेकर उस आदमी को जैसे ही तिलक किया कुछ ही क्षण मेँ वो आदमी पीड़ा से एकदम मुक्त हो गया।*


*ये चमत्कार देखकर सब हैरान थे, क्योँकि स्वर्ग की मिट्टी कोई कैसे ला सकता है ? और वो भी एक छोटा सा बच्चा। हो ही नहीँ सकता।*


*महापुरूष ने बच्चे से पूछा-बेटा! ये मिट्टी तुम कहाँ से लेकर आये हो ? पृथ्वी लोक पे कोन सा स्वर्ग है जहाँ से तुम कुछ ही पल मेँ ये मिट्टी ले आये?*


*लड़का बोला-बाबा जी एक दिन हमारे स्कूल की टीचर ने बताया था कि माँ के चरणोँ मेँ सबसे बड़ा स्वर्ग है, उसके चरणोँ की धुल से बढ़कर दूसरा कोई स्वर्ग नहीँ। इसलिये मैँ ये मिट्टी अपनी माँ के चरणोँ के नीचे से लेकर आया हूँ।*


*व बच्चे मुँह से ये बात सुनकर महापुरूष बोले-बिल्कुल बेटे माँ के चरणो से बढ़कर इस जहाँ मेँ दूसरा कोई स्वर्ग नहीँ। और जिस औलाद की वजह से माँ की आँखो मेँ आँसू आये ऐसी औलाद को नरक इस जहाँ मेँ ही भोगना पड़ता है।*


*इसलिये अगर आप चाहे कितनी भी तरक्की कर लेँ, कितना भी रूपया पैसा जमा कर लेँ आसमां की उच्चाईयोँ को क्योँ ना छू लेँ जब तक आपकी वजह से माँ खुश नहीँ है तब तक वो भगवान भी आपसे खुश नहीँ होगा। कोई भी दान, पुण्य और तीर्थ करने का फल आपको नहीँ मिलेगा*।

*-प्रस्तुतिकरण-*

*पं. कमल कुमार शर्मा*

*(ज्योतिष प्रवीण)*

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  (3)

                                                                          "गुरु का महत्त्व"

 एक कुम्हार को मिट्टी खोदते हुए अचानक एक हीरा मिल गया, उसने उसे अपने गधे के गले में बांध दिया

एक दिन एक बनिए की नजर गधे के गले में बंधे उस हीरे पर पड़ गई, उसने कुम्हार से उसका मूल्य पूछा

कुम्हार ने कहा:- सवा सेर गुड़

बनिए ने कुम्हार को सवा सेर गुड़ देकर वह हीरा खरीद लिया!

बनिए ने भी उस हीरे को एक चमकीला पत्थर समझा था, लेकिन अपनी तराजू की शोभा बढ़ाने के लिए उसकी डंडी से बांध दिया!

एक दिन एक जौहरी की नजर बनिए के उस तराजू पर पड़ गई, उसने बनिए से उसका दाम पूछा

 बनिए ने कहा:- पांच रुपए

जौहरी कंजूस व लालची था, हीरे का मूल्य केवल पांच रुपए सुन कर समझ गया कि बनिया इस कीमती हीरे को एक साधारण पत्थर का टुकड़ा समझ रहा है!

वह उससे भाव-ताव करने लगा-पांच नहीं,चार रुपए ले लो!

बनिये ने मना कर दिया क्योंकि उसने चार रुपए का सवा सेर गुड़ देकर खरीदा था

जौहरी ने सोचा कि इतनी जल्दी भी क्या है ? कल आकर फिर कहूंगा, यदि नहीं मानेगा तो पांच रुपए देकर खरीद लूंगा

संयोग से दो घंटे बाद एक दूसरा जौहरी कुछ जरूरी सामान खरीदने उसी बनिए की दुकान पर आया

तराजू पर बंधे हीरे को देखकर वह चौंक गया, उसने सामान खरीदने के बजाए उस चमकीले पत्थर का दाम पूछ लिया

बनिए के मुख से पांच रुपए सुनते ही उसने झट जेब से निकालकर उसे पांच रुपये थमाए और हीरा लेकर खुशी-खुशी चल पड़ा

दूसरे दिन वह पहले वाला जौहरी बनिए के पास आया, पांच रुपए थमाते हुए बोला:- लाओ भाई दो वह पत्थर

बनिया बोला:- वह तो कल ही एक दूसरा आदमी पांच रुपए में ले गया

यह सुनकर जौहरी ठगा सा महसूस करने लगा

अपना गम कम करने के लिए बनिए से बोला:- "अरे मूर्ख..! वह साधारण पत्थर नहीं, एक लाख रुपए कीमत का हीरा था"

बनिया बोला:- "मुझसे बड़े मूर्ख तो तुम हो, मेरी दृष्टि में तो वह साधारण पत्थर का टुकड़ा था, जिसकी कीमत मैंने चार रुपए मूल्य के सवा सेर गुड़ देकर चुकाई थी, पर तुम जानते हुए भी एक लाख की कीमत का वह पत्थर, पांच रुपए में भी नहीं खरीद सके"

दोस्तों, हमारे साथ भी अक्सर ऐसा होता है, हमें हीरे रूपी सच्चे शुभचिन्तक मिलते हैं, लेकिन अज्ञानतावश पहचान नहीं कर पाते और उसकी उपेक्षा कर बैठते हैं, जैसे इस कथा में कुम्हार और बनिए ने की!

कभी पहचान भी लेते हैं, तो अपने अहंकार के चलते तुरन्त स्वीकार नहीं कर पाते और परिणाम पहले जौहरी की तरह हो जाता है और पश्चाताप के अतिरिक्त कुछ हासिल नहीं हो पाता।

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(4)

                                      "किसी के बारे में धारणा बनाने से पहले सच्चाई जाने"

एक बार ट्रेन से पिता-पुत्र यात्रा कर रहे थे, पुत्र की उम्र करीब 24 साल की थी, पुत्र ने खिड़की के पास बैठने की ज़िद की, क्योंकि पिता खिड़की की सीट पर बैठे थे। पिता ने ख़ुशी ख़ुशी खिड़की की सीट पुत्र को दे दी, और खुद बगल में बैठ गये। ट्रेन में आस पास और भी यात्री बैठे थे, ट्रेन चली तो पुत्र बड़ी उत्सुकता से चिल्लाने लगा “देखो पिता जी नदी, पुल, पेड़ पीछे जा रहे है, बादल भी पीछे छूट रहे है। पिता भी उसकी हाँ में हाँ मिला रहे था।

उसकी ऐसी हरकतों को देखकर वहां बैठे यात्रियों को लगा कि शायद इस लड़के को कोई दिमागी समस्या है, जिसके कारण यह ऐसी हरकत कर रहा है।

पुत्र बहुत देर तक ऐसी अजीबोगरीब हरकत करता रहा। तभी पास बैठे एक यात्री ने पिता से पूछा कि- आप अपने पुत्र को किसी अच्छे डॉक्टर को क्यों नही दिखाते? क्योंकि उसकी हरकत सामान्य नहीं है, हो सकता है की कोई दिमागी बीमारी हो। उस यात्री की बात सुनकर पिता ने कहा- हम अभी डॉक्टर के पास से ही आ रहे हैं। पिता की सुनकर यात्री को आश्चर्य हुआ।

पिता ने बताया कि- मेरा पुत्र जन्म से ही अंधा था। कुछ दिन पहले ही इसको आँखों की रौशनी प्राप्त हुई है, इसे किसी दूसरे की आँखें लगाई गई हैं, और जीवन में पहली बार यह दुनिया को देख रहा है। यह इसलिए ऐसी हरकत कर रहा है, क्योंकि ये सारी चीजें इसके लिए एकदम नई है। ठीक वैसे ही जैसे किसी छोटे बच्चे के लिए होती हैं। पिता की बात सुनकर आस-पास बैठे लोगों को अपनी गलती का अहसास हुआ और उन्होंने पुत्र के पिता से माफी भी मांगी।


शिक्षा:- दोस्तों जिंदगी में कई बार हम बिना सच्चाई जाने ही कुछ लोगों के प्रति अपनी एक राय बना लेते हैं। क्योंकि हम उसके बारे में वही सोचते हैं, जो हमें दिखाई देता है। इसलिए किसी के बारे में राय बनाने से पहले हमे उसकी सच्चाई जान लेनी चाहिए। जिससे बाद में सच्चाई का पता लगने पर शर्मिंदा ना होना पड़े।

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(5) 

                                                                   "ज्ञान और अनुभव"

एक राजा था। उसने सुना कि राजा परीक्षित् ने भागवत की कथा सुनी तो उनका कल्याण हो गया। राजा के मन में आया कि अगर मैं भी भागवत की कथा सुन लूँ तो मेरा भी कल्याण हो जायगा।

ऐसा विचार करके राजा ने एक पण्डित जी से बात की। पण्डित जी भागवत सुनाने के लिये तैयार हो गये। निश्चित समय पर भागवत-कथा आरम्भ हुई। सात दिन बीतने पर कथा समाप्त हुई। 

दूसरे दिन राजा ने पण्डितजी को बुलाया और कहा:- “पण्डित जी! न तो आपने भागवत सुनाने में कोई कमी रखी, न मैंने सुनने में कोई कमी रखी, फिर भागवत सुनने पर कोई फर्क तो नहीं पडा, बात क्या है?”

पण्डित जी ने कहा:- “महाराज! इसका उत्तर तो मेरे गुरु जी ही दे सकते हैं।"

राजा ने कहा:- “आप अपने गुरु जी को आदरपूर्वक यहाँ लायें, हम उनसे पूछेंगे।"

पण्डित जी अपने गुरु जी को लेकर राजा के पास आये। राजा ने अपनी शंका गुरु जी के सामने रखी कि.. "भागवत सुनने पर भी मेरा कल्याण क्यों नहीं हुआ? मन की हलचल क्यों नहीं मिटी?"

गुरूजी ने राजा से कहा कि थोड़ी देर के लिये मुझे अपना अधिकार दे दो। राजा ने उनकी बात स्वीकार कर ली। 

गुरु जी ने आदेश दिया कि राजा और पण्डित जी दोनों को बाँध दो। राजपुरुषों ने दोनों को बाँध दिया। 

अब गुरूजी ने पण्डित जी से कहा कि.. "तुम राजा को खोल दो।"

पण्डित जी बोले:- “मैं खुद बँधा हुआ हूँ, फिर राजा को कैसे खोल सकता हूँ!”

गुरु जी ने राजा से कहा:- *“तुम पण्डित जी को खोल दो।”

राजा ने भी यही उत्तर दिया कि.. "मैं खुद बँधा हूँ, पण्डित जी को कैसे खोलूँ?"

गुरु जी ने कहा:- “महाराज! मैंने आपके प्रश्न का उत्तर दे दिया!”

राजा ने कहा:- "मैं समझा नहीं!"

गुरूजी बोले:- “जैसे खुद बँधा हुआ आदमी दूसरे को बन्धन-मुक्त नहीं कर सकता है, वैसे ही स्वयं ज्ञान को अपने अनुभव में उतारे बिना कोई दूसरे का कल्याण कैसे कर सकता है? अर्थात नहीं कर सकता है।”

शास्त्रों-श्रुतियों-स्मृतियों का ज्ञान जब तक स्वयं के चिंतन-मनन-अनुभव में न उतार लिया जाए मात्र उनके श्रवण-कीर्तन से कल्याण की कामना करना वैसे ही है जैसे बिना दवा निगले रोगी के स्वस्थ हो जाने की आशा करना।

शिक्षा:- बिना अनुभव में लाया हुआ सम्पूर्ण शास्त्र-ज्ञान व्यर्थ है जबकी अनुभव किया गया शास्त्र का एक वाक्य भी जीवन का कल्याण करने में समर्थ है।

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(6)

                                                    "आनंद का असली अर्थ"

       सिकंदर महान ने एक बार आश्चर्य प्रकट करते हुए डायोजनीज से पूछा डायोजनीज, क्या में जान सकता हूं कि तुम इतने आनंदित क्यों हो? इतने बेफ्रिक क्यों हो? इतने आराम से क्यों हो? डायोजनीज ने प्रश्न के उत्तर में सिकंदर से उल्टा प्रश्न किया सिकंदर, मैं तुझसे पूछता हूं कि तू इतना दुखी है? तेरे पास किस चीज की कमी है?

तेरे पास धन, ऐश्वर्य, मान-सम्मान, राजपाट सभी कुछ है। 

सिकंदर ने उत्तर दिया:- डायोजनीज, मेरी इच्छा विश्वविजय की है। मैं एक बार सारे जगत का सम्राट बनना चाहता हूं। मैं सारा विश्व जीतने के अभियान पर निकला हूं। जब तक मैं पूरा विश्व नहीं जीत लेता, मैं दुखी हूं। मैं बेचैन हूं।

 डायोजनीज ने कहा:- सिकंदर, मान लो कि तुमने सारा विश्व जीत लिया है, तुम विश्वविजेता बन गए हो। अब बताओ, तुम क्या करोगे? सिकंदर को तत्काल कोई जवाब नहीं सूझा। आज तक उसने कभी भी इस बारे में तो सोचा तक न था कि विश्वविजेता बनने के बाद मैं क्या करूंगा।

सिकंदर थोड़ा ठिठका। उसने थोड़ी देर तक कुछ सोचा,

फिर सोचकर बोला:- डायोजनीज, उसके बाद मैं भी तुम्हारी तरह आनंदित होऊंगा और आराम करूंगा। डायोजनीज हंसा और हंसता ही रहा।

फिर कुछ देर बाद बोला:- सिकंदर, अगर तुम इस तरह बेफिक्र हो, आनंदित हो, आराम ही करना चाहते हो तो उसमें अभी क्या अड़चन है? वह तो तुम अभी इसी समय से कर सकते हो उसके लिए तुम्हें किसने कहा कि पहले विश्वविजय करनी पड़ेगी! तुम चाहो तो अभी इसी समय मेरे साथ बैठकर बेफिक्र होकर आराम कर सकते हो, आनंदित हो सकते हो।


निष्कर्ष:- आनंद का असली अर्थ मन की शांति है, धन-दौलत नहीं।

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(7)

                                             "गुत्थियों का हल अपने भीतर है"

        इस संसार में कोई बुराई नहीं है, कोई प्रतिकूलता नहीं है, ऐसा नहीं क़हा जा रहा है और न ही यह प्रेरणा दी जा रही है कि बाह्य जगत में जो बुराइयाँ एवं त्रुटियाँ हैं, उन्हें सुधारा या बदला जाए । यह तो करना ही चाहिए, पर साथ ही साथ यह भी स्मरण रखना चाहिए कि सारे संसार को सुधार लेना या इच्छानुकूल बना लेना संभव नहीं है । सारी पृथ्वी पर फैले हुए काँटे नहीं बीने जा सकते, पर अपने पैरों में जूते पहने जा सकते हैं, जिससे काँटों का प्रभाव समाप्त हो जाए ।


        अपना सुधार करना, अपने दृष्टिकोण को परिमार्जित करना, जूते पहनकर काँटों से निश्चिंत होने के समान ही है । बाह्य जगत की बुराइयों को सुधारने के लिए भी अपनी "उत्कृष्टता" आवश्यक है । गरम लोहे को गरम लोहे से नहीं, ठंडे लोहे से ही  काटा जा सकता है । कीचड़ को कीचड़ से नहीं, शुद्ध जल से ही धोया जा सकता है । क्रोध को क्रोध से नहीं, शांति से परास्त किया जा सकता है । यदि हम स्वयं मलिन होंगे, बुराइयों से सने होंगे, तो दूसरों का सुधार कैसे कर सकेंगे ? यदि अंतःकरण में उलझनों का जाला तना है, तो बाहर की गुत्थियों को सुलझाया जा सकना किस प्रकार संभव होगा ?


        इन पहेलियों को सुलझाते हुए हम यह न भूलें कि अधिकांश समस्याओं का समाधान हमारे अपने ही  अंदर मौजूद है । "अपने को सुधारना," "अपने को बनाना," "अपने को बढ़ाना" ही वह उपाय है, जिससे दुनियाँ सुधर सकती है ।

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     (8)                                                   "अभ्यास का महत्त्व"


    प्राचीन समय में विद्यार्थी गुरुकुल में रहकर ही पढ़ा करते थे। बच्चे को शिक्षा ग्रहण करने के लिए गुरुकुल में भेजा जाता था। 

बच्चे गुरुकुल में गुरु के सानिध्य में आश्रम की देखभाल किया करते थे और अध्ययन भी किया करते थे।

वरदराज को भी सभी की तरह गुरुकुल भेज दिया गया। 

वहां आश्रम में अपने साथियों के साथ घुलने मिलने लगा।

लेकिन वह पढ़ने में बहुत ही कमजोर था। 

गुरुजी की कोई भी बात उसके बहुत कम समझ में आती थी। इस कारण सभी के बीच वह उपहास का कारण बनता है।

उसके सारे साथी अगली कक्षा में चले गए लेकिन वो आगे नहीं बढ़ पाया।

गुरुजी जी ने भी आखिर हार मानकर उसे बोला, “बेटा वरदराज! मैने सारे प्रयास करके देख लिये है। 

अब यही उचित होगा कि तुम यहां अपना समय बर्बाद मत करो। 

अपने घर चले जाओ और घरवालों की काम में मदद करो।”

वरदराज ने भी सोचा कि शायद विद्या मेरी किस्मत में नहीं हैं। और भारी मन से गुरुकुल से घर के लिए निकल गया गया।

दोपहर का समय था। रास्ते में उसे प्यास लगने लगी। 

इधर उधर देखने पर उसने पाया कि थोड़ी दूर पर ही कुछ महिलाएं कुएं से पानी भर रही थी। वह कुवे के पास गया।

वहां पत्थरों पर रस्सी के आने जाने से निशान बने हुए थे,तो उसने महिलाओ से पूछा, “यह निशान आपने कैसे बनाएं।”

तो एक महिला ने जवाब दिया, “बेटे यह निशान हमने नहीं बनाएं। यह तो पानी खींचते समय इस कोमल रस्सी के बार बार आने जाने से ठोस पत्थर पर भी ऐसे निशान बन गए हैं।”

वरदराज सोच में पड़ गया। 

उसने विचार किया कि जब एक कोमल से रस्सी के बार-बार आने जाने से एक ठोस पत्थर पर गहरे निशान बन सकते हैं तो निरंतर अभ्यास से में विद्या ग्रहण क्यों नहीं कर सकता।

वरदराज ढेर सारे उत्साह के साथ वापस गुरुकुल आया और अथक कड़ी मेहनत की। 

गुरुजी ने भी खुश होकर भरपूर सहयोग किया।

कुछ ही सालों बाद यही मंदबुद्धि बालक वरदराज आगे चलकर संस्कृत व्याकरण का महान विद्वान बना। जिसने लघुसिद्धान्‍तकौमुदी, मध्‍यसिद्धान्‍तकौमुदी, सारसिद्धान्‍तकौमुदी, गीर्वाणपदमंजरी की रचना की।


शिक्षा:- दोस्तो अभ्यास की शक्ति का तो कहना ही क्या हैं। यह आपके हर सपने को पूरा करेगी। अभ्यास बहुत जरूरी है चाहे वो खेल मे हो या पढ़ाई में या किसी ओर चीज़ में। बिना अभ्यास के आप सफल नहीं हो सकते हो।

अगर आप बिना अभ्यास के केवल किस्मत के भरोसे बैठे रहोगे, तो आखिर मैं आपको पछतावे के सिवा और कुछ हाथ नहीं लगेगा। इसलिए अभ्यास के साथ धैर्य, परिश्रम और लगन रखकर आप अपनी मंजिल को पाने के लिए जुट जाए।

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(9)

  *मौत से लडकर बने मैराथन धावक - Major D.P. singh Indian Blade Runner Motivational Story* 

 

15 जुलाई 1999, भारत पाकिस्तान कारगिल युद्ध--


हिमालय के युद्ध क्षेत्र में मेजर देवेन्द्र पाल सिंह (Major Devender Pal Singh) दुश्मनों से लड़ते हुए बुरी तरह से घायल हो चुके थे| एक तोप का गोला उनके नजदीक आ फटा| उन्हें नजदीकी फौजी चिकित्सालय लाया गया, जहाँ उन्हें मृत घोषित कर दिया गया|

