शनिवार, 19 फ़रवरी 2022

माता-पिता की सेवा l माता-पिता से बढ़कर कोई नहीं l अपने माता पिता का सम्मान करने के तरीके l कुछ साधारण शिस्टाचार क्या हैं?

 त के 1:30 बजे फोन आता है, बेटा फोन उठाता है तो माँ बोलती है:- "जन्म दिन मुबारक लल्ला" बेटा गुस्सा हो जाता है और माँ से कहता है: - सुबह फोन करती। इतनी रात को नींद खराब क्यों की? कह कर फोन रख देता है।


थोडी देर बाद पिता का फोन आता है। बेटा पिता पर गुस्सा नहीं करता बल्कि कहता है:- सुबह फोन करते।


फिर पिता ने कहा: - मैनें तुम्हे इसलिए फोन किया है कि तुम्हारी माँ पागल है जो तुम्हे इतनी रात को फोन किया। वो तो आज से 25 साल पहले ही पागल हो गई थी। जब उसे डॉक्टर ने ऑपरेशन करने को कहा और उसने मना किया था। वो मरने के लिए तैयार हो गई पर ऑपरेशन नहीं करवाया। रात के 1:30 को तुम्हारा जन्म हुआ। शाम 6 बजे से रात 1:30 तक वो प्रसव पीड़ा से परेशान थी । लेकिन तुम्हारा जन्म होते ही वो सारी पीड़ा भूल गयी । उसके ख़ुशी का ठिकाना नहीं रहा । तुम्हारे जन्म से पहले डॉक्टर ने दस्तखत करवाये थे कि अगर कुछ हो जाये तो हम जिम्मेदार नहीं होंगे।


तुम्हे साल में एक दिन फोन किया तो तुम्हारी नींद खराब हो गई.....मुझे तो रोज रात को 25 साल से रात के 1:30 बजे उठाती है और कहती है देखो हमारे लल्ला का जन्म इसी वक्त हुआ था। बस यही कहने के लिए तुम्हे फोन किया था। इतना कहके पिता फोन रख देते हैं।


बेटा सुन्न हो जाता है। सुबह माँ के घर जा कर माँ के पैर पकड़कर माफी मांगता है....तब माँ कहती है, देखो जी मेरा लाल आ गया। फिर पिता से माफी मांगता है तब पिता कहते हैं:- आज तक ये कहती थी कि हमे कोई चिन्ता नहीं हमारी चिन्ता करने वाला हमारा लाल है। पर अब तुम चले जाओ मैं तुम्हारी माँ से कहूंगा कि चिन्ता मत करो। मैं तुम्हारा हमेशा की तरह आगे भी ध्यान रखुंगा। तब माँ कहती है:- माफ कर दो बेटा है।


सब जानते हैं दुनियाँ में एक माँ ही है जिसे जैसा चाहे कहो फिर भी वो गाल पर प्यार से हाथ फेरेगी।पिता अगर तमाचा न मारे तो बेटा सर पर बैठ जाये। इसलिए पिता का सख्त होना भी जरुरी है।


माता पिता को आपकी दौलत नही बल्कि आपका प्यार और वक्त चाहिए। उन्हें प्यार दीजिए। माँ की ममता तो अनमोल है।


निवेदन:- माता-पिता से बढ़कर कोई नहीं है.!

                माता-पिता की सेवा कीजिये.

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अपने माता पिता का सम्मान करने के तरीके..

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1.उनकी उपस्थिति में अपने फोन को दूर रखो.


2.वे क्या कह रहे हैं इस पर ध्यान दो.


3.उनकी राय स्वीकारें.


4.उनकी बातचीत में सम्मिलित हों.


5.उन्हें सम्मान के साथ देखें.


6.हमेशा उनकी प्रशंसा करें.


7.उनको अच्छा समाचार जरूर बताएँ.


8.उनके साथ बुरा समाचार साझा करने से बचें.