लेकिन 25 वर्ष का वो नौजवान सैनिक मरने को तैयार नहीं था |

जब उन्हें नजदीकी मुर्दाघर ले जाया गया, तो एक अन्य चिकित्सक ने देखा कि अभी तक उनकी साँसे चल रही है| मोर्टार बम्ब के इतने नजदीक से फटने के बाद किसी भी सामान्य व्यक्ति का बचना नामुनकिन होता है, लेकिन देवेन्द्र पाल सिंह कोई सामान्य व्यक्ति नहीं थे| वे मौत से लड़ने को तैयार थे|

लहूलुहान देवेन्द्रपाल सिंह की अंतड़िया खुली हुई थी| चिकित्सको के पास कुछ अंतड़िया काटने के अलावा कोई चारा नही था| उन्हें बचाने के लिए उनका एक पैर भी काटना पड़ा, लेकिन किसी भी कीमत पर मेजर मरने को तैयार नही थे |

मेजर ने इस हादसे में न केवल अपना एक पैर खोया बल्कि वे कई तरह की शारीरिक चोटों और समस्याओं से घिर चुके थे – उनकी सुनने की क्षमता कम हो चुकी थी, उनके पेट का कई बार ऑपरेशन हुआ|

आज इतने वर्षों बाद भी बम के 40 टुकड़े उनके शरीर के अलग अलग भागों में मौजूद है जिसे निकाला नहीं जा सका|

देवेन्द्र कहतें है –

“वास्तविकता को समझना और उस पर पार पाना बहुत लोगों के लिए कठिन होता है} लेकिन मैं और मेरे साथी जो घायल हुए थे, हमारे लिए ये गौरव की बात थी| क्योंकि हम हमारे देश की रक्षा करते वक्त घायल हुए थे |”

मेजर की इच्छाशक्ति और मजबूत इरादों से उनकी जान तो बच गई लेकिन उन्हें अब एक नया जीवन जीना सीखना था |

उन्होंने निश्चय किया की अब वे अपनी अपंगता के बारे में और नही सोचेंगे| उन्होंने अपनी इस कमजोरी एक चुनौती के रूप में स्वीकार किया|

वे एक वर्ष तक चिकित्सालय में रहे, किसी को भी विश्वास नही था कि वे अब कभी चल भी पाएंगे, लेकिन देवेन्द्र कुछ को अपंगता की जिंदगी स्वीकार नहीं थी| उन्होंने निश्चय किया कि –

“वे न केवल चलेंगे  बल्कि दौड़ेंगे|”

अस्पताल से छुट्टी मिलने के बाद उन्होंने बैशाखी के सहारे चलना शुरू कर दिया| कुछ समय बाद उनके कृत्रिम पैर लगा दिया गया| लेकिन कृत्रिम पैरों के साथ चलना इतना आसान नहीं था, देवेन्द्र को हर दिन भयानक दर्द सहना पड़ता था|

जब वे गिरे तो एक नए उत्साह के साथ उठ खड़े हुए लेकिन उन्होंने हार नहीं मानी|

देवेन्द्र हर रोज सुबह 3 बजे उठ जाते थे और अपनी प्रैक्टिस शुरू कर देते| कुछ महीनों की प्रैक्टिस के बाद देवेन्द्रपाल पांच किलोमीटर तक चलने लग गए| कुछ समय बाद उनकी मेहनत रंग लाई और वे अपने कृत्रिम पैर से मैराथन में दौड़ने लगे|

फिर उन्हें साउथ अफ्रीका से फाइबर ब्लेड से बने अच्छे कृत्रिम पैरों के बारे में जानकारी मिली जो अधिक लचीले और दौड़ने के लिए बेहतर थे|

     इस तरह धीरे-धीरे उनकी दौड़ने की गति बढ़ती गई और उन्होंने अपनी विकलांगता को हरा दिया|

17 वर्ष बाद आज देवेन्द्र भारत के एक सफल ब्लेड रनर है और उनके नाम 2 वर्ल्ड रिकॉर्ड (World Records) है| देवेन्द्र कई मैराथन दौड़ों में हिस्सा ले चुके है और आज भी वे थकते नहीं|

42 वर्षीय देवेन्द्र ब्लेड रनर होने के साथ साथ एक सफल प्रेरक वक्ता (Motivational Speaker) भी है| वे अपने जैसे लोगों को प्रेरित करने के लिए The Challenging Ones. नाम से एक ग्रुप भी चलाते है|

वो कहते है,

मुझ जैसे लोगों को “Physically Challenged”(विकलांग” या  “कमजोर”) कहकर संबोधित किया जाता है लेकिन मुझे लगता है कि हम “Challenger(चैलेंजर)” है

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(10)

                                              "जैसे को तैसा-पंचतंत्र"


       एक स्थान पर जीर्णधन नाम का बनिये का लड़का रहता था । धन की खोज में उसने परदेश जाने का विचार किया । उसके घर में विशेष सम्पत्ति तो थी नहीं, केवल एक मन भर भारी लोहे की तराजू थी । उसे एक महाजन के पास धरोहर रखकर वह विदेश चला गया । विदेश स वापिस आने के बाद उसने महाजन से अपनी धरोहर वापिस मांगी । महाजन ने कहा----"वह लोहे की तराजू तो चूहों ने खा ली ।" 

बनिये का लड़का समझ गया कि वह उस तराजू को देना नहीं चाहता । किन्तु अब उपाय कोई नहीं था । कुछ देर सोचकर उसने कहा---"कोई चिन्ता नहीं । चुहों ने खा डाली तो चूहों का दोष है, तुम्हारा नहीं । तुम इसकी चिन्ता न करो ।" 

थोड़ी देर बाद उसने महाजन से कहा----"मित्र ! मैं नदी पर स्नान के लिए जा रहा हूँ । तुम अपने पुत्र धनदेव को मेरे साथ भेज दो, वह भी नहा आयेगा ।" 

महाजन बनिये की सज्जनता से बहुत प्रभावित था, इसलिए उसने तत्काल अपने पुत्र को उनके साथ नदी-स्नान के लिए भेज दिया । 

बनिये ने महाजन के पुत्र को वहाँ से कुछ दूर ले जाकर एक गुफा में बन्द कर दिया । गुफा के द्वार पर बड़ी सी शिला रख दी, जिससे वह बचकर भाग न पाये । उसे वहाँ बंद करके जब वह महाजन के घर आया तो महाजन ने पूछा---"मेरा लड़का भी तो तेरे साथ स्नान के लिए गया था, वह कहाँ है ?" 

बनिये ने कहा ----"उसे चील उठा कर ले गई है ।" 

महाजन ---"यह कैसे हो सकता है ? कभी चील भी इतने बड़े बच्चे को उठा कर ले जा सकती है ?" 

बनिया---"भले आदमी ! यदि चील बच्चे को उठाकर नहीं ले जा सकती तो चूहे भी मन भर भारी तराजू को नहीं खा सकते । तुझे बच्चा चाहिए तो तराजू निकाल कर दे दे ।" 

इसी तरह विवाद करते हुए दोनों राजमहल में पहुँचे । वहाँ न्यायाधिकारी के सामने महाजन ने अपनी दुःख-कथा सुनाते हुए कहा कि, "इस बनिये ने मेरा लड़का चुरा लिया है ।" 

धर्माधिकारी ने बनिये से कहा ---"इसका लड़का इसे दे दो । 

बनिया बोल----"महाराज ! उसे तो चील उठा ले गई है ।" 

धर्माधिकारी ----"क्या कभी चील भी बच्चे को उठा ले जा सकती है ?" 

बनिया ----"प्रभु ! यदि मन भर भारी तराजू को चूहे खा सकते हैं तो चील भी बच्चे को उठाकर ले जा सकती है ।" 

धर्माधिकारी के प्रश्‍न पर बनिये ने अपनी तराजू का सब वृत्तान्त कह सुनाया ।

सीख : जैसे को तैसा..

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(11)

                                 महान लेखक टालस्टाय की एक कहानी है *- "शर्त "*


        इस कहानी में दो मित्रो में आपस मे शर्त लगती है कि, यदि उसने एक वर्ष  एकांत में बिना किसी से मिले,बातचीत किये एक कमरे में बिता देता है, तो उसे 10 लाख नकद वो देगा । इस बीच, यदि वो शर्त पूरी नहीं करता, तो वो हार जाएगा ।

पहला मित्र ये शर्त स्वीकार कर लेता है । उसे दूर एक खाली मकान में बंद करके रख दिया जाता है । बस दो जून का भोजन और कुछ किताबें उसे दी गई ।

उसने जब वहां अकेले रहना  शुरू किया तो 1 दिन 2 दिन किताबो से मन बहल गया फिर वो खीझने लगा । उसे बताया गया था कि थोड़ा भी बर्दाश्त से बाहर हो तो वो घण्टी बजा के संकेत दे सकता है और उसे वहां से निकाल लिया जाएगा ।

जैसे जैसे दिन बीतने लगे उसे एक एक घण्टे युगों से लगने लगे । वो चीखता, चिल्लाता लेकिन शर्त का खयाल कर बाहर किसी को नही बुलाता । वोअपने बाल नोचता, रोता, गालियां देता तड़फ जाता,मतलब अकेलेपन की पीड़ा उसे भयानक लगने लगी पर वो शर्त की याद कर अपने को रोक लेता ।

कुछ दिन और बीते तो धीरे धीरे उसके भीतर एक अजीब शांति घटित होने लगी।अब उसे किसी की आवश्यकता का अनुभव नही होने लगा। वो बस मौन बैठा रहता। एकदम शांत उसका चीखना चिल्लाना बंद हो गया। 

इधर, उसके दोस्त को चिंता होने लगी कि एक वर्ष के दिन पर दिन बीत रहे हैं पर उसका दोस्त है कि बाहर ही नही आ रहा है ।

वर्ष  के अब अंतिम 2 दिन शेष थे,इधर उस दोस्त का व्यापार चौपट हो गया,  वो दिवालिया हो गया।उसे अब चिंता होने लगी कि यदि उसके मित्र ने शर्त जीत ली तो इतने पैसे वो उसे कहाँ से देगा ।

वो उसे गोली मारने की योजना बनाता है और उसे मारने के लिये जाता है ।

जब वो वहां पहुँचता है तो उसके आश्चर्य का ठिकाना नही रहता ।

वो दोस्त शर्त के एक वर्ष के ठीक एक दिन पहले वहां से चला जाता है, और एक खत अपने दोस्त के नाम छोड़ जाता है ।

खत में लिखा होता है-

प्यारे दोस्त, इस एक वर्ष में मैंने वो चीज पा ली है जिसका कोई मोल नही चुका सकता । मैंने अकेले मे रहकर असीम शांति का सुख पा लिया है और मैं ये भी जान चुका हूं कि जितनी जरूरतें हमारी कम होती जाती हैं उतना हमें असीम आनंद और शांति मिलती है। मैंने इन दिनों परमात्मा के असीम प्यार को जान लिया है । इसीलिए मैं अपनी ओर से यह शर्त तोड़ रहा हूँ। अब मुझे तुम्हारे शर्त के पैसे की कोई जरूरत नही।

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(12)

                                                                     *मृत्यु*

        जब कोई इंसान इस दुनिया से विदा हो जाता है तो उसके कपड़े, उसका बिस्तर, उसके द्वारा इस्तेमाल किया हुआ सभी सामान उसी के साथ तुरन्त घर से निकाल दिये जाते है।

पर कभी कोई उसके द्वारा कमाया गया धन-दौलत. प्रोपर्टी, उसका घर, उसका पैसा, उसके जवाहरात आदि, इन सबको क्यों नही छोड़ते?

बल्कि उन चीजों को तो ढूंढते है, मरे हुए के हाथ, पैर, गले से खोज-खोजकर, खींच-खींचकर निकालकर चुपके से जेब मे डाल लेते है, वसीयत की तो मरने वाले से ज्यादा चिंता करते है।

इससे पता चलता है कि आखिर रिश्ता किन चीजों से था।

इसलिए पुण्य परोपकार ओर नाम की कमाई करो।

इसे कोई ले नही सकता, चुरा नही सकता। ये कमाई तो ऐसी है, जो जाने वाले के साथ ही जाती है।

*हाड़ जले ज्यूँ लाकड़ी, केस जले ज्यूँ घास।*

*कंचन जैसी काया जल  गई, कोई न आयो पास।।*

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(13)

                                             *सबसे कीमती चीज*


      एक जाने-माने स्पीकर ने हाथ में पांच सौ का नोट लहराते हुए अपनी सेमीनार शुरू की. हाल में बैठे सैकड़ों लोगों से उसने पूछा ,” ये पांच सौ का नोट कौन लेना चाहता है?” हाथ उठना शुरू हो गए.

फिर उसने कहा ,” मैं इस नोट को आपमें से किसी एक को दूंगा पर  उससे पहले मुझे ये कर लेने दीजिये .” और उसने नोट को अपनी मुट्ठी में चिमोड़ना शुरू कर दिया. और  फिर उसने पूछा,” कौन है जो अब भी यह नोट लेना चाहता है?” अभी भी लोगों के हाथ उठने शुरू हो गए.

“अच्छा” उसने कहा,” अगर मैं ये कर दूं ? ” और उसने नोट को नीचे गिराकर पैरों से कुचलना शुरू कर दिया. उसने नोट उठाई , वह बिल्कुल चिमुड़ी और गन्दी हो गयी थी.

” क्या अभी भी कोई है जो इसे लेना चाहता है?”. और एक  बार  फिर हाथ उठने शुरू हो गए.

” दोस्तों  , आप लोगों ने आज एक बहुत महत्त्वपूर्ण पाठ सीखा है. मैंने इस नोट के साथ इतना कुछ किया पर फिर भी आप इसे लेना चाहते थे क्योंकि ये सब होने के बावजूद नोट की कीमत घटी नहीं,उसका मूल्य अभी भी 500 था.

जीवन में कई बार हम गिरते हैं, हारते हैं, हमारे लिए हुए निर्णय हमें मिटटी में मिला देते हैं. हमें ऐसा लगने लगता है कि हमारी कोई कीमत नहीं है. लेकिन आपके साथ चाहे जो हुआ हो या भविष्य में जो हो जाए , आपका मूल्य कम नहीं होता. आप स्पेशल हैं, इस बात को कभी मत भूलिए.

कभी भी बीते हुए कल की निराशा को आने वाले कल के सपनो को बर्बाद मत करने दीजिये. याद रखिये आपके पास जो सबसे कीमती चीज है, वो है आपका जीवन.”

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(14)

                                                    *कर भला तो हो भला*


         एक प्रसिद्द राजा था जिसका नाम रामधन था। अपने नाम की ही तरह प्रजा सेवा ही उसका धर्म था। उनकी प्रजा भी उन्हें राजा राम की तरह ही पुजती थी। राजा रामधन सभी की निष्काम भाव से सहायता करते थे फिर चाहे वो उनके राज्य की प्रजा हो या अन्य किसी राज्य की। उनकी ख्याति सर्वत्र थी। उनके दानी स्वभाव और व्यवहार के गुणगान उसके शत्रु राजा तक करते थे। उन राजाओं में एक राजा था भीम सिंह,जिसे राजा रामधन की इस ख्याति से ईर्षा थी। उस ईर्षा के कारण उसने राजा रामधन को हराने की एक रणनीति बनाई और कुछ समय बाद रामधन के राज्य पर हमला कर दिया। भीम सिंह ने छल से युद्ध जीत लिया और रामधन को जंगल में जाना पड़ा। इतना होने पर भी रामधन की लोकप्रियता में कोई कमी नहीं थी। हर जगह उन्ही की बाते चलती थी। जिससे भीम सिंह को चैन न था उसने राजा रामधन को मृत्युदंड देने का फैसला किया।उसने ऐलान किया कि जो राजा रामधन को पकड़ कर उसके सामने लायेगा वो उसे सो सोने की दीनार देगा।

दूसरी तरफ, राजा रामधन जंगलों में भटक रहे थे। तब उन्हें एक राहगीर मिला और उसने कहा – भाई ! तुम इसी जगह के लगते हो। क्या मुझे राजा रामधन के राज्य की तरफ का रास्ता बता सकते हो ? राजा रामधन ने पूछा – तुम्हे क्या काम हैं राजा से ? तब राहगीर ने कहा – मेरे बेटे की तबियत ठीक नहीं उसके इलाज में सारा धन चला गया। सुना हैं राजा रामधन सभी की मदद करते हैं सोचा उन्ही के पास जाकर याचना करूँ। यह सुनकर राजा रामधन राहगीर को अपने साथ लेकर भीमसिंह के पास पहुँचे। उन्हें देख दरबार में सभी अचंभित थे।

राजा रामधन ने कहा – हे राजन ! आपने मुझे खोजने वाले को सो दीनार देने का वादा किया था। मेरे इस मित्र ने मुझे आपके सामने पैश किया हैं। अतः इसे वो सो दीनार दे दे। यह सुनकर राजा भीम सिंह को अहसास हुआ कि राजा रामधन सच में कितने महान और दानी हैं

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(15)

                                            *विद्या बड़ी या बुद्धि?*

       किसी ब्राह्मण के चार पुत्र थे। उनमें परस्पर गहरी मित्रता थी। चारों में से तीन शास्त्रों में पारंगत थे, लेकिन उनमें बुद्धि का अभाव था। चौथे ने शास्त्रों का अध्ययन तो नहीं किया था, लेकिन वह था बड़ा बुद्धिमान।

एक बार चारों भाइयों ने परदेश जाकर अपनी-अपनी विद्या के प्रभाव से धन अर्जित करने का विचार किया। चारों पूर्व के देश की ओर चल पड़े।

रास्ते में सबसे बड़े भाई ने कहा-‘हमारा चौथा भाई तो निरा अनपढ़ है। राजा सदा विद्वान व्यक्ति का ही सत्कार करते हैं। केवल बुद्धि से तो कुछ मिलता नहीं। विद्या के बल पर हम जो धन कमाएँगे, उसमें से इसे कुछ नहीं देंगे। अच्छा तो यही है कि यह घर वापस चला जाए।’

दूसरे भाई का विचार भी यही था। किंतु तीसरे भाई ने उनका विरोध किया। वह बोला-‘हम बचपन से एक साथ रहे हैं, इसलिए इसको अकेले छोड़ना उचित नहीं है। हम अपनी कमाई का थोड़ा-थोड़ा हिस्सा इसे भी दे दिया करेंगे।’ अतः चौथा भाई भी उनके साथ लगा रहा।

रास्ते में एक घना जंगल पड़ा। वहाँ एक जगह हड्डियों का पंजर था। उसे देखकर उन्होंने अपनी-अपनी विद्या की परीक्षा लेने का निश्चय किया। उनमें से एक ने हड्डियों को सही ढंग से एक स्थान पर एकत्रित कर दिया। वास्तव में ये हड्डियाँ एक मरे हुए शेर की थीं।

दूसरे ने बड़े कौशल से हड्डियों के पंजर पर मांस एवं खाल का अवरण चढ़ा दिया। उनमें उसमें रक्त का संचार भी कर दिया। तीसरा उसमें प्राण डालकर उसे जीवित करने ही वाला था कि चौथे भाई ने उसको रोकते हुए कहा, ‘तुमने अपनी विद्या से यदि इसे जीवित कर दिया तो यह हम सभी को जान से मार देगा।’

तीसरे भाई ने कहा, ‘तू तो मूर्ख है!’मैं अपनी विद्या का प्रयोग अवश्य करुँगा और उसका फल भी देखूँगा।’ चौथे भाई ने कहा, ‘तो फिर थोड़ी देर रुको। मैं इस पेड़ पर चढ़ जाऊँ, तब तुम अपनी विद्या का चमत्कार दिखाना।’ यह कहकर चौथा भाई पेड़ पर चढ़ गया।

तीसरे भाई ने अपनी विद्या के बल पर जैसे ही शेर में प्राणों का संचार किया, शेर तड़पकर उठा और उन पर टूट पड़ा। उसने पलक झपकते ही तीनों अभिमानी विद्वानों को मार डाला और गरजता हुआ चला गया। उसके दूर चले जाने पर चौथा भाई पेड़ से उतरकर रोता हुआ घर लौट आया। इसीलिए कहा गया है कि विद्या से बुद्धि श्रेष्ठ होती है।


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(16)

                                                                     !! लालच बुरी बला है !!


          एक बार एक बुढ्ढा आदमी तीन गठरी उठा कर पहाड़ की चोटी की ओर बढ़ रहा था। रास्ते में उसके पास से एक हष्ट - पुष्ट नौजवान निकाला। बुढ्ढे आदमी ने उसे आवाज लगाई कि बेटा क्या तुम मेरी एक गठरी अगली पहाड़ी तक उठा सकते हो ? मैं उसके बदले इसमें रखी हुई पांच तांबे के सिक्के तुमको दूंगा। लड़का इसके लिए सहमत हो गया।

निश्चित स्थान पर पहुँचने के बाद लड़का उस बुढ्ढे आदमी का इंतज़ार करने लगा और बुढ्ढे आदमी ने उसे पांच सिक्के दे दिए। बुढ्ढे आदमी ने अब उस नौजवान को एक और प्रस्ताव दिया कि अगर तुम अगली पहाड़ी तक मेरी एक और गठरी उठा लो तो मैं उसमें रखी चांदी के पांच सिक्के और पांच पहली गठरी में रखे तांबे के पांच सिक्के तुमको और दूंगा।

नौजवान ने सहर्ष प्रस्ताव स्वीकार कर लिया और पहाड़ी पर निर्धारित स्थान पर पहुँच कर इंतजार करने लगा। बुढ्ढे आदमी को पहुँचते-पहुँचते बहुत समय लग गया। 

जैसे निश्चित हुआ था उस हिसाब से बुजुर्ग ने सिक्के नौजवान को दे दिये। आगे का रास्ता और भी कठिन था।

बुजुर्ग व्यक्ति बोला कि आगे पहाड़ी और भी दुर्गम है। अगर तुम मेरी तीसरी सोने के मोहरों की गठरी भी उठा लो तो मैं तुमको उसके बदले पांच तांबे की मोहरे, पांच चांदी की मोहरे और पांच सोने की मोहरे दूंगा। नौजवान ने खुशी-खुशी हामी भर दी।

निर्धारित पहाड़ी पर पहुँचने से पहले नौजवान के मन में लालच आ गया कि क्यों ना मैं तीनों गठरी लेकर भाग जाऊँ। गठरियों का मालिक तो कितना बुजुर्ग है। वह आसानी से मेरे तक नहीं पहुंच पाएगा। अपने मन में आए लालच की वजह से उसने रास्ता बदल लिया।

कुछ आगे जाकर नौजवान के मन में सोने के सिक्के देखने की जिज्ञासा हुई। उसने जब गठरी खोली तो उसे देख कर दंग रह गया क्योंकि सारे सिक्के नकली थे।

उस गठरी में एक पत्र निकला। उसमें लिखा था कि जिस बुजुर्ग व्यक्ति की तुमने गठरी चोरी की है, वह वहाँ का राजा है।

राजा जी भेष बदल कर अपने कोषागार के लिए ईमानदार सैनिकों का चयन कर रहे हैं। 

अगर तुम्हारे मन में लालच ना आता तो सैनिक के रूप में आज तुम्हारी भर्ती पक्की थी। जिसके बदले तुमको रहने को घर और अच्छा वेतन मिलता। लेकिन अब तुमको कारावास होगा क्योंकि तुम राजा जी का सामान चोरी करके भागे हो। यह मत सोचना कि तुम बच जाओगे क्योंकि सैनिक लगातार तुम पर नज़र रख रहे हैं।

अब नौजवान अपना माथा पकड़ कर बैठ गया। कुछ ही समय में राजा के सैनिकों ने आकर उसे पकड़ लिया।

उसके लालच के कारण उसका भविष्य जो उज्जवल हो सकता था, वह अंधकारमय हो चुका था। इसलिए कहते हैं लालच बुरी बला है..!!


🔺शिक्षा.. ✍️


ज्यादा पाने की लालसा के कारण व्यक्ति लालच में आ जाता है और उसे जो बेहतरीन मिला होता है उसे भी वह खो देता है।


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(17)

बहुत पहले आप ने एक चिड़िया की कहानी सुनी होगी...

जिसका एक दाना पेड़ के कंदरे में कहीं फंस गया था...

चिड़िया ने पेड़ से बहुत अनुरोध किया उस दाने को दे देने के लिए लेकिन पेड़ उस छोटी सी चिड़िया की बात भला कहां सुनने वाला था...

हार कर चिड़िया बढ़ई के पास गई और उसने उससे अनुरोध किया कि तुम उस पेड़ को काट दो, क्योंकि वो उसका दाना नहीं दे रहा...


भला एक दाने के लिए बढ़ई पेड़ कहां काटने वाला था...

फिर चिड़िया राजा के पास गई और उसने राजा से कहा कि तुम बढ़ई को सजा दो क्योंकि बढ़ई पेड़ नहीं काट रहा और पेड़ दाना नहीं दे रहा...

राजा ने उस नन्हीं चिड़िया को डांट कर भगा दिया कि कहां एक दाने के लिए वो उस तक पहुंच गई है। 

चिड़िया हार नहीं मानने वाली थी...

वो महावत के पास गई कि अगली बार राजा जब हाथी की पीठ पर बैठेगा तो तुम उसे गिरा देना, क्योंकि राजा बढ़ई को सजा नहीं देता...

बढ़ई पेड़ नहीं काटता...

पेड़ उसका दाना नहीं देता...

महावत ने भी चिड़िया को डपट कर भगा दिया...

चिड़िया फिर हाथी के पास गई और उसने अपने अनुरोध को दुहराया कि अगली बार जब महावत तुम्हारी पीठ पर बैठे तो तुम उसे गिरा देना क्योंकि वो राजा को गिराने को तैयार नहीं...

राजा बढ़ई को सजा देने को तैयार नहीं...

बढ़ई पेड़ काटने को तैयार नहीं...

पेड़ दाना देने को राजी नहीं।

हाथी बिगड़ गया...

उसने कहा, ऐ छोटी चिड़िया..

तू इतनी सी बात के लिए मुझे महावत और राजा को गिराने की बात सोच भी कैसे रही है?

चिड़िया आखिर में चींटी के पास गई और वही अनुरोध दोहराकर कहा कि तुम हाथी की सूंढ़ में घुस जाओ...

चींटी ने चिड़िया से कहा, "चल भाग यहां से...बड़ी आई हाथी की सूंढ़ में घुसने को बोलने वाली।

अब तक अनुरोध की मुद्रा में रही चिड़िया ने रौद्र रूप धारण कर लिया...उसने कहा कि "मैं चाहे पेड़, बढ़ई, राजा, महावत, और हाथी का कुछ न बिगाड़ पाऊं...पर तुझे तो अपनी चोंच में डाल कर खा ही सकती हूँ...

चींटी डर गई...भाग कर वो हाथी के पास गई...हाथी भागता हुआ महावत के पास पहुंचा...महावत राजा के पास कि हुजूर चिड़िया का काम कर दीजिए नहीं तो मैं आपको गिरा दूंगा....राजा ने फौरन बढ़ई को बुलाया...उससे कहा कि पेड़ काट दो नहीं तो सजा दूंगा...बढ़ई पेड़ के पास पहुंचा...बढ़ई को देखते ही पेड़ बिलबिला उठा कि मुझे मत काटो.मैं चिड़िया को दाना लौटा दूंगा...

निष्कर्ष-🤭

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आपको अपनी ताकत को पहचानना होगा...आपको पहचानना होगा कि भले आप छोटी सी चिड़िया की तरह होंगे, लेकिन ताकत की कड़ियां कहीं न कहीं आपसे होकर गुजरती होंगी...हर शेर को सवा शेर मिल सकता है, बशर्ते आप अपनी लड़ाई से घबराएं नहीं...

आप अगर किसी काम के पीछे पड़ जाएंगे तो वो काम होकर रहेगा... यकीन कीजिए...हर ताकत के आगे एक और ताकत होती है और अंत में सबसे ताकतवर आप होते हैं...

हिम्मत, लगन और पक्का इरादा ही हमारी ताकत की बुनियाद है..!!       

बड़े सपनो को पाने वाले हर व्यक्ति को सफलता और असफलता के कई पड़ावों से गुजरना पड़ता है

पहले लोग मजाक उड़ाएंगे,फिर लोग साथ छोड़ेंगे, फिर विरोध करेंगे

फिर वही लोग कहेंगे हम तो पहले से ही जानते थे की एक न एक दिन तुम कुछ बड़ा करोगे!

रख हौंसला वो मंज़र भी आयेगा,

प्यासे के पास चलकर समंदर भी आयेगा..! 

थक कर ना बैठ, ऐ मंजिल के मुसाफ़िर मंजिल भी मिलेगी और जीने का मजा भी आएगा

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(18)


गुरुजी ने कहा कि "मां के पल्लू

पर निबन्ध लिखो..

तो लिखने वाले छात्र ने क्या खूब लिखा

     

       आदरणीय गुरुजी जी...

 

   माँ के पल्लू का सिद्धाँत माँ को गरिमामयी छवि प्रदान करने के लिए था.


  इसके साथ ही ... यह गरम बर्तन को 

   चूल्हा से हटाते समय गरम बर्तन को 

      पकड़ने के काम भी आता था.


        पल्लू की बात ही निराली थी.

           पल्लू पर तो बहुत कुछ

              लिखा जा सकता है.


 पल्लू ... बच्चों का पसीना, आँसू पोंछने, 

   गंदे कान, मुँह की सफाई के लिए भी 

          इस्तेमाल किया जाता था.


   माँ इसको अपना हाथ पोंछने के लिए

           तौलिया के रूप में भी

           इस्तेमाल कर लेती थी.


         खाना खाने के बाद 

     पल्लू से  मुँह साफ करने का 

      अपना ही आनंद होता था.


      कभी आँख में दर्द होने पर ...

    माँ अपने पल्लू को गोल बनाकर, 

      फूँक मारकर, गरम करके 

        आँख में लगा देतीं थी,

   दर्द उसी समय गायब हो जाता था.


माँ की गोद में सोने वाले बच्चों के लिए 

   उसकी गोद गद्दा और उसका पल्लू

        चादर का काम करता था.


     जब भी कोई अंजान घर पर आता,

           तो बच्चा उसको 

  माँ के पल्लू की ओट ले कर देखता था.


   जब भी बच्चे को किसी बात पर 

    शर्म आती, वो पल्लू से अपना 

     मुँह ढक कर छुप जाता था.


    जब बच्चों को बाहर जाना होता,

          तब 'माँ का पल्लू' 

   एक मार्गदर्शक का काम करता था.


     जब तक बच्चे ने हाथ में पल्लू 

   थाम रखा होता, तो सारी कायनात

        उसकी मुट्ठी में होती थी.


       जब मौसम ठंडा होता था ...

  माँ उसको अपने चारों ओर लपेट कर 

    ठंड से बचाने की कोशिश करती.

          और, जब वारिश होती,

      माँ अपने पल्लू में ढाँक लेती.


  पल्लू --> एप्रन का काम भी करता था.

  माँ इसको हाथ तौलिया के रूप में भी 

           इस्तेमाल कर लेती थी.


 पल्लू का उपयोग पेड़ों से गिरने वाले 

  जामुन और मीठे सुगंधित फूलों को

     लाने के लिए किया जाता था.


     पल्लू में धान, दान, प्रसाद भी 

       संकलित किया जाता था.


       पल्लू घर में रखे समान से 

 धूल हटाने में भी बहुत सहायक होता था.


      कभी कोई वस्तु खो जाए, तो

    एकदम से पल्लू में गांठ लगाकर 

          निश्चिंत हो जाना ,  कि 

             जल्द मिल जाएगी.


       पल्लू में गाँठ लगा कर माँ 

      एक चलता फिरता बैंक या 

     तिजोरी रखती थी, और अगर

  सब कुछ ठीक रहा, तो कभी-कभी

 उस बैंक से कुछ पैसे भी मिल जाते थे.


       मुझे नहीं लगता, कि विज्ञान पल्लू का विकल्प ढूँढ पाया है.


पल्लू कुछ और नहीं, बल्कि

एक जादुई एहसास है. 

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(19)

                                                   'जो बोएगा वही पाएगा'


            एक गांव में एक किसान रहता था जो दूध से दही और मक्खन बनाकर बेचने का कार्य करता था ! एक दिन उसकी बीवी ने उसे मक्खन तैयार करके दिया वह उसे बेचने शहर गया वह मक्खन गोल पेड़े की शक्ल में था तथा हर पेड़े का वजन 1 किलो था !

शहर में किसान ने उस मक्खन को हमेशा की तरह एक दुकानदार को बेच  दिया और दुकानदार से चाय चीनी तेल साबुन वगैरह खरीदकर अपने गांव रवाना हो गया

किसान के जाने के बाद दुकानदार ने एक पेड़े का वजन किया तो पेड़ा 900 ग्राम का निकला फिर तो उस दुकानदार ने हर पेड़े का वजन किया परंतु सभी 900 ग्राम के निकले अगले हफ्ते किसान फिर से हमेशा की तरह मक्खन लेकर दुकानदार की दहलीज पर चढ़ा तो दुकानदार ने चिल्लाते हुए किसान से कहा दफा हो जाओ किसी बेईमान और धोखेबाज शख्स से मुझे कारोबार नहीं करना 900 ग्राम मक्खन को 1 किलो बताकर बेचने वाले शख्स की शक्ल भी नहीं देखना चाहता तब किसान बड़ी विनम्रता से बोला भाई हम तो गरीब,बेचारे लोग हैं हमारे पास माल तोलने के लिए बाट (वजन)  खरीदने की हैसियत कहां है ! मैं तो आपसे जो 1 किलो चीनी लेकर जाता हूं ! उसी को तराजू के एक पलड़े में रखकर दूसरे पलड़े में उतने ही वजन का मक्खन तोल कर ले आता हूं.

भाइयों हम दूसरों को देंगे वही लौटकर आएगा चाहे वह..इज्जत हो,सम्मान हो या चाहे धोखा हो !


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(20)

                                                    "कर्म का सिद्धांत"


         अस्पताल में एक एक्सीडेंट का केस आया। अस्पताल के मालिक डॉक्टर ने तत्काल खुद जाकर आईसीयू में केस की जांच की। दो-तीन घंटे के ओपरेशन के बाद डॉक्टर बाहर आया और अपने स्टाफ को कहा कि इस व्यक्ति को किसी प्रकार की कमी या तकलीफ ना हो...

और उससे इलाज व दवा के पैसे न लेने के लिए भी कहा ।तकरीबन 15 दिन तक मरीज अस्पताल में रहा।

जब बिल्कुल ठीक हो गया और उसको डिस्चार्ज करने का दिन आया तो उस मरीज का तकरीबन ढाई लाख रुपये का बिल अस्पताल के मालिक और डॉक्टर की टेबल पर आया।

डॉक्टर ने अपने अकाउंट मैनेजर को बुला करके कहा ... इस व्यक्ति से एक पैसा भी नहीं लेना है। ऐसा करो तुम उस मरीज को लेकर मेरे चेंबर में आओ।

मरीज व्हीलचेयर पर चेंबर में लाया गया।

डॉक्टर ने मरीज से पूछा... प्रवीण भाई ! मुझे पहचानते हो!

मरीज ने कहा लगता तो है कि मैंने आपको कहीं देखा है।

डॉक्टर ने कहा ... याद करो, अंदाजन दो साल पहले सूर्यास्त के समय शहर से दूर उस जंगल में तुमने एक गाड़ी ठीक की थी। 

उस रोज मैं परिवार सहित पिकनिक मनाकर लौट रहा था कि अचानक कार में से धुआं निकलने लगा और गाड़ी बंद हो गई। 

कार एक तरफ खड़ी कर हम लोगों ने चालू करने की कोशिश की, परंतु कार चालू नहीं हुई।

अंधेरा थोड़ा-थोड़ा घिरने लगा था। चारों और जंगल और सुनसान था।

परिवार के हर सदस्य के चेहरे पर चिंता और भय की लकीरें दिखने लगी थी और सब भगवान से प्रार्थना कर रहे थे कि कोई मदद मिल जाए।

थोड़ी ही देर में चमत्कार हुआ। बाइक के ऊपर तुम आते दिखाई पड़े ।

हम सब ने दया की नजर से हाथ ऊंचा करके तुमको रुकने का इशारा किया।

तुमने बाईक खड़ी कर के हमारी परेशानी का कारण पूछा।

तुमने कार का बोनट खोलकर चेक किया और कुछ ही क्षणों में कार चालू कर दी।

हम सबके चेहरे पर खुशी की लहर दौड़ गई। हमको ऐसा लगा कि जैसे भगवान ने आपको हमारे पास भेजा है..

क्योंकि उस सुनसान जंगल में रात गुजारने के ख्याल मात्र से ही हमारे रोगंटे खड़े हो रहे थे। 

तुमने मुझे बताया था कि तुम एक गैराज चलाते हो ।

मैंने तुम्हारा आभार जताते हुए कहा था कि रुपए पास होते हुए भी ऐसी मुश्किल समय में मदद नहीं मिलती। 

तुमने ऐसे कठिन समय में हमारी मदद की, इस मदद की कोई कीमत नहीं है, यह अमूल्य है।

परंतु फिर भी मैं पूछना चाहता हूँ कि आपको कितने पैसे दूं ?

उस समय तुमने मेरे आगे हाथ जोड़कर जो शब्द कहे थे, वह शब्द मेरे जीवन की प्रेरणा बन गये हैं।

तुमने कहा था कि... "मेरा नियम और सिद्धांत है कि मैं मुश्किल में पड़े व्यक्ति की मदद के बदले कभी कुछ नहीं लेता। मेरी इस मजदूरी का हिसाब भगवान् रखते हैं।

उसी दिन मैंने सोचा कि जब एक सामान्य आय का व्यक्ति इस प्रकार के उच्च विचार रख सकता है, और उनका संकल्प पूर्वक पालन कर सकता है, तो मैं क्यों नहीं कर सकता। 

और मैंने भी अपने जीवन में यही संकल्प ले लिया है। दो साल हो गए है, मुझे कभी कोई कमी नहीं पड़ी, अपेक्षा पहले से भी अधिक मिल रहा है।

यह अस्पताल मेरा है। तुम यहां मेरे मेहमान हो और तुम्हारे ही बताए हुए नियम के अनुसार मैं तुमसे कुछ भी नहीं ले सकता।

ये तो भगवान् की कृपा है कि उसने मुझे ऐसी प्रेरणा देने वाले व्यक्ति की सेवा करने का मौका मुझे दिया।

ऊपर वाले ने तुम्हारी मजदूरी का हिसाब रखा और वो हिसाब आज उसने चुका दिया। 

मेरी मजदूरी का हिसाब भी ऊपर वाला रखेगा और कभी जब मुझे जरूरत होगी, वो जरूर चुका देगा।

डॉक्टर ने प्रवीण से कहा.. तुम आराम से घर जाओ, और कभी भी कोई तकलीफ हो तो बिना संकोच के मेरे पास आ सकते हो।

प्रवीण ने जाते हुए चेंबर में रखी भगवान् कृष्ण की तस्वीर के सामने हाथ जोड़कर कहा कि....

हे प्रभु आपने आज मेरे कर्म का पूरा हिसाब ब्याज समेत चुका दिया।

"याद रखें कि एक बार भगवान् चाहे माफ कर दे, परंतु कर्मों का हिसाब चुकाना ही पड़ता है..!!