9.उनके दोस्तों और प्रियजनों से अच्छी तरह से बोलें.


10.उनके द्वारा किये गए अच्छे काम सदैव याद रखें.


11.वे यदि एक ही कहानी दोहरायें तो भी ऐसे सुनें जैसे पहली बार सुन रहे हो.


12.अतीत की दर्दनाक यादों को मत दोहरायें.


13.उनकी उपस्थिति में कानाफ़ूसी न करें.


14.उनके साथ तमीज़ से बैठें.


15.उनके विचारों को न तो घटिया बताये न ही उनकी आलोचना करें.


16.उनकी बात काटने से बचें.


17.उनकी उम्र का सम्मान करें.


18.उनके आसपास उनके पोते/पोतियों को अनुशासित करने अथवा मारने से बचें.


19.उनकी सलाह और निर्देश स्वीकारें.


20.उनका नेतृत्व स्वीकार करें.


21.उनके साथ ऊँची आवाज़ में बात न करें.


22.उनके आगे अथवा सामने से न चलें.


23.उनसे पहले खाने से बचें.


24.उन्हें घूरें नहीं..


25.उन्हें तब भी गौरवान्वित प्रतीत करायें जब कि वे अपने को इसके लायक न समझें.


26.उनके सामने अपने पैर करके या उनकी ओर अपनी पीठ कर के बैठने से बचें.


27.न तो उनकी बुराई करें और न ही किसी अन्य द्वारा की गई उनकी बुराई का वर्णन करें.


28.उन्हें अपनी प्रार्थनाओं में शामिल करें.


29.उनकी उपस्थिति में ऊबने या अपनी थकान का प्रदर्शन न करें.


30.उनकी गलतियों अथवा अनभिज्ञता पर हँसने से बचें.


31.कहने से पहले उनके काम करें.


32.नियमित रूप से उनके पास जायें.


33.उनके साथ वार्तालाप में अपने शब्दों को ध्यान से चुनें.


34.उन्हें उसी सम्बोधन से सम्मानित करें जो वे पसन्द करते हैं.


35.अपने किसी भी विषय की अपेक्षा उन्हें प्राथमिकता दें.


माता-पिता इस दुनिया में सबसे बड़ा खज़ाना हैं..!


माँ बाप का दिल जीत लो कामयाब हो जाओगे। वरना सारी दुनिया जीत कर भी हार जाओगे !

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शिष्टाचार में ऐसी शक्ति है कि मनुष्य किसी को बिना कुछ दिए-लिए अपने और परायों का श्रद्धाभाजन और आदर का पात्र बन जाता।सहृदयता एक ऐसा गुण है, जिससे एक साधारण श्रेणी का व्यक्ति भी अनेक लोगों का प्यारा मित्र, घनिष्ठ सखा बन जाता है।


कुछ साधारण शिस्टाचार क्या हैं?


शिष्टाचार में ऐसी शक्ति है कि मनुष्य किसी को बिना कुछ दिए-लिए अपने और परायों का श्रद्धाभाजन और आदर का पात्र बन जाता।सहृदयता एक ऐसा गुण है, जिससे एक साधारण श्रेणी का व्यक्ति भी अनेक लोगों का प्यारा मित्र, घनिष्ठ सखा बन जाता है।



''अंग्रेजी में एक कहावत है- मैनर मेक्स ए मैन ।''


 अर्थात मनुष्य का परिचय उसके शिष्टाचार, बैठने, उठने, बोलने, खाने, पीने, के ढंग से मिलता है । खेद का विषय है कि आजकल शिष्टाचार की भावना घटती जाती है और खासकर अनेक नवयुवकों में ऐसा है।


दस वर्ष की उम्र से पहले बच्चों को शिष्टाचार के 20 नियम सीखने चाहिये। शिष्टाचार पारिवारिक शिक्षा होती है, जो बच्चे की जिन्दगी पर प्रभाव डालता है। इसमें यह साबित होता है कि बच्चों की पारिवारिक शिक्षा सफल है या नहीं।



✅️ अब देखिये ये 20 नियम क्या हैं?