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(21)

                                                            ☀️'इंसानियत और मानवता'☀️


एक गिद्ध का बच्चा अपने माता-पिता के साथ रहता था। 

एक दिन गिद्ध का बच्चा अपने पिता से बोला- "पिताजी, मुझे भूख लगी है।‘‘

"ठीक है, तू थोड़ी देर प्रतीक्षा कर। मैं अभी भोजन लेकर आता हूू।‘‘ कहते हुए गिद्ध उड़ने को उद्धत होने लगा। 

तभी उसके बच्चे ने उसे टोक दिया, "रूकिए पिताजी, आज मेरा मन इन्सान का गोश्त खाने का कर रहा है।‘‘

"ठीक है, मैं देखता हूं।‘‘ कहते हुए गिद्ध ने चोंच से अपने पुत्र का सिर सहलाया और बस्ती की ओर उड़ गया।

बस्ती के पास पहुंच कर गिद्ध काफी देर तक इधर-उधर मंडराता रहा, पर उसे कामयाबी नहीं मिली। 

थक-हार का वह सुअर का गोश्त लेकर अपने घोंसले में पहुंचा। 

उसे देख कर गिद्ध का बच्चा बोला, "पिताजी, मैं तो आपसे इन्सान का गोश्त लाने को कहा था, और आप तो सुअर का गोश्त ले आए?‘‘

पुत्र की बात सुनकर गिद्ध झेंप गया। 

वह बोला, "ठीक है, तू थोड़ी देर प्रतीक्षा कर।‘‘ कहते हुए गिद्ध पुन: उड़ गया। 

उसने इधर-उधर बहुत खोजा, पर उसे कामयाबी नहीं मिली। 

अपने घोंसले की ओर लौटते समय उसकी नजर एक मरी हुई गाय पर पड़ी। 

उसने अपनी पैनी चोंच से गाय के मांस का एक टुकड़ा तोड़ा और उसे लेकर घोंसले पर जा पहुंचा।

यह देखकर गिद्ध का बच्चा  एकदम से बिगड़ उठा, "पिताजी, ये तो गाय का गोश्त है।

मुझे तो इन्सान का गोश्त खाना है। क्या आप मेरी इतनी सी इच्छा पूरी नहीं कर सकते?‘‘

यह सुनकर गिद्ध बहुत शर्मिंदा हुआ।

उसने मन ही मन एक योजना बनाई और अपने उद्देश्य की पूर्ति के लिए निकल पड़ा।

गिद्ध ने सुअर के गोश्त एक बड़ा सा टुकड़ा उठाया और उसे मस्जिद की बाउंड्रीवाल के अंदर डाल दिया।

उसके बाद उसने गाय का गोश्त उठाया और उसे मंदिर के पास फेंक दिया। 

मांस के छोटे-छोटे टुकड़ों ने अपना काम किया और देखते ही पूरे शहर में आग लग गयी।

रात होते-होते चारों ओर इंसानों की लाशें बिछ गयी। यह देखकर गिद्ध बहुत प्रसन्न हुआ। उसने एक इन्सान के शरीर से गोश्त का बड़ा का टुकड़ा काटा और उसे लेकर अपने घोंसले में जा पहुंचा। 

यह देखकर गिद्ध का पुत्र बहुत प्रसन्न हुआ।

वह बोला, "पापा ये कैसे हुआ? इन्सानों का इतना ढेर सारा गोश्त आपको कहां से मिला?"

गिद्ध बोला, "बेटा ये इन्सान कहने को तो खुद को बुद्धि के मामले में सबसे श्रेष्ठ समझता है, 

पर जरा-जरा सी बात पर ‘जानवर‘ से भी बदतर बन जाता है और बिना सोचे-समझे मरने-मारने पर उतारू हो जाता है।

इन्सानों के वेश में बैठे हुए अनेक गिद्ध ये काम सदियों से कर रहे हैं। 

मैंने उसी का लाभ उठाया और इन्सान को जानवर के गोश्त से जानवर से भी बद्तर बना दियाा।‘‘

साथियों, क्या हमारे बीच बैठे हुए गिद्ध हमें कब तक अपनी उंगली पर नचाते रहेंगे?

और कब तक हम जरा-जरा सी बात पर अपनी इन्सानियत भूल कर मानवता का खून बहाते रहेंगे?

अगर आपको यह कहानी सोचने के लिए विवश कर दे, तो प्लीज़ इसे दूसरों तक भी पहुंचाए।

क्या पता आपका यह छोटा सा प्रयास इंसानों के बीच छिपे हुए किसी गिद्ध को इन्सान बनाने का कारण बन जाए।

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(22)

                                                          "मन को छूने वाला प्रसंग"
      

एक बार मेरे शहर में एक प्रसिद्ध बनारसी विद्वान् "ज्योतिषी" का आगमन हुआ..!! माना जाता है कि उनकी वाणी में सरस्वती विराजमान है। वे जो भी बताते है वह 100% सच होता है।
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501/- रुपये देते हुए " प्रेमचंद जी" ने अपना दाहिना हाथ आगे बढ़ाते हुए ज्योतिषी को कहा.., "महाराज, मेरी मृत्यु कब, कहॉ और किन परिस्थितियों में होगी?"
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ज्योतिषी ने प्रेमचंद जी की हस्त रेखाऐं देखीं, चेहरे और माथे को अपलक निहारते रहे। स्लेट पर कुछ अंक लिख कर जोड़ते-घटाते रहे। बहुत देर बाद वे गंभीर स्वर में बोले.., "प्रेमचंद जी, आपकी भाग्य रेखाएँ कहती है कि जितनी आयु आपके पिता को प्राप्त होगी उतनी ही आयु आप भी पाएँगे। जिन परिस्थितियों में और जहाँ आपके पिता की मृत्यु होगी, उसी स्थान पर ओर उसी तरह, आपकी भी मृत्यु होगी।"
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यह सुन कर "प्रेमचंद जी" भयभीत हो उठे और वहां से चल पडे..

एक घण्टे बाद ...
प्रेमचंद जी" वृद्धाश्रम से अपने वृद्ध पिता को साथ लेकर घर लौट रहे थे..!!

नोट :- आप को वही मिलेगा..जैसे अपने माँ-बाप से साथ सलूक करोगे ! यहीं विधि का विधान है !!

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(23)

                "किसी को गलत समझने से पहले एक बार  उसके हालात समझने की कोशिश करें"



एक बादशाह की आदत थी, कि वह भेस बदलकर लोगों की खैर-ख़बर लिया करता था,एक दिन अपने वज़ीर के साथ गुज़रते हुए शहर के किनारे पर पहुंचा तो देखा एक आदमी गिरा पड़ा हैl

बादशाह ने उसको हिलाकर देखा तो वह मर चुका था लोग उसके पास से गुज़र रहे थे, बादशाह ने लोगों को आवाज़ दी लेकिन कोई भी उसके नजदीक नहीं आया क्योंकि लोग बादशाह को पहचान ना सके 

बादशाह ने वहां रह रहे लोगों से पूछा क्या बात है? इस को किसी ने क्यों नहीं उठाया? लोगों ने कहा यह बहुत बुरा और गुनाहगार इंसान है ।।

बादशाह ने कहा क्या ये "इंसान" नहीं है?

और उस आदमी की लाश उठाकर उसके घर पहुंचा दी, और उसकी पत्नी को लोगों के रवैये के बारे में बताया ।।।

उसकी पत्नी अपने पति की लाश देखकर रोने लगी, और कहने लगी "मैं गवाही देती हूं मेरा पति बहुत नेक इंसान है"

इस बात पर बादशाह को बड़ा ताज्जुब हुआ कहने लगा "यह कैसे हो सकता है? लोग तो इसकी बुराई कर रहे थे और तो और इसकी लाश को हाथ तक लगाने को भी तैयार ना थे?"

उसकी बीवी ने कहा "मुझे भी लोगों से यही उम्मीद थी, दरअसल हकीकत यह है कि मेरा पति हर रोज शहर के शराबखाने में जाता शराब खरीदता और घर लाकर नालियों में डाल देता और कहता कि चलो कुछ तो गुनाहों का बोझ इंसानों से हल्का हुआ,

और रात में इसी तरह एक बुरी औरत यानी वेश्या के पास जाता और उसको एक रात की पूरी कीमत देता और कहता कि अपना दरवाजा बंद कर ले, कोई तेरे पास ना आए घर आकर कहता ख़ुदा का शुक्र है,आज उस औरत और नौजवानों के गुनाहों का मैंने कुछ बोझ हल्का कर दिया, लोग उसको उन जगहों पर जाता देखते थे,

मैं अपने पति से कहती "याद रखो जिस दिन तुम मर गए लोग तुम्हें नहलाने तक नहीं आएंगे,ना तुम्हारी अर्थी को कंधा देने आएंगे । वह हंसते और मुझसे कहते कि घबराओ नहीं तुम देखोगी कि मेरी अर्थी वक्त का बादशाह और नेक लोग उठाएंगे

यह सुनकर बादशाह रो पड़ा और कहने लगा मैं बादशाह हूं, कल हम इसको नहलायेंगे, इसकी अर्थी को कंधा देंगे और इसका दाह संस्कार भी करवाएंगेl

आज हम बज़ाहिर कुछ देखकर या दूसरों से कुछ सुनकर अहम फैसले कर बैठते हैं अगर हम दूसरों के दिलों के भेद जान जाएं तो हमारी ज़बाने गूंगी हो जाएं,

किसी को गलत समझने से पहले देख लिया करें कि वह ऐसा है भी कि नहीं? और हमारे सही या ग़लत कहने से सही ग़लत नहीं हो जायेगा और जो ग़लत है वो सही नहीं हो जायेगा।

हम दूसरों के बारे में फैसला करने में महज़ अपना वक़्त ज़ाया कर रहे हैंबेहतर ये है कि अपना कीमती वक़्त किसी की बुराई करने की बजाय अच्छी सोच के साथ परोपकार में लगाएं

शिक्षा - किसी को गलत समझने से पहले एक बार उसके हालात समझने की कोशिश जरुर करों हम सही हो सकते है लेकिन मात्र हमारे सही होने से सामने वाला गलत नही हो सकता सच्चे और शुभचिंतक लोग हमारे जीवन में सितारों की तरह होते है वो चमकते तो सदैव ही रहते है परंतु दिखायी तभी देते है जब अंधकार छा जाता है


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(24)

                          जंगल में एक गर्भवती हिरनी बच्चे को जन्म देने को थी। वो एकांत जगह की तलाश में घुम रही थी, कि उसे नदी किनारे ऊँची और घनी घास दिखी। उसे वो उपयुक्त स्थान लगा शिशु को जन्म देने के लिये।


वहां पहुँचते ही उसे प्रसव पीडा शुरू हो गयी।उसी समय आसमान में घनघोर बादल वर्षा को आतुर हो उठे और बिजली कडकने लगी।


उसने दाये देखा, तो एक शिकारी तीर का निशाना, उस की तरफ साध रहा था। घबराकर वह दाहिने मुडी, तो वहां एक भूखा शेर, झपटने को तैयार बैठा था। सामने सूखी घास आग पकड चुकी थी और पीछे मुडी, तो नदी में जल बहुत था।


मादा हिरनी क्या करती ? वह प्रसव पीडा से व्याकुल थी। अब क्या होगा ? क्या हिरनी जीवित बचेगी ? क्या वो अपने शावक को जन्म दे पायेगी ? क्या शावक जीवित रहेगा ?


क्या जंगल की आग सब कुछ जला देगी ? क्या मादा हिरनी शिकारी के तीर से बच पायेगी ?क्या मादा हिरनी भूखे शेर का भोजन बनेगी ?


वो एक तरफ आग से घिरी है और पीछे नदी है। क्या करेगी वो ?


हिरनी अपने आप को शून्य में छोड, अपने बच्चे को जन्म देने में लग गयी। कुदरत का कारिष्मा देखिये। बिजली चमकी और तीर छोडते हुए, शिकारी की आँखे चौंधिया गयी। उसका तीर हिरनी के पास से गुजरते, शेर की आँख में जा लगा,शेर दहाडता हुआ इधर उधर भागने लगा।और शिकारी, शेर को घायल ज़ानकर भाग गया। घनघोर बारिश शुरू हो गयी और जंगल की आग बुझ गयी। हिरनी ने शावक को जन्म दिया।


शिक्षा - हमारे जीवन में भी कभी कभी कुछ क्षण ऐसे आते है, जब हम चारो तरफ से समस्याओं से घिरे होते हैं और कोई निर्णय नहीं ले पाते। तब सब कुछ नियति के हाथों सौंपकर अपने उत्तरदायित्व व प्राथमिकता पर ध्यान केन्द्रित करना चाहिए। निर्णय ईश्वर करता है हमें उस पर विश्वास कर उसके निर्णय का सम्मान करना चाहिए।

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(25)

                                                ☀️'किसी अंजान पर भरोसा न करें'☀️



        एक बार एक शिकारी जंगल में शिकार करने के लिए गया। बहुत प्रयास करने के बाद उसने जाल में एक बाज पकड़ लिया।

शिकारी जब बाज को लेकर जाने लगा तब रास्ते में बाज ने शिकारी से कहा, “तुम मुझे लेकर क्यों जा रहे हो?”

शिकारी बोला, “ मैं तुम्हे मारकर खाने के लिए ले जा रहा हूँ।”

बाज ने सोचा कि अब तो मेरी मृत्यु निश्चित है। वह कुछ देर यूँही शांत रहा और फिर कुछ सोचकर बोला, “देखो, मुझे जितना जीवन जीना था मैंने जी लिया और अब मेरा मरना निश्चित है, लेकिन मरने से पहले मेरी एक आखिरी इच्छा है।”

“बताओ अपनी इच्छा?”, शिकारी ने उत्सुकता से पूछा।

बाज ने बताना शुरू किया-

मरने से पहले मैं तुम्हें दो सीख देना चाहता हूँ, इसे तुम ध्यान से सुनना और सदा याद रखना।

पहली सीख तो यह कि किसी कि बातों का बिना प्रमाण, बिना सोचे-समझे विश्वास मत करना।

और दूसरी ये कि यदि तुम्हारे साथ कुछ बुरा हो या तुम्हारे हाथ से कुछ छूट जाए तो उसके लिए कभी दुखी मत होना।

शिकारी ने बाज की बात सुनी और अपने रस्ते आगे बढ़ने लगा।

कुछ समय बाद बाज ने शिकारी से कहा- “ शिकारी, एक बात बताओ…अगर मैं तुम्हे कुछ ऐसा दे दूँ जिससे तुम रातों-रात अमीर बन जाओ तो क्या तुम मुझे आज़ाद कर दोगे?”

शिकारी फ़ौरन रुका और बोला, “ क्या है वो चीज, जल्दी बताओ?”

बाज बोला, “ दरअसल, बहुत पहले मुझे राजमहल के करीब एक हीरा मिला था, जिसे उठा कर मैंने एक गुप्त स्थान पर रख दिया था। अगर आज मैं मर जाऊँगा तो वो हीरा इसे ही बेकार चला जाएगा, इसलिए मैंने सोचा कि अगर तुम उसके बदले मुझे छोड़ दो तो मेरी जान भी बच जायेगी और तुम्हारी गरीभी भी हमेशा के लिए मिट जायेगी।”

यह सुनते ही शिकारी ने बिना कुछ सोचे समझे बाज को आजाद कर दिया और वो हीरा लाने को कहा।

बाज तुरंत उड़ कर पेड़ की एक ऊँची साखा पर जा बैठा और बोला, “ कुछ देर पहले ही मैंने तुम्हे एक सीख दी थी कि किसी के भी बातों का तुरंत विश्वास मत करना लेकिन तुमने उस सीख का पालन नही किया…दरअसल, मेरे पास कोई हीरा नहीं है और अब मैं आज़ाद हूँ।

यह सुनते ही शिकारी मायूस हो पछताने लगा…तभी बाज फिर बोला, तुम मेरी दूसरी सीख भूल गए कि अगर कुछ तुम्हारे साथ कुछ बुरा हो तो उसके लिए तुम कभी पछतावा मत करना।

 इस कहानी से हमें ये सीख मिलती है कि हमे किसी अनजान व्यक्ति पर आसानी से विश्वास नहीं करना चाहिए और किसी प्रकार का नुक्सान होने या असफलता मिलने पर दुखी नहीं होना चाहिए, बल्कि उस बात से सीख लेकर भविष्य में सतर्क रहना चाहिए।


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(26)

                                                🔺'जो होता है अच्छे के लिए होता है'🔺


           एक दिन किसी राजा के हाथ की उंगली कट गई , इस पर पास खड़े मंत्री ने राजा से कहा कोई बात नहीं महाराज जो होता है अच्छे के लिए होता है । यह बात राजा को न तो समझ आई न ही अच्छी लगी उसने मंत्री से कहा तुम ये क्या कह रहे हो , एक तो मेरी उंगली कट गई और तुम कह रहे हो जो होता है अच्छे के लिए होता है , इसमे मेरा क्या अच्छा होगा ?

राजा ने कहा अच्छा ठीक है! जो होता है वो अच्छे के लिए होता है तो फिर मैं तुम्हे कारावास में डाल देता हूं फिर कहना जो हुआ अच्छा हुआ , और उसने मंत्री को कारावास में डलवा दिया ।

अगले दिन राजा अपने सैनिकों को लेकर शिकार करने जंगल मे गया । मगर जंगल में राजा तथा उसके सैनिको को वहाँ के जंगली कबीले वालों लोगों ने पकड़ लिया. कबीले के लोगों ने एक एक कर सारे सैनिको की बलि चढ़ा दी मगर जब राजा की बारी आयी तो उन्होंने देखा राजा की उंगली खंडित है, अतः उसकी बलि नहीं दी जा सकती इसलिए उन्होंने राजा को छोड़ दिया ।।

राजा जंगल से जैसे तैसे महल में आया और सीधे मंत्री के पास जा पहुंचा । उसने मंत्री से कहा मुझे माफ़ कर दो,तुम बिल्कुल सत्य कह रहे थे जो होता है अच्छे के लिये होता है , आज मेरी जान इस कटी हुई उंगली के कारण बच गयी , वरना मैं आज जीवित नहीं होता ।।

तब मंत्री ने कहा माफी मत मांगिये महाराज , मैंने कहा था न जो होता है अच्छे के लिए होता है, मैं तो आपको धन्यवाद कहना चाहता हूं कि आप ने मुझे कारावास में डाल दिया अन्यथा मैं भी आपके साथ जाता और आप तो बच कर आ जाते मगर मेरा तो काम तमाम ही हो जाता..🤗

शिक्षा : जो होता है अच्छे के लिए होता है.


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(27)

                                                            "पेड़ का इंकार"


                एक बड़ी सी नदी के किनारे कुछ पेड़ थे जिसकी टहनियां नदी के धारा के ऊपर तक भी फैली हुई थीं।एक दिन एक चिड़ियों का परिवार अपने लिए घोसले की तलाश में भटकते हुए उस नदी के किनारे पहुंच गया। चिड़ियों ने एक अच्छा सा पेड़ देखा और उससे पूछा, “हम सब काफी समय से अपने लिए एक नया मजबूत घर बनाने के लिए वृक्ष तलाश रहे हैं, आपको देखकर हमें बड़ी प्रसन्नता हुई, आपकी मजबूत शाखाओं पर हम एक अच्छा सा घोंसला बनाना चाहते हैं ताकि बरसात शुरू होने से पहले हम खुद को सुरक्षित रख सकें। क्या आप हमें इसकी अनुमति देंगे?”

पेड़ ने उनकी बातों को सुनकर साफ इनकार कर दिया और बोला-

मैं तुम्हे इसकी अनुमति नहीं दे सकता…जाओ कहीं और अपनी तलाश पूरी करो।

चिड़ियों को पेड़ का इनकार बहुत बुरा लगा, वे उसे भला-बुरा कह कर सामने ही एक दूसरे पेड़ के पास चली गयीं।

उस पेड़ से भी उन्होंने घोंसला बनाने की अनुमति मांगी।

इस बार पेड़ आसानी से तैयार हो गया और उन्हें ख़ुशी-ख़ुशी वहां रहने की अनुमति दे दी।

चिड़िया का घोंसला

चिड़ियों ने उस पेड़ की खूब प्रशंसा की और अपना घोंसला बना कर वहां रहने लगीं।

समय बीता… बरसात का मौसम शुरू हो गया। इस बार की बारिश भयानक थी…नदियों में बाढ़ आ गयी…नदी अपने तेज प्रवाह से मिटटी काटते-काटते और चौड़ी हो गयी…और एक दिन तो ईतनी बारिश हुई कि नदी में बाढ़ सा आ गयी तमाम पेड़-पौधे अपनी जड़ों से उखड़ कर नदी में बहने लगे।

और इन पेड़ों में वह पहला वाला पेड़ भी शामिल था जिसने उस चिड़ियों को अपनी शाखा पर घोंसला बनाने की अनुमति नही दी थी।

उसे जड़ों सहित उखड़कर नदी में बहता देख चिड़ियों कर परिवार खुश हो गया, मानो कुदरत ने पेड़ से उनका बदला ले लिया हो।

चिड़ियों ने पेड़ की तरफ उपेक्षा भरी नज़रों से देखा और कहा, “एक समय जब हम तुम्हारे पास अपने लिए मदद मांगने आये थे तो तुमने  साफ इनकार कर दिया था, अब देखो तुम्हारे इसी स्वभाव के कारण तुम्हारी यह दशा हो गई है।”

इसपर इस पेड़ ने मुस्कुराते हुए उन चिड़िया से कहा-

मैं जानता था कि मेरी उम्र हो चली है और इस बरसात के मौसम में मेरी कमजोर पड़ चुकी जडें टिक नहीं पाएंगी… और मात्र यही कारण था कि मैंने तुम्हें इनकार कर दिया था क्योंकि मैं नहीं चाहता कि मेरी वजह से तुम्हारे ऊपर विपत्ति आये।

फिर भी तुम्हारा दिल दुखाने के लिए मुझे क्षमा करना… और ऐसा कहते-कहते पेड़ पानी में बह गया।  

चिड़ियाँ अब अपने व्यवहार पर पछताने के अलावा कुछ नही कर सकती थीं।

बंधुओ,अक्सर हम दूसरों के रूखे व्यवहार या ‘ना’ का बुरा मान जाते हैं, लेकिन कई बार इसी तरह के व्यवहार में हमारा हित छुपा होता है। खासतौर पे जब बड़े-बुजुर्ग या माता-पिता बच्चों की कोई बात नहीं मानते तो बच्चे उन्हें अपना दुश्मन समझ बैठते हैं जबकि सच्चाई ये होती है कि वे हमेशा अपने बच्चों की भलाई के बारे में ही सोचते हैं।

इसलिए, यदि आपको भी कहीं से कोई ‘इनकार’ मिले तो उसका बुरा ना माने क्या पता उन चिड़ियों की तरह एक ‘ना’ आपके जीवन से भी विपत्तियों को दूर कर दे!


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(28)

                    एक प्रेरणादायक कहानी....


 एक अमीर आदमी था। उसने समुद्र मे अकेले घूमने के लिए एक नाव बनवाई।


छुट्टी के दिन वह नाव लेकर समुद्र की सेर करने निकला। आधे समुद्र तक पहुंचा ही था कि अचानक एक जोरदार तुफान आया। उसकी नाव पुरी तरह से तहस-नहस हो गई लेकिन वह लाईफ जैकेट की मदद से समुद्र मे कूद गया। जब तूफान शांत हुआ तब वह तैरता तैरता एक टापू पर पहुंचा लेकिन वहाँ भी कोई नही था। टापू के चारो और समुद्र के अलावा कुछ भी नजर नही आ रहा था। उस आदमी ने सोचा कि जब मैंने पूरी जिदंगी मे किसी का कभी भी बुरा नही किया तो मेरे साथ ऐसा क्यूँ हुआ..?


उस आदमी को लगा कि भगवान ने मौत से बचाया तो आगे का रास्ता भी भगवान ही बताएगा। धीरे धीरे वह वहाँ पर उगे झाड-पत्ते खाकर दिन बिताने लगा।


अब धीरे-धीरे उसकी श्रध्दा टूटने लगी, भगवान पर से उसका विश्वास उठ गया। उसको लगा कि इस दुनिया मे भगवान है ही नही। फिर उसने सोचा कि अब पूरी जिंदगी यही इस टापू पर ही बितानी है तो क्यूँ ना एक झोपडी बना लूँ ......?


फिर उसने झाड की डालियो और पत्तो से एक छोटी सी झोपडी बनाई। उसने मन ही मन कहा कि आज से झोपडी मे सोने को मिलेगा आज से बाहर नही सोना पडेगा। रात हुई ही थी कि अचानक मौसम बदला बिजलियाँ जोर जोर से कड़कने लगी.! तभी अचानक एक बिजली उस झोपडी पर आ गिरी और झोपडी धधकते हुए जलने लगी।


यह देखकर वह आदमी टूट गया आसमान की तरफ देखकर बोला तू भगवान नही, राक्षस है। तुझमे दया जैसा कुछ है ही नही तू बहुत क्रूर है। वह व्यक्ति हताश होकर सर पर हाथ रखकर रो रहा था। कि अचानक एक नाव टापू के पास आई। नाव से उतरकर दो आदमी बाहर आये और बोले कि हम तुमे बचाने आये हैं। दूर से इस वीरान टापू मे जलता हुआ झोपडा देखा तो लगा कि कोई उस टापू पर मुसीबत मे है।


अगर तुम अपनी झोपडी नही जलाते तो हमे पता नही चलता कि टापू पर कोई है। उस आदमी की आँखो से आँसू गिरने लगे।


उसने ईश्वर से माफी माँगी और बोला कि मुझे क्या पता कि आपने मुझे बचाने के लिए मेरी झोपडी जलाई थी.


सीख- दिन चाहे सुख के हों या दुख के, भगवान अपने भक्तों के साथ हमेशा रहते है !!


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(29)

                                                 ☀️ "अपना काम स्वयं करिए" ☀️



एक बुद्धिमान लवा पक्षी का परिवार किसान के खेतों में रहता था। उनका घोंसला बहुत आरामदेह था। परिवार में सभी सदस्यों में अथाह प्रेम था


एक सुबह अपने बच्चों के लिए भोजन की तलाश में जाने से पहले बच्चों की मां ने कहा- देखो बच्चों किसान बहुत जल्दी अपनी फसल काट कर आएगा। ऐसी स्थिति में हमें अपना नया घर खोजना पड़ेगा। तो तुम सब अपने कान और आंखें खुली रखना और जब मैं शाम को लौटकर आऊं तो मुझे बताना कि तुमने क्या देखा और क्या सुना?


शाम को जब लवा अपने घर लौटी तो उसने अपने परिवार को परेशान हाल में पाया। उसके बच्चे कहने लगे- हमें जल्दी ही यह स्थान छोड़ देना चाहिए। किसान अपने पुत्रों के साथ अपने खेत की जांच करने आया था। वह अपने पुत्रों से कह रहा था। फसल तैयार है, हमें कल अपने सभी पड़ोसियों को बुलाकर फसल काट लेनी चाहिए।


लवा ने अपने बच्चों की बातें ध्यानपूर्वक सुनीं, फिर बोली- अरे कोई खतरा नही। कल भी होशियार रहना। किसान जो कुछ करे या कहे, वह मुझे शाम को बताना।


दूसरे दिन शाम को जब लवा वापस लौटी तो उसने अपने बच्चों को बहुत भयभीत पाया। मां को देखते ही वे चिल्लाए- किसान दुबारा यहां आया था। कह रहा था, यह फसल जल्दी ही काटी जानी चाहिए। अगर हमारे पड़ोसी हमारी सहायता नहीं करते तो हम अपने रिश्तेदारों को बुलाएंगे। जाओ, अपने चाचा और चचेरे भाइयों आदि से कहो कि कल आकर फसल काटने में हमारी सहायता करें।


लवा मुस्कराई बोली- प्यारे बच्चों चिन्ता मत करो। किसान के रिश्तेदारों के पास तो उनकी अपनी ही फसल काटने के लिए पड़ी है। वे भला यहां फसल काटने क्यों आएंगे।


अगले दिन लवा फिर बाहर चली गई। जब वह शाम को लौटी तो बच्चे उसे देखते ही चिल्लाए- ओह मां यह किसान आज कह रहा था कि यदि उसके रिश्तेदार और पड़ोसी फसल काटने नहीं आते तो वह खुद अपनी फसल काटेगा। तो अब तो यहां रहने का कोई लाभ नहीं है।


तब तो हमें शीघ्र ही यहां से चलना चाहिए। लवा बोली- यह मैं इसलिए कह रही हूं कि जब कोई किसी कार्य के लिए किसी अन्य पर निर्भर करता है तो वह कार्य कभी पूरा नहीं होता। परंतु वही व्यक्ति जब उस कार्य को स्वयं करने की ठान लेता है तो संसार की कोई भी शक्ति उसे उस कार्य को करने से नहीं रोक सकती। तो यही वह समय है,जब हमें अपना घर बदल लेना चाहिए।


शिक्षा- यदि अपना काम स्वयं करने की आदत खुद में विकसित कर लें,तो हर क्षेत्र में सफलता की उम्मीद रहेगी.

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(30)

                                         "मन के हारे हार है मन के जीते जीत"


हिरन के दौड़ने की क्षमता करीब 90 किलोमीटर प्रति घंटा है, वहीं बाघ के दौड़ने की रफ्तार करीब 60 किलोमीटर प्रति घंटा की होती है। लेकिन फिर भी बाघ हर बार हिरण का शिकार कर लेता है।जानते हैं क्यों?


हिरण के मन में डर होता है कि वह बाघ से जीत नहीं पायेगा और इसी डर की वजह से वह बार -बार रुक कर पीछे मुड़कर देखता है। हिरण के मन का डर उसकी रफ़्तार को कम कर देता है, और बाघ उसका शिकार कर लेता है।


मित्रों मन का डर हमेशा हमें आगे बढ़ने से रोकता है। जिस व्यक्ति के मन में हार जाने का डर है, वह कभी भी अपनी पूरी क्षमता से काम कर ही नहीं सकता। उसका मन उसको हमेशा कमजोर होने का अहसास कराता रहेगा।


आप चाहें किसी भी फिल्ड में हों और आप चाहें कोई भी कार्य कर रहे हों, आपको अपने मन को जीतना बहुत जरूरी है क्यूंकि जो व्यक्ति मन से हार जाता है वो अपार क्षमता होने के बावजूद कभी सफल नहीं हो सकता।


जीतना है तो असफल होने के सारे रास्ते बंद कीजिये –


पुराने समय की एक कहानी है कि महोसर नाम का एक छोटा सा राज्य हुआ करता था। एक दिन गुप्तचरों ने राजा को सूचना दी कि पड़ोसी राज्य हम पर हमला करने वाला है।


गुप्तचरों ने बताया कि खबर एकदम पक्की है, सिर्फ कुछ चंद दिनों के भीतर ही पड़ोसी राज्य अपनी विशाल सेना के साथ हम पल हमला कर देगा और उनकी बड़ी सेना के आगे हमारा टिक पाना बेहद कठिन है।


राजा बेहद चिंतित हो गया, उसने तुरंत सभा बुलाई और सभी लोगों से सलाह मांगी कि अब हम लोगों का मरना तय है, अगर किसी व्यक्ति के पास कोई सुझाव है तो वह अपना सुझाव हमारे साथ साझा कर सकता है।


राजा के चतुर मंत्री ने कहा – राजन, अब जब जान पर बन ही आयी है तो इसका एकमात्र उपाय है कि हमें आज ही पड़ोसी राज्य पर हमला कर देना चाहिये।


राजा बोला – मंत्री जी हमारी सेना बहुत छोटी है, हम उनका मुकाबला कैसे कर पाएंगे?


मंत्री बोला – राजन, पड़ोसी राज्य की अभी युद्ध की तैयारी नहीं है, अभी उनपर हमला कर दिया तो वह संभल नहीं पायेंगे और हमारे जीतने की कुछ तो उम्मीदें बनेंगी। ऐसे भी अगर हमने हमला नहीं किया तो हमारा विनाश तो तय है ही क्यूंकि कुछ दिनों में पड़ोसी राज्य हमपर कूच करने ही वाला है।


राजा को बात जंच गयी, उसने तुरंत अपनी सेना को तैयार होने का आदेश दिया और राज्य के नागरिक भी सेना के साथ जुड़कर युद्ध करने चल दिए।


पड़ोसी राज्य में जाने से पहले एक सेना को विशाल नदी के ऊपर बना एक पुल पार करना था। जैसे ही सेना पुल पार करके पड़ोसी राज्य में घुसी, तो राजा ने उस पुल को आग लगवा दी, और सेना को बोल दिया कि अब हमारे पास वापस जाने का कोई रास्ता नहीं है। या तो हमें विजय प्राप्त करनी है या फिर यहीं मरकर प्राण त्याग देने हैं।


सभी सैनिक अपनी पूरी क्षमता के साथ लड़े और पड़ोसी राज्य की बड़ी सेना को भी मात दे दी।


मित्रों, जैसे राजा ने अपनी सेना की असफलता के सभी रास्ते बंद किये थे ठीक वैसे ही आपको भी अपनी असफलता के सभी रास्ते बंद करने होंगे। आपने स्वयं महसूस किया होगा कि जब इंसान के सभी रास्ते बंद हो जाते हैं तभी वह सबसे ज्यादा मेहनत करता है और सफलता हासिल करता है।


अपनी सफलता के लिए खुद को झोंक दीजिये, अपनी असफलता के बारे में सोचना ही छोड़ दीजिये क्यूंकि आपके पास असफल होने का कोई ऑप्शन ही नहीं है। खुद को असफल होने का कोई ऑप्शन ही मत दो, डरो नहीं कोई भी समस्या आपकी क्षमता से बड़ी नहीं है। जुट जाइये, सफलता आपकी राह देख रही है।


(31)


☀️'इंसानियत और मानवता'☀️

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एक गिद्ध का बच्चा अपने माता-पिता के साथ रहता था। 


एक दिन गिद्ध का बच्चा अपने पिता से बोला- "पिताजी, मुझे भूख लगी है।‘‘


"ठीक है, तू थोड़ी देर प्रतीक्षा कर। मैं अभी भोजन लेकर आता हूू।‘‘ कहते हुए गिद्ध उड़ने को उद्धत होने लगा। 


तभी उसके बच्चे ने उसे टोक दिया, "रूकिए पिताजी, आज मेरा मन इन्सान का गोश्त खाने का कर रहा है।‘‘


"ठीक है, मैं देखता हूं।‘‘ कहते हुए गिद्ध ने चोंच से अपने पुत्र का सिर सहलाया और बस्ती की ओर उड़ गया।


बस्ती के पास पहुंच कर गिद्ध काफी देर तक इधर-उधर मंडराता रहा, पर उसे कामयाबी नहीं मिली। 


थक-हार का वह सुअर का गोश्त लेकर अपने घोंसले में पहुंचा। 


उसे देख कर गिद्ध का बच्चा बोला, "पिताजी, मैं तो आपसे इन्सान का गोश्त लाने को कहा था, और आप तो सुअर का गोश्त ले आए?‘‘


पुत्र की बात सुनकर गिद्ध झेंप गया। 


वह बोला, "ठीक है, तू थोड़ी देर प्रतीक्षा कर।‘‘ कहते हुए गिद्ध पुन: उड़ गया। 


उसने इधर-उधर बहुत खोजा, पर उसे कामयाबी नहीं मिली। 


अपने घोंसले की ओर लौटते समय उसकी नजर एक मरी हुई गाय पर पड़ी। 


उसने अपनी पैनी चोंच से गाय के मांस का एक टुकड़ा तोड़ा और उसे लेकर घोंसले पर जा पहुंचा।


यह देखकर गिद्ध का बच्चा  एकदम से बिगड़ उठा, "पिताजी, ये तो गाय का गोश्त है।


मुझे तो इन्सान का गोश्त खाना है। क्या आप मेरी इतनी सी इच्छा पूरी नहीं कर सकते?‘‘


यह सुनकर गिद्ध बहुत शर्मिंदा हुआ।


उसने मन ही मन एक योजना बनाई और अपने उद्देश्य की पूर्ति के लिए निकल पड़ा।


गिद्ध ने सुअर के गोश्त एक बड़ा सा टुकड़ा उठाया और उसे मस्जिद की बाउंड्रीवाल के अंदर डाल दिया।


उसके बाद उसने गाय का गोश्त उठाया और उसे मंदिर के पास फेंक दिया। 


मांस के छोटे-छोटे टुकड़ों ने अपना काम किया और देखते ही पूरे शहर में आग लग गयी।


रात होते-होते चारों ओर इंसानों की लाशें बिछ गयी। यह देखकर गिद्ध बहुत प्रसन्न हुआ। उसने एक इन्सान के शरीर से गोश्त का बड़ा का टुकड़ा काटा और उसे लेकर अपने घोंसले में जा पहुंचा। 


यह देखकर गिद्ध का पुत्र बहुत प्रसन्न हुआ।


वह बोला, "पापा ये कैसे हुआ? इन्सानों का इतना ढेर सारा गोश्त आपको कहां से मिला?"


गिद्ध बोला, "बेटा ये इन्सान कहने को तो खुद को बुद्धि के मामले में सबसे श्रेष्ठ समझता है, 


पर जरा-जरा सी बात पर ‘जानवर‘ से भी बदतर बन जाता है और बिना सोचे-समझे मरने-मारने पर उतारू हो जाता है।


इन्सानों के वेश में बैठे हुए अनेक गिद्ध ये काम सदियों से कर रहे हैं। 


मैंने उसी का लाभ उठाया और इन्सान को जानवर के गोश्त से जानवर से भी बद्तर बना दियाा।‘‘


साथियों, क्या हमारे बीच बैठे हुए गिद्ध हमें कब तक अपनी उंगली पर नचाते रहेंगे?


और कब तक हम जरा-जरा सी बात पर अपनी इन्सानियत भूल कर मानवता का खून बहाते रहेंगे?


अगर आपको यह कहानी सोचने के लिए विवश कर दे, तो प्लीज़ इसे दूसरों तक भी पहुंचाए।


क्या पता आपका यह छोटा सा प्रयास इंसानों के बीच छिपे हुए किसी गिद्ध को इन्सान बनाने का कारण बन जाए।


(32)

☀️'प्रेरणादायक कहानी- ध्यान से पढ़िए'☀️

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बहुत पहले आप ने एक चिड़िया की कहानी सुनी होगी..जिसका एक दाना पेड़ के कंदरे में कहीं फंस गया था.


चिड़िया ने पेड़ से बहुत अनुरोध किया उस दाने को दे देने के लिए लेकिन पेड़ उस छोटी सी चिड़िया की बात भला कहां सुनने वाला था...


हार कर चिड़िया बढ़ई के पास गई और उसने उससे अनुरोध किया कि तुम उस पेड़ को काट दो, क्योंकि वो उसका दाना नहीं दे रहा...


भला एक दाने के लिए बढ़ई पेड़ कहां काटने वाला था..फिर चिड़िया राजा के पास गई और उसने राजा से कहा कि तुम बढ़ई को सजा दो क्योंकि बढ़ई पेड़ नहीं काट रहा और पेड़ दाना नहीं दे रहा...


राजा ने उस नन्हीं चिड़िया को डांट कर भगा दिया कि कहां एक दाने के लिए वो उस तक पहुंच गई है। चिड़िया हार नहीं मानने वाली थी...


वो महावत के पास गई कि अगली बार राजा जब हाथी की पीठ पर बैठेगा तो तुम उसे गिरा देना,क्योंकि राजा बढ़ई को सजा नहीं देता..बढ़ई पेड़ नहीं काटता...पेड़ उसका दाना नहीं देता..महावत ने भी चिड़िया को डपट कर भगा दिया...


चिड़िया फिर हाथी के पास गई और उसने अपने अनुरोध को दुहराया कि अगली बार जब महावत तुम्हारी पीठ पर बैठे तो तुम उसे गिरा देना क्योंकि वो राजा को गिराने को तैयार नहीं...


राजा बढ़ई को सजा देने को तैयार नहीं...बढ़ई पेड़ काटने को तैयार नहीं...पेड़ दाना देने को राजी नहीं।

हाथी बिगड़ गया...उसने कहा, ऐ छोटी चिड़िया..तू इतनी सी बात के लिए मुझे महावत और राजा को गिराने की बात सोच भी कैसे रही है?


चिड़िया आखिर में चींटी के पास गई और वही अनुरोध दोहराकर कहा कि तुम हाथी की सूंढ़ में घुस जाओ...चींटी ने चिड़िया से कहा, "चल भाग यहां से...बड़ी आई हाथी की सूंढ़ में घुसने को बोलने वाली।


अब तक अनुरोध की मुद्रा में रही चिड़िया ने रौद्र रूप धारण कर लिया...उसने कहा कि "मैं चाहे पेड़, बढ़ई, राजा, महावत, और हाथी का कुछ न बिगाड़ पाऊं...पर तुझे तो अपनी चोंच में डाल कर खा ही सकती हूँ...


चींटी डर गई...भाग कर वो हाथी के पास गई...हाथी भागता हुआ महावत के पास पहुंचा...महावत राजा के पास कि हुजूर चिड़िया का काम कर दीजिए नहीं तो मैं आपको गिरा दूंगा....राजा ने फौरन बढ़ई को बुलाया उससे कहा कि पेड़ काट दो नहीं तो सजा दूंगा...बढ़ई पेड़ के पास पहुंचा...बढ़ई को देखते ही पेड़ बिलबिला उठा कि मुझे मत काटो.मैं चिड़िया को दाना लौटा दूंगा...!!


"निष्कर्ष....👨‍✈️


आपको अपनी ताकत को पहचानना होगा...आपको पहचानना होगा कि भले आप छोटी सी चिड़िया की तरह होंगे, लेकिन ताकत की कड़ियां कहीं न कहीं आपसे होकर गुजरती होंगी...हर शेर को सवा शेर मिल सकता है, बशर्ते आप अपनी लड़ाई से घबराएं नहीं...


आप अगर किसी काम के पीछे पड़ जाएंगे तो वो काम होकर रहेगा यकीन कीजिए. हर ताकत के आगे एक और ताकत होती है और अंत में सबसे ताकतवर आप होते हैं. हिम्मत, लगन और पक्का इरादा ही हमारी ताकत की बुनियाद है..!!       


बड़े सपनो को पाने वाले हर व्यक्ति को सफलता और असफलता के कई पड़ावों से गुजरना पड़ता है.


पहले लोग मजाक उड़ाएंगे,फिर लोग साथ छोड़ेंगे, फिर विरोध करेंगे फिर वही लोग कहेंगे हम तो पहले से ही जानते थे की एक न एक दिन तुम कुछ बड़ा करोगे!


रख हौंसला वो मंज़र भी आयेगा,

प्यासे के पास चलकर समंदर भी आयेगा..! 


थक कर ना बैठ, ऐ मंजिल के मुसाफ़िर मंजिल भी मिलेगी और जीने का मजा भी आयेगा

(32)

  🌐"मन को छूने वाला प्रसंग"🌐

      


एक बार मेरे शहर में एक प्रसिद्ध बनारसी विद्वान् "ज्योतिषी" का आगमन हुआ..!! माना जाता है कि उनकी वाणी में सरस्वती विराजमान है। वे जो भी बताते है वह 100% सच होता है।

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501/- रुपये देते हुए " प्रेमचंद जी" ने अपना दाहिना हाथ आगे बढ़ाते हुए ज्योतिषी को कहा.., "महाराज, मेरी मृत्यु कब, कहॉ और किन परिस्थितियों में होगी?"

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ज्योतिषी ने प्रेमचंद जी की हस्त रेखाऐं देखीं, चेहरे और माथे को अपलक निहारते रहे। स्लेट पर कुछ अंक लिख कर जोड़ते-घटाते रहे। बहुत देर बाद वे गंभीर स्वर में बोले.., "प्रेमचंद जी, आपकी भाग्य रेखाएँ कहती है कि जितनी आयु आपके पिता को प्राप्त होगी उतनी ही आयु आप भी पाएँगे। जिन परिस्थितियों में और जहाँ आपके पिता की मृत्यु होगी, उसी स्थान पर ओर उसी तरह, आपकी भी मृत्यु होगी।"

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यह सुन कर "प्रेमचंद जी" भयभीत हो उठे और वहां से चल पडे..


एक घण्टे बाद ...

प्रेमचंद जी" वृद्धाश्रम से अपने वृद्ध पिता को साथ लेकर घर लौट रहे थे..!!


नोट :- आप को वही मिलेगा..जैसे अपने माँ-बाप से साथ सलूक करोगे ! यहीं विधि का विधान है !!


(33)

 किसी को गलत समझने से पहले एक बार

     उसके हालात समझने की कोशिश करें

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एक बादशाह की आदत थी, कि वह भेस बदलकर लोगों की खैर-ख़बर लिया करता था,एक दिन अपने वज़ीर के साथ गुज़रते हुए शहर के किनारे पर पहुंचा तो देखा एक आदमी गिरा पड़ा हैl


बादशाह ने उसको हिलाकर देखा तो वह मर चुका था लोग उसके पास से गुज़र रहे थे, बादशाह ने लोगों को आवाज़ दी लेकिन कोई भी उसके नजदीक नहीं आया क्योंकि लोग बादशाह को पहचान ना सके 


बादशाह ने वहां रह रहे लोगों से पूछा क्या बात है? इस को किसी ने क्यों नहीं उठाया? लोगों ने कहा यह बहुत बुरा और गुनाहगार इंसान है ।।


बादशाह ने कहा क्या ये "इंसान" नहीं है?

और उस आदमी की लाश उठाकर उसके घर पहुंचा दी, और उसकी पत्नी को लोगों के रवैये के बारे में बताया ।।।


उसकी पत्नी अपने पति की लाश देखकर रोने लगी, और कहने लगी "मैं गवाही देती हूं मेरा पति बहुत नेक इंसान है"


इस बात पर बादशाह को बड़ा ताज्जुब हुआ कहने लगा "यह कैसे हो सकता है? लोग तो इसकी बुराई कर रहे थे और तो और इसकी लाश को हाथ तक लगाने को भी तैयार ना थे?"


उसकी बीवी ने कहा "मुझे भी लोगों से यही उम्मीद थी, दरअसल हकीकत यह है कि मेरा पति हर रोज शहर के शराबखाने में जाता शराब खरीदता और घर लाकर नालियों में डाल देता और कहता कि चलो कुछ तो गुनाहों का बोझ इंसानों से हल्का हुआ,


और रात में इसी तरह एक बुरी औरत यानी वेश्या के पास जाता और उसको एक रात की पूरी कीमत देता और कहता कि अपना दरवाजा बंद कर ले, कोई तेरे पास ना आए घर आकर कहता ख़ुदा का शुक्र है,आज उस औरत और नौजवानों के गुनाहों का मैंने कुछ बोझ हल्का कर दिया, लोग उसको उन जगहों पर जाता देखते थे,


मैं अपने पति से कहती "याद रखो जिस दिन तुम मर गए लोग तुम्हें नहलाने तक नहीं आएंगे,ना तुम्हारी अर्थी को कंधा देने आएंगे । वह हंसते और मुझसे कहते कि घबराओ नहीं तुम देखोगी कि मेरी अर्थी वक्त का बादशाह और नेक लोग उठाएंगे


यह सुनकर बादशाह रो पड़ा और कहने लगा मैं बादशाह हूं, कल हम इसको नहलायेंगे, इसकी अर्थी को कंधा देंगे और इसका दाह संस्कार भी करवाएंगेl


आज हम बज़ाहिर कुछ देखकर या दूसरों से कुछ सुनकर अहम फैसले कर बैठते हैं अगर हम दूसरों के दिलों के भेद जान जाएं तो हमारी ज़बाने गूंगी हो जाएं,


किसी को गलत समझने से पहले देख लिया करें कि वह ऐसा है भी कि नहीं? और हमारे सही या ग़लत कहने से सही ग़लत नहीं हो जायेगा और जो ग़लत है वो सही नहीं हो जायेगा।


हम दूसरों के बारे में फैसला करने में महज़ अपना वक़्त ज़ाया कर रहे हैंबेहतर ये है कि अपना कीमती वक़्त किसी की बुराई करने की बजाय अच्छी सोच के साथ परोपकार में लगाएं



शिक्षा - किसी को गलत समझने से पहले एक बार उसके हालात समझने की कोशिश जरुर करों हम सही हो सकते है लेकिन मात्र हमारे सही होने से सामने वाला गलत नही हो सकता सच्चे और शुभचिंतक लोग हमारे जीवन में सितारों की तरह होते है वो चमकते तो सदैव ही रहते है परंतु दिखायी तभी देते है जब अंधकार छा जाता है

   (33)


ड़ का इंकार🔺


एक बड़ी सी नदी के किनारे कुछ पेड़ थे जिसकी टहनियां नदी के धारा के ऊपर तक भी फैली हुई थीं।


एक दिन एक चिड़ियों का परिवार अपने लिए घोसले की तलाश में भटकते हुए उस नदी के किनारे पहुंच गया।

 

चिड़ियों ने एक अच्छा सा पेड़ देखा और उससे पूछा, “हम सब काफी समय से अपने लिए एक नया मजबूत घर बनाने के लिए वृक्ष तलाश रहे हैं, आपको देखकर हमें बड़ी प्रसन्नता हुई, आपकी मजबूत शाखाओं पर हम एक अच्छा सा घोंसला बनाना चाहते हैं ताकि बरसात शुरू होने से पहले हम खुद को सुरक्षित रख सकें। क्या आप हमें इसकी अनुमति देंगे?”


पेड़ ने उनकी बातों को सुनकर साफ इनकार कर दिया और बोला-


मैं तुम्हे इसकी अनुमति नहीं दे सकता…जाओ कहीं और अपनी तलाश पूरी करो।


चिड़ियों को पेड़ का इनकार बहुत बुरा लगा, वे उसे भला-बुरा कह कर सामने ही एक दूसरे पेड़ के पास चली गयीं।


उस पेड़ से भी उन्होंने घोंसला बनाने की अनुमति मांगी।

 

इस बार पेड़ आसानी से तैयार हो गया और उन्हें ख़ुशी-ख़ुशी वहां रहने की अनुमति दे दी।


चिड़िया का घोंसला

चिड़ियों ने उस पेड़ की खूब प्रशंसा की और अपना घोंसला बना कर वहां रहने लगीं।


समय बीता… बरसात का मौसम शुरू हो गया। इस बार की बारिश भयानक थी…नदियों में बाढ़ आ गयी…नदी अपने तेज प्रवाह से मिटटी काटते-काटते और चौड़ी हो गयी…और एक दिन तो ईतनी बारिश हुई कि नदी में बाढ़ सा आ गयी तमाम पेड़-पौधे अपनी जड़ों से उखड़ कर नदी में बहने लगे।


और इन पेड़ों में वह पहला वाला पेड़ भी शामिल था जिसने उस चिड़ियों को अपनी शाखा पर घोंसला बनाने की अनुमति नही दी थी।


उसे जड़ों सहित उखड़कर नदी में बहता देख चिड़ियों कर परिवार खुश हो गया, मानो कुदरत ने पेड़ से उनका बदला ले लिया हो।


चिड़ियों ने पेड़ की तरफ उपेक्षा भरी नज़रों से देखा और कहा, “एक समय जब हम तुम्हारे पास अपने लिए मदद मांगने आये थे तो तुमने  साफ इनकार कर दिया था, अब देखो तुम्हारे इसी स्वभाव के कारण तुम्हारी यह दशा हो गई है।”


इसपर इस पेड़ ने मुस्कुराते हुए उन चिड़िया से कहा-


मैं जानता था कि मेरी उम्र हो चली है और इस बरसात के मौसम में मेरी कमजोर पड़ चुकी जडें टिक नहीं पाएंगी… और मात्र यही कारण था कि मैंने तुम्हें इनकार कर दिया था क्योंकि मैं नहीं चाहता कि मेरी वजह से तुम्हारे ऊपर विपत्ति आये।


फिर भी तुम्हारा दिल दुखाने के लिए मुझे क्षमा करना… और ऐसा कहते-कहते पेड़ पानी में बह गया।  


चिड़ियाँ अब अपने व्यवहार पर पछताने के अलावा कुछ नही कर सकती थीं।


बंधुओ,अक्सर हम दूसरों के रूखे व्यवहार या ‘ना’ का बुरा मान जाते हैं, लेकिन कई बार इसी तरह के व्यवहार में हमारा हित छुपा होता है। खासतौर पे जब बड़े-बुजुर्ग या माता-पिता बच्चों की कोई बात नहीं मानते तो बच्चे उन्हें अपना दुश्मन समझ बैठते हैं जबकि सच्चाई ये होती है कि वे हमेशा अपने बच्चों की भलाई के बारे में ही सोचते हैं।


इसलिए, यदि आपको भी कहीं से कोई ‘इनकार’ मिले तो उसका बुरा ना माने क्या पता उन चिड़ियों की तरह एक ‘ना’ आपके जीवन से भी विपत्तियों को दूर कर दे!

(34)

   ☀️ "अपना काम स्वयं करिए" ☀️

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एक बुद्धिमान लवा पक्षी का परिवार किसान के खेतों में रहता था। उनका घोंसला बहुत आरामदेह था। परिवार में सभी सदस्यों में अथाह प्रेम था


एक सुबह अपने बच्चों के लिए भोजन की तलाश में जाने से पहले बच्चों की मां ने कहा- देखो बच्चों किसान बहुत जल्दी अपनी फसल काट कर आएगा। ऐसी स्थिति में हमें अपना नया घर खोजना पड़ेगा। तो तुम सब अपने कान और आंखें खुली रखना और जब मैं शाम को लौटकर आऊं तो मुझे बताना कि तुमने क्या देखा और क्या सुना?


शाम को जब लवा अपने घर लौटी तो उसने अपने परिवार को परेशान हाल में पाया। उसके बच्चे कहने लगे- हमें जल्दी ही यह स्थान छोड़ देना चाहिए। किसान अपने पुत्रों के साथ अपने खेत की जांच करने आया था। वह अपने पुत्रों से कह रहा था। फसल तैयार है, हमें कल अपने सभी पड़ोसियों को बुलाकर फसल काट लेनी चाहिए।


लवा ने अपने बच्चों की बातें ध्यानपूर्वक सुनीं, फिर बोली- अरे कोई खतरा नही। कल भी होशियार रहना। किसान जो कुछ करे या कहे, वह मुझे शाम को बताना।


दूसरे दिन शाम को जब लवा वापस लौटी तो उसने अपने बच्चों को बहुत भयभीत पाया। मां को देखते ही वे चिल्लाए- किसान दुबारा यहां आया था। कह रहा था, यह फसल जल्दी ही काटी जानी चाहिए। अगर हमारे पड़ोसी हमारी सहायता नहीं करते तो हम अपने रिश्तेदारों को बुलाएंगे। जाओ, अपने चाचा और चचेरे भाइयों आदि से कहो कि कल आकर फसल काटने में हमारी सहायता करें।


लवा मुस्कराई बोली- प्यारे बच्चों चिन्ता मत करो। किसान के रिश्तेदारों के पास तो उनकी अपनी ही फसल काटने के लिए पड़ी है। वे भला यहां फसल काटने क्यों आएंगे।


अगले दिन लवा फिर बाहर चली गई। जब वह शाम को लौटी तो बच्चे उसे देखते ही चिल्लाए- ओह मां यह किसान आज कह रहा था कि यदि उसके रिश्तेदार और पड़ोसी फसल काटने नहीं आते तो वह खुद अपनी फसल काटेगा। तो अब तो यहां रहने का कोई लाभ नहीं है।


तब तो हमें शीघ्र ही यहां से चलना चाहिए। लवा बोली- यह मैं इसलिए कह रही हूं कि जब कोई किसी कार्य के लिए किसी अन्य पर निर्भर करता है तो वह कार्य कभी पूरा नहीं होता। परंतु वही व्यक्ति जब उस कार्य को स्वयं करने की ठान लेता है तो संसार की कोई भी शक्ति उसे उस कार्य को करने से नहीं रोक सकती। तो यही वह समय है,जब हमें अपना घर बदल लेना चाहिए।


शिक्षा- यदि अपना काम स्वयं करने की आदत खुद में विकसित कर लें,तो हर क्षेत्र में सफलता की उम्मीद रहेगी.

(34)

🔺"अपनी तुलना दूसरों से न करें"🔺

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एक बार की बात है, किसी जंगल में एक कौवा रहता था, वो बहुत ही खुश था, क्योंकि उसकी ज्यादा इच्छाएं नहीं थीं। वह अपनी जिंदगी से संतुष्ट था, लेकिन एक बार उसने जंगल में किसी हंस को देख लिया और उसे देखते ही सोचने लगा कि ये प्राणी कितना सुन्दर है, ऐसा प्राणी तो मैंने पहले कभी नहीं देखा! इतना साफ और सफेद। यह तो इस जंगल में औरों से बहुत सफेद और सुंदर है, इसलिए यह तो बहुत खुश रहता होगा।

 

कोवा हंस के पास गया और पूछा, भाई तुम इतने सुंदर हो, इसलिए तुम बहुत खुश होगे?

 

इस पर हंस ने जवाब दिया, हां मैं पहले बहुत खुश रहता था, जब तक मैंने तोते को नहीं देखा था। उसे देखने के बाद से लगता है कि तोता धरती का सबसे सुंदर प्राणी है। हम दोनों के शरीर का तो एक ही रंग है लेकिन तोते के शरीर पर दो-दो रंग है, उसके गले में लाल रंग का घेरा और वो सूर्ख हरे रंग का था, सच में वो बेहद खूबसूरत था। 

 

अब कौवे ने सोचा कि हंस तो तोते को सबसे सुंदर बता रहा है, तो फिर उसे देखना होगा।


कौवा तोते के पास गया और पूछा, भाई तुम दो-दो रंग पाकर बड़े खुश होगे?

 

इस पर तोते ने कहा, हां मैं तब तक खुश था जब तक मैंने मोर को नहीं देखा था। मेरे पास तो दो ही रंग हैं लेकिन मोर के शरीर पर तो कई तरह के रंग हैं।

 

अब कौवे ने सोचा सबसे ज्यादा खुश कौन है, यह तो मैं पता करके ही रहूंगा। इसलिए अब मोर से मिलना ही पड़ेगा। कौए ने मोर को जंगल में ढूंढा लेकिन उसे पूरे जंगल में एक भी मोर नहीं मिला और मोर को ढूंढते-ढूंढते वह चिड़ियाघर में पहुंच गया, तो देखा मोर को देखने बहुत से लोग आए हुए हैं और उसके आसपास अच्छी खासी भीड़ है।

 

सब लोगों के जाने के बाद कौवे ने मोर से पूछा, भाई तुम दुनिया के सबसे सुंदर जीव हो और रंगबिरंगे हो, तुम्हारे साथ लोग फोटो खिंचवा रहे थे। तुम्हें तो बहुत अच्छा लगता होगा और तुम तो दुनिया के सबसे खुश जीव होगे?

 

इस पर मोर ने दुखी होते हुए कहा, भाई अगर सुंदर हूं तो भी क्या फर्क पड़ता है! मुझे लोग इस चिड़ियाघर में कैद करके रखते हैं, लेकिन तुम्हें तो कोई चिड़ियाघर में कैद करके नहीं रखता और तुम जहां चाहो अपनी मर्जी से घूम-फिर सकते हो। इसलिए दुनिया के सबसे संतुष्ट और खुश जीव तो तुम्हें होना चाहिए, क्योंकि तुम आज़ाद रहते हो। कौवा हैरान रह गया, क्‍योंकि उसके जीवन की अहमियत कोई दूसरा बता गया।


दोस्तों, ऐसा ही हम लोग भी करते हैं। हम अपनी खुशियों और गुणों की तुलना दूसरों से करते हैं, ऐसे लोगों से जिनका रहन-सहन का माहौल हमसे बिलकुल अलग होता है। हमारी जिंदगी में बहुत सारी ऐसी चीज़ें होती हैं, जो केवल हमारे पास हैं, लेकिन हम उसकी अहमियत समझकर खुश नहीं होते। लेकिन दूसरों की छोटी ख़ुशी भी हमें बड़ी लगती है, जबकि हम अपनी बड़ी खुशियों को इग्नोर कर देते हैं।

(35)

🔺'कहानी-भगवान बचाएगा'🔺

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एक समय की बात है किसी गाँव  में  एक  साधु रहता  था, वह  भगवान का बहुत बड़ा भक्त था और निरंतर एक पेड़ के नीचे  बैठ  कर  तपस्या  किया करता था उसका  भागवान  पर  अटूट  विश्वास  था और गाँव वाले भी उसकी इज्ज़त करते थे.


एक बार गाँव  में बहुत भीषण बाढ़  आ  गई.चारो तरफ पानी ही पानी दिखाई देने लगा, सभी लोग अपनी जान बचाने के लिए ऊँचे स्थानों की तरफ बढ़ने लगे | जब लोगों ने देखा कि साधु महाराज अभी भी पेड़ के नीचे बैठे भगवान का नाम जप  रहे हैं तो उन्हें यह जगह छोड़ने की सलाह दी| पर साधु ने कहा-


तुम लोग अपनी  जान बचाओ मुझे तो मेरा भगवान बचाएगा!”


धीरे-धीरे पानी  का  स्तर बढ़ता गया , और पानी साधु के कमर तक आ पहुंचा , इतने में वहां से एक नाव  गुजरी.


मल्लाह ने कहा- ” हे साधू महाराज आप इस नाव पर सवार हो जाइए मैं आपको सुरक्षित स्थान तक पहुंचा दूंगा ”


“नहीं, मुझे तुम्हारी मदद की आवश्यकता नहीं है , मुझे तो मेरा भगवान बचाएगा !! “साधु ने उत्तर दिया.


नाव वाला चुप-चाप वहां से चला गया.


कुछ देर बाद बाढ़ और प्रचंड हो गयी , साधु ने पेड़ पर चढ़ना उचित समझा और वहां बैठ कर ईश्वर को याद करने लगा. तभी अचानक उन्हें गड़गडाहत की आवाज़ सुनाई दी, एक हेलिकोप्टर उनकी मदद के लिए आ पहुंचा, बचाव दल  ने एक रस्सी लटकाई  और साधु को उसे जोर से पकड़ने का आग्रह किया.


पर साधु फिर बोला-” मैं इसे नहीं पकडूँगा, मुझे तो मेरा भगवान बचाएगा”


उनकी हठ के आगे बचाव दल भी उन्हें लिए बगैर वहां से चला गया.


कुछ ही देर में पेड़ बाढ़ की धारा में बह गया और साधु की मृत्यु हो गयी.


मरने  के  बाद  साधु महाराज स्वर्ग पहुचे और भगवान  से बोले -”हे  प्रभु मैंने  तुम्हारी  पूरी  लगन के साथ आराधना की… तपस्या  की पर जब  मै  पानी में डूब कर मर  रहा था तब  तुम मुझे  बचाने  नहीं  आये, ऐसा क्यों प्रभु ?


भगवान बोले ,” हे साधु महात्मा  मै तुम्हारी रक्षा करने एक  नहीं बल्कि तीन  बार  आया ,पहला, ग्रामीणों के रूप में , दूसरा नाव वाले के रूप में और तीसरा ,हेलीकाप्टर बचाव दल के रूप में. किन्तु तुम मेरे इन अवसरों को पहचान नहीं पाए..


मित्रों, इस जीवन में ईश्वर हमें कई अवसर देता है , इन अवसरों की प्रकृति कुछ ऐसी होती  है कि वे  किसी  की प्रतीक्षा  नहीं  करते  है , वे  एक  दौड़ते  हुआ  घोड़े के सामान होते हैं जो हमारे सामने से तेजी से गुजरते हैं  , यदि हम उन्हें पहचान कर उनका लाभ उठा लेते  है  तो  वे  हमें   हमारी  मंजिल   तक  पंहुचा  देते  है, अन्यथा हमें बाद में पछताना ही पड़ता है

(36)

''आप जमा करेंगे वही आपको 

              आखरी समय काम आयेगा''

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1 दिन एक राजा ने अपने 3 मन्त्रियो को दरबार में बुलाया, और तीनो को आदेश  दिया के एक एक थैला ले कर बगीचे  में  जाएं और वहां से अच्छे अच्छे फल जमा  करें .  


वो तीनो अलग अलग बाग़ में प्रविष्ट हो  गए ,


पहले  मन्त्री  ने  कोशिश  की  के  राजा  के  लिए  उसकी पसंद  के अच्छे अच्छे  और मज़ेदार फल जमा किए जाएँ ,उस ने  काफी मेहनत के बाद बढ़िया और ताज़ा  फलों से थैला भर लिया ,


दूसरे मन्त्री ने सोचा राजा हर फल का परीक्षण तो करेगा नहीं , इस लिए उसने  जल्दी जल्दी थैला भरने  में ताज़ा ,कच्चे ,गले सड़े फल भी थैले में भर  लिए ,


तीसरे मन्त्री ने सोचा राजा की नज़र तो  सिर्फ भरे हुवे थैले  की तरफ होगी  वो  खोल कर देखेगा भी नहीं कि इसमें क्या  है , उसने  समय बचाने  के  लिए  जल्दी  जल्दी  इसमें  घास,और पत्ते भर लिए और वक़्त बचाया .


दूसरे दिन राजा ने तीनों मन्त्रियो को उनके थैलों समेत दरबार में बुलाया और उनके  थैले खोल कर भी नही देखे और आदेश दिया कि , तीनों  को उनके थैलों  समेत  दूर स्थान के एक जेल में ३ महीने क़ैद  कर दिया जाए .


अब जेल में उनके पास खाने पीने  को  कुछ भी नहीं था सिवाए उन थैलों  के ,


तो  जिस मन्त्री ने अच्छे अच्छे फल  जमा किये वो तो मज़े से खाता रहा और 3 महीने गुज़र भी गए ,


फिर दूसरा मन्त्री जिसने ताज़ा ,कच्चे  गले सड़े फल जमा किये थे, वह कुछ  दिन तो ताज़ा फल  खाता रहा फिर  उसे ख़राब फल खाने पड़े ,जिस  से  वो  बीमार हो गया और बहुत तकलीफ  उठानी पड़ी .


और तीसरा मन्त्री जिसने थैले में सिर्फ  घास और पत्ते जमा किये थे वो कुछ  ही दिनों में भूख से मर गया .


अब आप अपने आप से पूछिये  कि  आप क्या जमा कर रहे  हो  ??


आप  इस समय जीवन के बाग़ में हैं , जहाँ  चाहें  तो अच्छे कर्म जमा करें .चाहें तो बुरे कर्म...


मगर याद रहे...जो आप जमा करेंगे वही आपको आखरी समय काम आयेगा,क्योंकि दुनिया क़ा

राजा आपको चारों ओर से देख रहा है..

(37)

'किसान और चिड़िया की खूबसूरत कहानी'


एक गाँव में एक किसान रहता था उसका गाँव के बाहर एक छोटा सा खेत था एक बार फसल बोने के कुछ दिनों बाद उसके खेत में चिड़िया ने घोंसला बना लिया

कुछ समय बीता, तो चिड़िया ने वहाँ दो अंडे भी दे दिए उन अंडों में से दो छोटे-छोटे बच्चे निकल आये वे बड़े मज़े से उस खेत में अपना जीवन गुजारने लगे

कुछ महीनों बाद फसल कटाई का समय आ गया गाँव के सभी किसान अपने खेतों की फ़सल की कटाई में लग गए अब चिड़िया और उसके बच्चों का वह खेत छोड़कर नए स्थान पर जाने का समय आ गया था


एक दिन खेत में चिड़िया के बच्चों ने किसान को यह कहते सुना कि कल मैं फ़सल कटाई के लिए अपने पड़ोसी से पूछूंगा और उसे खेत में भेजूंगा यह सुनकर चिड़िया के बच्चे परेशान हो गए उस समय चिड़िया कहीं गई हुई थी जब वह वापस लौटी, तो बच्चों ने उसे किसान की बात बताते हुए कहा, “माँ, आज हमारा यहाँ अंतिम दिन है रात में हमें दूसरे स्थान के लिए यहाँ से निकला होगा”


चिड़िया ने उत्तर दिया, “इतनी जल्दी नहीं बच्चों मुझे नहीं लगता कि कल खेत में फसल की कटाई होगी”

चिड़िया की कही बात सही साबित हुई दूसरे दिन किसान का पड़ोसी खेत में नहीं आया और फ़सल की कटाई न हो सकी


शाम को किसान खेत में आया और खेत को जैसे का तैसा देख बुदबुदाने लगा कि ये पड़ोसी तो नहीं आया ऐसा करता हूँ कल अपने किसी रिश्तेदार को भेज देता हूँ”


चिड़िया के बच्चों ने फिर से किसान की बात सुन ली और परेशान हो गए जब चिड़िया को उन्होंने ये बात बताई, तो वह बोली, “तुम लोग चिंता मत करो आज रात हमें जाने की ज़रुरत नहीं है मुझे नहीं लगता कि किसान का रिश्तेदार आएगा”


ठीक ऐसा ही हुआ और किसान का रिश्तेदार अगले दिन खेत नहीं पहुँचा चिड़िया के बच्चे हैरान थे कि उनकी माँ की हर बात सही हो रही है


अगली शाम किसान जब खेत आया, तो खेत की वही स्थिति देख बुदबुदाने लगा कि ये लोग तो कहने के बाद भी कटाई के लिए आते नहीं है कल मैं ख़ुद आकर फ़सल की कटाई शुरू करूंगा


चिड़िया के बच्चों ने किसान की ये बात भी सुन ली अपनी माँ को जब उन्होंने ये बताया तो वह बोली, “बच्चों, अब समय आ गया है ये खेत छोड़ने का हम आज रात ही ये खेत छोड़कर दूसरी जगह चले जायेंगे”


दोनों बच्चे हैरान थे कि इस बार ऐसा क्या है, जो माँ खेत छोड़ने को तैयार है उन्होंने पूछा, तो चिड़िया बोली, “बच्चों, पिछली दो बार किसान कटाई के लिए दूसरों पर निर्भर था दूसरों को कहकर उसने अपने काम से पल्ला झाड़ लिया था लेकिन इस बार ऐसा नहीं है इस बार उसने यह जिम्मेदारी अपने कंधों पर ले ली है इसलिए वह अवश्य आएगा”


उसी रात चिड़िया और उसके बच्चे उस खेत से उड़ गए और कहीं और चले गए



अर्थात - दूसरों की सहायता लेने में कोई बुराई नहीं है किंतु यदि आप समय पर काम शुरू करना चाहते हैं और चाहते हैं कि वह समय पर पूरा हो जाये, तो उस काम की ज़िम्मेदारी स्वयं लेनी होगी दूसरे भी मदद उसी की करते हैं, जो अपनी मदद करता है.

(38)

💥 'सकारात्मक रहें सकारात्मक जियें' 💥



एक दिन एक किसान का बैल कुएँ में गिर गया।


वह बैल घंटों ज़ोर -ज़ोर से रोता रहा और किसान सुनता रहा और विचार करता रहा कि उसे क्या करना चाहिऐ और क्या नहीं।

अंततः उसने निर्णय लिया कि चूंकि बैल काफी बूढा हो चूका था अतः उसे बचाने से कोई लाभ होने वाला नहीं था और इसलिए उसे कुएँ में ही दफना देना चाहिऐ।


किसान ने अपने सभी पड़ोसियों को मदद के लिए बुलाया सभी ने एक-एक फावड़ा पकड़ा और कुएँ में मिट्टी डालनी शुरू कर दी।


जैसे ही बैल कि समझ में आया कि यह क्या हो रहा है वह और ज़ोर-ज़ोर से चीख़ चीख़ कर रोने लगा और फिर ,अचानक वह आश्चर्यजनक रुप से शांत हो गया।


सब लोग चुपचाप कुएँ में मिट्टी डालते रहे तभी किसान ने कुएँ में झाँका तो वह आश्चर्य से सन्न रह गया


अपनी पीठ पर पड़ने वाले हर फावड़े की मिट्टी के साथ वह बैल एक आश्चर्यजनक हरकत कर रहा था वह हिल-हिल कर उस मिट्टी को नीचे गिरा देता था और फिर एक कदम बढ़ाकर उस पर चढ़ जाता था।

जैसे-जैसे किसान तथा उसके पड़ोसी उस पर फावड़ों से मिट्टी गिराते वैसे -वैसे वह हिल-हिल कर उस मिट्टी को गिरा देता और एक सीढी ऊपर चढ़ आता जल्दी ही सबको आश्चर्यचकित करते हुए वह बैल कुएँ के किनारे पर पहुंच गया और फिर कूदकर बाहर भाग गया ।


ध्यान रखे आपके जीवन में भी बहुत तरह से मिट्टी फेंकी जायेगी बहुत तरह की गंदगी आप पर गिरेगी जैसे कि,आपको आगे बढ़ने से रोकने के लिए कोई बेकार में ही आपकी आलोचना करेगा,कोई आपकी सफलता से ईर्ष्या के कारण आपको बेकार में ही भला बुरा कहेगा,कोई आपसे आगे निकलने के लिए ऐसे रास्ते अपनाता हुआ दिखेगा जो आपके आदर्शों के विरुद्ध होंगे


ऐसे में आपको हतोत्साहित हो कर कुएँ में ही नहीं पड़े रहना है बल्कि साहस के साथ हर तरह की गंदगी को गिरा देना है और उससे सीख ले कर उसे सीढ़ी बनाकर बिना अपने आदर्शों का त्याग किये अपने कदमों को आगे बढ़ाते जाना है। 



जीवन में हमेशा सकारात्मक रहें सकारात्मक जियें इस संसार में.👏


🔺सबसे बड़ी सम्पत्ति बुद्धि.

🔺सबसे अच्छा हथियार धैर्य.

🔺सबसे अच्छी सुरक्षा विश्वास.

🔺सबसे बढ़िया दवा हँसी है.

🔺और आश्चर्य की बात कि ये सब निशुल्क हैं.

(38)

त्नियां 🔺


एक समय की बात है, एक राजा था। उसकी चार पत्नियां थीं, जो एक से बढ़कर एक सुन्दर एवं गुणों से युक्त थीं। राजा उन चारों से अनुराग रखता था परंतु उसे चौथी पत्नी सर्वाधिक प्रिय थी फिर तीसरी, दूसरी और पहली। पहली पत्नी उनमें सर्वाधिक वयस्क थी। 


एक दिन राजा वन में आखेट के लिए गया। वहाँ उसे एक अज्ञात कीट ने काट लिया और वह एक दुर्लभ बीमारी से ग्रसित हो गया। वैद्य एवं तांत्रिकों ने अपनी सारी विद्या का प्रयोग किया परंतु उसकी अवस्था को सुधार नहीं पाए। अंतत: उन्होंने यह कहा कि राजा की मृत्यु निकट है और अब वह कुछ ही दिनों के अतिथि हैं। 


राजा ने अपनी संपत्ति को रानियों में विभाजित करने का निर्णय किया, क्योंकि उसका कोई उत्तराधिकारी नहीं था। परंतु सामान्य रूप से विभाजन करने की जगह कौन-सी रानी उसे कितना प्रेम करती है इस आधार पर संपत्ति को बांटने का निर्णय किया। उसने एक चतुर योजना बनाई और सभी रानियों को एक-एक कर के बुलाया।

 

उसने कहा- “मेरे जीवन के केवल तीन दिन शेष हैं" मैं तुम्हें एक रहस्य बताता हूँ। बहुत पहले मुझे एक साधू ने एक शक्तिशाली यंत्र दिया था जिससे मुझे स्वर्ग की प्राप्ति होगी। यदि मैं साथ में एक और व्यक्ति को ले जाऊं। परंतु इससे पहले की स्वर्ग में प्रवेश करें हमे दारुण यंत्रणा सहन करनी होगी और नर्क में सात वर्ष व्यतीत करने होंगे। क्योंकि हम एक दूसरों से सर्वाधिक प्रेम करते हैं इसलिए मैंने यह निश्चय किया है कि मैं तुम्हें अपने साथ आने का यह अवसर प्रदान करूँगा।” 


उसने चौथी रानी से आरम्भ किया जो सब से छोटी थी और जिससे वह सबसे अधिक प्रेम करता था। उन्होंने उससे पूछा, “क्या तुम मरने के बाद, मेरे साथ चलोगी ? रानी को राजा की आसन्न मृत्यु पर पूर्ण विश्वास था, और उसने भावना रहित स्वर में कहा “इसमें संदेह नहीं कि मैं आपसे प्रेम करती हूं परंतु प्रत्येक व्यक्ति को अपनी मृत्यु का स्वयं ही सामना करना होता है। "मैं यहां ही रानी के रूप में रहना पसंद करूंगी। मुझे तो प्रेम एवं सत्कार की आदत है।” मतलब चौथी पत्नी ने साफ़ मना कर दिया और चली गई। 


राजा को अपनी तीसरी पत्नी भी बहुत प्यारी थी और उसपर उन्हें गर्व था। उन्होंने उसे बुलाया और साथ में मरने का पूछा। तीसरी पत्नी बोली, “मैं आपको यह सिद्ध करूँगी कि मैंने आपसे सबसे अधिक प्रेम किया है। पर मै आपके साथ नहीं चल सकती, मुझे अपनी ज़िन्दगी बहुत प्यारी है। 


राजा की दूसरी पत्नी, हर मुश्किल समय में उनका साथ देती आ रही थी। राजा ने उससे भी साथ चलने का पूछा। दूसरी पत्नी ने कहा, “माफ़ कीजिये महाराज" ! मैं इसमें आपकी कोई मदद नहीं कर सकती। मैं आपका अंतिम संस्कार ज़रूर करवा सकती हूँ और मैं उस वक़्त तक आपके साथ रहूंगी। 


तभी एक आवाज़ आती है, “मैं आपके साथ चलूंगी और जहाँ भी जाएंगे वहां जाऊँगी। भले ही वो मौत के बाद का सफर हो।” राजा ने देखा, ये उनकी पहली पत्नी की आवाज़ थी। राजा अब शांति अनुभव करता है कि कोई तो है जो उसे बिना किसी अपेक्षा के प्रेम करता है। पर उन्होंने उस पर सबसे कम ध्यान दिया था।  


राजा को बहुत शर्मिंदा महसूस हुआ। उन्होंने कहा, “जब तक मैं जीवित था, तुम्हारा ध्यान रखना  


 इस कहानी का भावार्थ हमें क्या सिखाती है?? वास्तव में यह कथा आपकी, हमारी और प्रत्येक मनुष्य की है।


हर व्यक्ति की चार निम्न पत्नियां होती हैं–✍️ 


चौथी पत्नी है, हमारा (शरीर) हम इसे खूब सजाते हैं, गहने पहनाते हैं, अच्छे कपडे पहनाते हैं पर आखिर में ये हमारा साथ छोड़ देती है। 


हमारी तीसरी पत्नी होती है (धन- संपत्ति) हम जीवन का बहुत सारा समय, घर को साजो सामान से भरने में लगा देते हैं। वो भी हमारे साथ नहीं चल सकती। 


दूसरी पत्नी है हमारा (परिवार और दोस्त) वो हमारा हर सुख दुःख में साथ देते हैं, लेकिन ज़्यादा से ज़्यादा, वो हमारे आखरी समय में हमें अलविदा कहने आ सकते हैं। पर साथ में नहीं चल सकते। 


पहली पत्नी होती है हमारा (चरित्र व संस्कार) जिस पर हम ज़्यादा ध्यान नहीं देते। पर ये ही वो पत्नी है जो मरने के बाद भी हमारा साथ नहीं छोड़ती, सदा साथ जुड़ी रहती है।


हममे से अधिकतर लोग इस प्रसंग के राजा की तरह ही जीवन जीते हैं। ऊपर लिखे क्रमानुसार ही अपनी पत्नियों से प्रेम करते हैं। हालांकि यह जीवन का आधार भी हैं और आवश्यक भी है कि साजो सामान के साथ आरामदायक जीवन जियें। परिवार और दोस्तों को, प्यार से संजो कर रखें। अपने शरीर का ध्यान रखें, इसे स्वस्थ रखें।


शिक्षा - सबसे महत्वपूर्ण है संस्कार जो हमारे साथ जाएंगे, उच्च संस्कारित बनें..!!

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🌞 'कठिनाइयों से ना घबराएं' 🌞


बहुत समय पहले की बात है एक शिल्पकार एक मूर्ति बनाने के लिए किसी जंगल में पत्थर ढूंढने के लिए गया। वहां उसे मूर्ति बनाने के लिए एक बहुत अच्छा पत्थर मिल गया।


वो पत्थर लेके वापस घर आते वक्त रास्ते में से एक ओर पत्थर साथ उठा लाया। घर आकर उसने अच्छे वाले पत्थर को मूर्ति बनाने के लिए हथौड़ी और छेनी से उस पत्थर पर कारीगरी करने लगा।


जब शिल्पकार की छेनी और हथौड़ी से पत्थर को चोट लगने लगी तो पत्थर ने दर्द से कराहते हुए शिल्पकार से बोला, “अरे भाई मेरे से यह दर्द सहा नहीं जाता, ऐसे तो मैं बिखर जाऊंगा। तुम किसी और पत्थर की मूर्ति बना दो ना प्लीज़।”


उस पत्थर की बात सुनकर शिल्पकार को दया आ गई। उसने उस पत्थर को छोड़कर दूसरे पत्थर की गढ़ाई करनी शुरू कर दी। दूसरे पत्थर ने कुछ भी नहीं बोला। शिल्पकार ने थोड़े ही समय में एक प्यारी सी भगवान की मूर्ति बना दी।


पास के गांव के लोग तैयार मूर्ति को लेने के लिए आए। मूर्ति को लेकर निकलने वाले थे लेकिन उन्हें ख्याल आया कि नारियल फोड़ने के लिए भी एक पत्थर की जरूरत होगी तो वहां पर रखा पहले वाला पत्थर भी उन्होंने अपने साथ ले लिया।


मूर्ति को ले जाकर उन्होंने मंदिर में सजा दिया और पहले वाले पत्थर को भी सामने रख दिया।


मंदिर में जब भी कोई व्यक्ति दर्शन करने आते तो मूर्ति पर फूल माला चढ़ाते, दूध से नहलाते और उसकी पूजा करते। और सामने वाले पत्थर पर नारियल फोड़ते हैं।


अब पहले वाले पत्थर को हर रोज दर्द सहना पड़ता था।


उसने मूर्ति वाले पत्थर से कहा,”तुम्हारे तो मजे है। रोज फूल माला से सजते हों, रोज तुम्हारी पूजा होती हैं। मेरी तो साला किस्मत ही खराब हैं। रोज लोग नारियल फोड़ते हैं और मेरे को दर्द सहना पड़ता है।”


पहले वाले पत्थर की बात सुनकर मूर्ति बने पत्थर ने कहा,”देख दोस्त अगर उस दिन तूने शिल्पकार के हाथ का दर्द सहा होता तो आज तुम्हें यह दिन नहीं देखना पड़ता और तुम मेरी जगह पर होते। लेकिन तुमने तो थोड़े से समय के दर्द को ना सहकर आसान वाले रास्ते को चुना। अब तुम उसका नतीजा भुगत रहे हो।


✅ शिक्षा - 


हमारे जीवन में भी कई कठिनाइयां आती है। बहुत सारा दर्द भी झेलना पड़ता है। लेकिन हमें इनसे डरकर पीछे नहीं हटना है, इनका डटकर मुकाबला करना है। यह विपरीत परिस्थितियां हमें और ज्यादा मजबूत बनाएगी। जिससे हम अपनी मंजिल के और ज्यादा करीब पहुंच जाएंगे।

(40)

कड़हारा'🔺

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एक बार लकड़ी काटने में माहिर एक आदमी लकड़ी के बड़े व्यापारी के यहाँ काम की तलाश में गया। उसे लकड़ी काटने की नौकरी मिल गयी।


तनख्वाह तो अच्छी थी लेकिन काम भी उसी तरह कठिन था। इस वजह से उसने खूब मेहनत से काम करने का निश्चय किया। उसके बॉस ने उसे एक कुल्हाड़ी दिया और कार्यस्थल भी दिखा दिया। पहले ही दिन लकड़हारे ने 18 पेड़ काट दिया।


उसके बॉस ने उसे शाबाशी दी और कहा कि,"ऐसे ही मन लगाकर काम करो।"


बॉस के प्रोत्साहन से प्रेरित होकर उसने अगले दिन ज़्यादा मेहनत किया लेकिन सिर्फ 15 पेड़ ला पाया।


तीसरे दिन उसने और ज़ोर लगाया लेकिन वह सिर्फ 10 ही पेड़ ला पाया।


दिन प्रतिदिन उसके द्वारा लाये पेड़ों की संख्या कम होती जा रही थी।


"लग रहा है कि मैं अपनी ताक़त खोता जा रहा हूँ।" लकड़हारे ने सोचा।


वह अपने बॉस के पास गया और माफ़ी मांगते हुए बोला,"मैं समझ नहीं पा रहा हूँ कि क्या हो रहा है।"


बॉस ने पूछा,"अंतिम बार अपनी कुल्हाड़ी को तुमने धार  कब दिया था?"


"धार? मेरे पास समय कहाँ है धार लगाने का? मैं तो पेड़ काटने में बहुत व्यस्त रहता हूँ......"


 ☀️'विचार....👨‍✈️


हमारी ज़िन्दगी भी कुछ इसी तरह है। हम कभी-कभी इतने व्यस्त हो जाते हैं कि अपनी "कुल्हाड़ी" में धार लगाने का समय भी नहीं निकाल पाते।


आज के समय में, ऐसा लगता है कि हर कोई पहले से ज़्यादा व्यस्त हो गया है लेकिन पहले जितना खुश नहीं है।


🔺ऐसा क्यों हो रहा है....?


शायद इसलिए कि हम स्वयं को "धारदार" रखना भूल गए हैं?

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कठिन परिश्रम करने में और गतिविधियाँ करने में कोई बुराई नहीं है लेकिन हमें इतना व्यस्त नहीं हो जाना चाहिए कि ज़िन्दगी की अत्यंत अहम् चीज़ों की अनदेखी करने लगें। 


जैसे......🤔


👉'अपनी व्यक्तिगत ज़िन्दगी

👉'अपने परिवार को और समय देना

👉'अध्ययन आदि के लिए समय निकालना


हम सबको समय देना चाहिए..👨‍✈️


👉'आराम करने के लिए.

👉'चिंतन और ध्यान के लिए..

👉'सीखने और विकास करने के लिए..


अगर हम "कुल्हाड़ी" में धार लगाने के लिए समय नहीं निकालेंगे तो हम सुस्त पड़ते जायेंगे और अपना प्रभाव खो बैठेंगे।


(41)


💐💐सकारात्मक सोच- भ्रातृप्रेम💐💐



एक दिन संध्या के समय सरयू के तट पर तीनों भाइयों संग टहलते श्रीराम से महात्मा भरत ने कहा, "एक बात पूछूं भइया?


माता कैकई ने आपको वनवास दिलाने के लिए मंथरा के साथ मिल कर जो षड्यंत्र किया था, क्या वह राजद्रोह नहीं था?


उनके षड्यंत्र के कारण एक ओर राज्य के भावी महाराज और महारानी को चौदह वर्ष का वनवास झेलना पड़ा तो दूसरी ओर पिता महाराज की दुखद मृत्यु हुई। ऐसे षड्यंत्र के लिए सामान्य नियमों के अनुसार तो मृत्युदंड दिया जाता है, फिर आपने माता कैकई को दण्ड क्यों नहीं दिया?


राम मुस्कुराए। बोले, "जानते हो भरत, किसी कुल में एक चरित्रवान और धर्मपरायण पुत्र जन्म ले ले तो उसका जीवन उसके असँख्य पीढ़ी के पितरों के अपराधों का प्रायश्चित कर देता है। जिस माँ ने तुम जैसे महात्मा को जन्म दिया हो उसे दण्ड कैसे दिया जा सकता है भरत ?"


भरत संतुष्ट नहीं हुए। कहा, "यह तो मोह है भइया, और राजा का दण्डविधान मोह से मुक्त होता है। एक राजा की तरह उत्तर दीजिये कि आपने माता को दंड क्यों नहीं दिया, समझिए कि आपसे यह प्रश्न आपका अनुज नहीं, अयोध्या का एक सामान्य नागरिक कर रहा है।



राम गम्भीर हो गए। कुछ क्षण के मौन के बाद कहा, " अपने सगे-सम्बन्धियों के किसी अपराध पर कोई दण्ड न देना ही इस सृष्टि का कठोरतम दण्ड है भरत! 


माता कैकई ने अपनी एक भूल का बड़ा कठोर दण्ड भोगा है। वनवास के चौदह वर्षों में हम चारों भाई अपने अपने स्थान से परिस्थितियों से लड़ते रहे हैं, पर माता कैकई हर क्षण मरती रही हैं। 


अपनी एक भूल के कारण उन्होंने अपना पति खोया, अपने चार बेटे खोए, अपना समस्त सुख खोया, फिर भी वे उस अपराधबोध से कभी मुक्त न हो सकीं। वनवास समाप्त हो गया तो परिवार के शेष सदस्य प्रसन्न और सुखी हो गए, पर वे कभी प्रसन्न न हो सकीं। कोई राजा किसी स्त्री को इससे कठोर दंड क्या दे सकता है? 




मैं तो सदैव यह सोच कर दुखी हो जाता हूँ कि मेरे कारण अनायास ही मेरी माँ को इतना कठोर दण्ड भोगना पड़ा।"


राम के नेत्रों में जल उतर आया था, और भरत आदि भाई मौन हो गए थे।


राम ने फिर कहा,"और उनकी भूल को अपराध समझना ही क्यों भरत! यदि मेरा वनवास न हुआ होता तो संसार भरत और लक्ष्मण जैसे भाइयों के अतुल्य भ्रातृप्रेम को कैसे देख पाता। मैंने तो केवल अपने माता-पिता की आज्ञा का पालन मात्र किया था, पर तुम दोनों ने तो मेरे स्नेह में चौदह वर्ष का वनवास भोगा। वनवास न होता तो यह संसार सीखता कैसे कि भाइयों का सम्बन्ध होता कैसा है।" भरत के प्रश्न मौन हो गए थे। वे अनायास ही बड़े भाई से लिपट गए!

(42)

*🔥तीसरी बकरी🔥*


*हृदय और लक्ष्य बड़े शरारती बच्चे थे, दोनों कक्षा 5 के विद्यार्थी थे और एक साथ ही स्कूल आया-जाया करते थे।एक दिन जब स्कूल की छुट्टी हो गयी तब लक्ष्य ने हृदय से कहा, “ दोस्त, मेरे दिमाग में एक आईडिया है?”*


*“बताओ-बताओ…क्या आईडिया है?”, हृदय ने उत्सुक होते हुए पूछा।*


*लक्ष्य- “वो देखो, सामने तीन बकरियां चर रही हैं।”*


*हृदय- “ तो! इनसे हमे क्या लेना-देना है?”*


*लक्ष्य-” हम आज सबसे अंत में स्कूल से निकलेंगे और जाने से पहले इन बकरियों को पकड़ कर स्कूल में छोड़ देंगे, कल जब स्कूल खुलेगा तब सभी इन्हें खोजने में अपना समय बर्वाद करेगे और हमें पढाई नहीं करनी पड़ेगी…”*


*हृदय- “पर इतनी बड़ी बकरियां खोजना कोई कठिन काम थोड़े ही है, कुछ ही समय में ये मिल जायेंगी और फिर सबकुछ सामान्य हो जाएगा….”*


*लक्ष्य- “हाहाहा…यही तो बात है, वे बकरियां आसानी से नहीं ढूंढ पायेंगे, बस तुम देखते जाओ मैं क्या करता हूँ!”*


*इसके बाद दोनों दोस्त छुट्टी के बाद भी पढाई के बहाने अपने क्लास में बैठे रहे और जब सभी लोग चले गए तो ये तीनो बकरियों को पकड़ कर क्लास के अन्दर ले आये।*


*अन्दर लाकर दोनों दोस्तों ने बकरियों की पीठ पर काले रंग का गोला बना दिया। इसके बाद लक्ष्य बोला, “अब मैं इन बकरियों पे नंबर डाल देता हूँ।, और उसने सफेद रंग से नंबर लिखने शुरू किये-*


*पहली बकरी पे नंबर 1*

*दूसरी पे नंबर 2*

*और तीसरी पे नंबर 4*


*“ये क्या? तुमने तीसरी बकरी पे नंबर 4 क्यों डाल दिया?”, हृदय ने आश्चर्य से पूछा?*


*लक्ष्य हंसते हुए बोला, “ दोस्त यही तो मेरा आईडिया है, अब कल देखना सभी तीसरी नंबर की बकरी ढूँढने में पूरा दिन निकाल देंगे…और वो कभी मिलेगी ही नहीं…”*


*अगले दिन दोनों दोस्त समय से कुछ पहले ही स्कूल पहुँच गए।थोड़ी ही देर में स्कूल के अन्दर बकरियों के होने का शोर मच गया।कोई चिल्ला रहा था, “ चार बकरियां हैं, पहले, दुसरे और चौथे नंबर की बकरियां तो आसानी से मिल गयीं…बस तीसरे नंबर वाली को ढूँढना बाकी है।”*


*स्कूल का सारा स्टाफ तीसरे नंबर की बकरी ढूढने में लगा गया…एक-एक क्लास में टीचर गए अच्छे से तलाशी ली। कुछ खोजू वीर स्कूल की छतों पर भी बकरी ढूंढते देखे गए… कई सीनियर बच्चों को भी इस काम में लगा दिया गया।*


*तीसरी बकरी ढूँढने का बहुत प्रयास किया गया….पर बकरी तब तो मिलती जब वो होती…बकरी तो थी ही नहीं!आज सभी परेशान थे पर हृदय और लक्ष्य इतने खुश पहले कभी नहीं हुए थे। आज उन्होंने अपनी चालाकी से एक बकरी अदृश्य कर दी थी।*


*इस कहानी को पढ़कर चेहरे पे हलकी सी मुस्कान आना स्वाभाविक है पर इस मुस्कान के साथ-साथ हमें इसमें छिपे सन्देश को भी ज़रूर समझना चाहिए।तीसरी बकरी, दरअसल वो चीजें हैं जिन्हें खोजने के लिए हम बेचैन हैं पर वो हमें कभी मिलती ही नहीं….क्योंकि वे वास्तव में होती ही नहीं!*


*हम सभी ऐसा जीवन चाहते हैं जो सम्पूर्ण रूप से आदर्श हो, जिसमे कोई समस्या ही ना हो…._*


*हम सभी ऐसा जीवन साथी चाहते हैं जो हमें पूरी तरह समझे जिसके साथ कभी हमारी अनबन ना हो…..*


*हम सभी ऐसी व्यवसाय/नौकरी चाहते हैं, जिसमे हमेशा सबकुछ एकदम सुगम सुचारू चलता रहे…_*

*क्या ज़रूरी है कि हर समय किसी वस्तु के लिए परेशान रहा जाए? ये भी तो हो सकता है कि हमारे जीवन में जो कुछ भी है वही हमारे जीवन को परिपूर्ण करने के लिए पर्याप्त हो….ये भी तो हो सकता है कि जिस तीसरी चीज की हम तलाश कर रहे हैं वो हकीकत में हो ही ना….और हम पहले से ही परिपूर्ण हों!*


*"वर्तमान"को आनंद से जीओ,*

*"भूतकाल" को भूल जाओ,*

*भविष्य को प्रभुइच्छा पे छोड़ दो।*

    

_*खुश रहिए और मुस्कुराइए।*

     *जो प्राप्त है-पर्याप्त है*

      *जिसका मन मस्त है*

    *उसके पास समस्त है!!*

(43)


☀️ "अपना काम स्वयं करिए" ☀️

____


एक बुद्धिमान लवा पक्षी का परिवार किसान के खेतों में रहता था। उनका घोंसला बहुत आरामदेह था। परिवार में सभी सदस्यों में अथाह प्रेम था


एक सुबह अपने बच्चों के लिए भोजन की तलाश में जाने से पहले बच्चों की मां ने कहा- देखो बच्चों किसान बहुत जल्दी अपनी फसल काट कर आएगा। ऐसी स्थिति में हमें अपना नया घर खोजना पड़ेगा। तो तुम सब अपने कान और आंखें खुली रखना और जब मैं शाम को लौटकर आऊं तो मुझे बताना कि तुमने क्या देखा और क्या सुना?


शाम को जब लवा अपने घर लौटी तो उसने अपने परिवार को परेशान हाल में पाया। उसके बच्चे कहने लगे- हमें जल्दी ही यह स्थान छोड़ देना चाहिए। किसान अपने पुत्रों के साथ अपने खेत की जांच करने आया था। वह अपने पुत्रों से कह रहा था। फसल तैयार है, हमें कल अपने सभी पड़ोसियों को बुलाकर फसल काट लेनी चाहिए।


लवा ने अपने बच्चों की बातें ध्यानपूर्वक सुनीं, फिर बोली- अरे कोई खतरा नही। कल भी होशियार रहना। किसान जो कुछ करे या कहे, वह मुझे शाम को बताना।


दूसरे दिन शाम को जब लवा वापस लौटी तो उसने अपने बच्चों को बहुत भयभीत पाया। मां को देखते ही वे चिल्लाए- किसान दुबारा यहां आया था। कह रहा था, यह फसल जल्दी ही काटी जानी चाहिए। अगर हमारे पड़ोसी हमारी सहायता नहीं करते तो हम अपने रिश्तेदारों को बुलाएंगे। जाओ, अपने चाचा और चचेरे भाइयों आदि से कहो कि कल आकर फसल काटने में हमारी सहायता करें।


लवा मुस्कराई बोली- प्यारे बच्चों चिन्ता मत करो। किसान के रिश्तेदारों के पास तो उनकी अपनी ही फसल काटने के लिए पड़ी है। वे भला यहां फसल काटने क्यों आएंगे।


अगले दिन लवा फिर बाहर चली गई। जब वह शाम को लौटी तो बच्चे उसे देखते ही चिल्लाए- ओह मां यह किसान आज कह रहा था कि यदि उसके रिश्तेदार और पड़ोसी फसल काटने नहीं आते तो वह खुद अपनी फसल काटेगा। तो अब तो यहां रहने का कोई लाभ नहीं है।


तब तो हमें शीघ्र ही यहां से चलना चाहिए। लवा बोली- यह मैं इसलिए कह रही हूं कि जब कोई किसी कार्य के लिए किसी अन्य पर निर्भर करता है तो वह कार्य कभी पूरा नहीं होता। परंतु वही व्यक्ति जब उस कार्य को स्वयं करने की ठान लेता है तो संसार की कोई भी शक्ति उसे उस कार्य को करने से नहीं रोक सकती। तो यही वह समय है,जब हमें अपना घर बदल लेना चाहिए।


शिक्षा- यदि अपना काम स्वयं करने की आदत खुद में विकसित कर लें,तो हर क्षेत्र में सफलता की उम्मीद रहेगी.

(44)

❗️सबसे बड़ा दान❗️



कई दिनों के विहार के बाद भगवान् बुद्ध मगध की राजधानी राजगृह से प्रस्थान करने वाले थे। लोगों को जब यह पता चला तो वे उनके लिए भेंट आदि लेकर उनके दर्शनों के लिए आने लगे। अपने शिष्यों के साथ बैठे हुए बुद्ध लोगों की भेंट स्वीकार कर रहे थे। सम्राट बिम्बसार ने उन्हें भूमि, खाद्य, वस्त्र, वाहन आदि प्रदान किए। नगर सेठों ने भी धन-धान्य और सुवर्ण आभूषण उनके चरणों में अर्पित कर दिए। सभी के दान को स्वीकार करने के लिए बुद्ध अपना दायां हाथ उठा कर स्वीकृति इंगित कर देते थे।


भीड़ में एक वृद्धा भी थी। वह बुद्ध से बोली – “भगवन, मैं बहुत निर्धन हूँ। मेरे पास आपको देने के लिए कुछ भी नहीं है। आज मुझे पेड़ से एक आम गिरा हुआ मिल गया। मैं उसे खा रही थी तभी मैंने आपके प्रस्थान करने का समाचार सुना। उस समय तक मैं आधा आम खा चुकी थी। मैं भी आपको कुछ अर्पित करना चाहती हूँ लेकिन मेरे पास इस आधे खाए हुए आम के सिवा कुछ भी नहीं है। इसे ही मैं आपको भेंट करना चाहती हूँ। कृपया मेरी भेंट स्वीकार करें।”


वहां उपस्थित अपार जनसमुदाय, राजा-महाराजाओं और सेठों ने देखा कि भगवान बुद्ध अपने आसन से उठकर नीचे आए और उन्होंने दोनों हाथ फैलाकर वृद्धा का आधा आम स्वीकार किया।


सम्राट बिम्बसार ने चकित होकर बुद्ध से पूछा – “भगवन, एक से बढ़कर एक अनुपम और बहुमूल्य उपहार तो आपने केवल हाथ हिलाकर ही स्वीकार कर लिए लेकिन इस बुढ़िया के जूठे आम को लेने के लिए आप आसन से नीचे उतरकर आ गए! इसमें ऐसी कौन सी विशेषता है?”


बुद्ध मुस्कुराकर बोले – “इस वृद्धा ने मुझे अपनी समस्त पूँजी दे दी है। आप लोगों ने मुझे जो कुछ भी दिया है वह तो आपकी संपत्ति का कुछ अंश ही है और उसके बदले में आपने दान करने का अंहकार भी अपने मन में रखा है। इस वृद्धा ने मेरे प्रति अपार प्रेम और श्रद्धा रखते हुए मुझे सर्वस्व अर्पित कर दिया है फ़िर भी उसके मुख पर कितनी नम्रता और करुणा है।”'


(45)

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