1.दूसरों से सवाल पूछने से पहले कृपया बोलो।


2.अन्य लोगों से कुछ पाने के बाद धन्यवाद कहो।


3.आपात स्थिति को छोड़कर बड़े लोगों को बात करते समय न टोको।


4.अगर सचमुच किसी व्यक्ति से बात करनी पड़े, तो सबसे पहले माफ़ कीजिये बोलो।


5.अगर एक काम करने का फैसला बहुत मुश्किल से किया जाता है, तो इसे करने से पहले मां-बाप की राय व अनुमति लेनी चाहिये।


6.दूसरे लोग तुम्हारी नफ़रत पर चिंता नहीं करते। इसलिये तुम आलोचना की बातें केवल दोस्त से कह सकते हो। सभी लोगों को बताने की ज़रूरत नहीं है।


7.अन्य लोगों की ऑवरक्रिटिकल मत करो, पर उनकी प्रशंसा कर सकते हो।


8.जब दूसरे लोग तुम्हें नमस्ते कहते हैं, तो शिष्टाचार के साथ उनका जवाब दो, फिर उन्हें नमस्ते कहो।


9.एक मेहमान के रुप में तुम्हें मेज़बान को धन्यवाद देना चाहिये।


10.किसी कमरे में अंदर जाने से पहले दरवाज़ा खटखटाना चाहिए।


11.फ़ोन करते समय सबसे पहले अपने बारे में बताओ, फिर किस से बातचीत करने को कहो।


12.उपहार लेने के बाद धन्यवाद कहना चाहिये।


13.बड़े लोगों के सामने गालियां मत दो।


14.दूसरे लोगों से बुरी बातें मत करो।


15.किसी स्थिति में अन्य लोगों का उपहास मत करो।


16.कार्यक्रम देखते समय शांत रहो, शायद तुम्हारे लिये यह कार्यक्रम बोरिंग हो, लेकिन मंच पर अभिनेता व अभिनेत्री सचमुच कोशिश कर रहे हैं।


17.किसी को टक्कर मारते ही, माफ़ी मांगनी चाहिये।


18.खांसी करते या छींक मारते समय अपना मुंह कवर करो।


19.दरवाज़ा से गुजरते समय थोड़ा इंतजार करो और पीछे के लोगों के लिये द्वार खोलो।


20. जब मां-बाप, अध्यापक या पड़ोसी को काम में व्यस्त होते हुए देखें , तो पूछो कि क्या तुम्हें मदद चाहिए, क्योंकि मदद देते समय तुम भी कुछ सीख सकोगे।

21.घर पर आए अथिति को समय और सम्मान दे क्योंकि अगर कोई आपके घर आया है तो उसकी एक बजह उसका आपके प्रति प्रेम होगा या फिर उसकी जरूरत।


22.रिश्तों की मर्यादा को हमेशा याद रखें और हर रिश्ते के प्रति अपने कर्तव्य को भलीभांति समझे।


23.अपनी बात कहने के साथ-साथ दूसरों की बात सुनने को अधिक प्राथमिकता दे।


24.किसी भी मुद्दे पर अगर विरोध हो तो सामने वाले को गलत साबित करने के लिए गलत शब्दो को उपयोग न करें।


25.अहंकार और आत्मसम्मान के बड़े अंतर को समझकर ही व्यवहार करें।


26.बच्चे और बुजुर्गों की जरूरतों को बराबर प्राथमिकता दे।


27.किसी की मदद के लिए मना करने से पहले सोचे कि सामने वाला किस स्थिति में है ।


28.अपने धन और पद का बखान स्वयं न करें।

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,,,,,अनपढ माँ,,,,


एक मध्यम वर्गीय परिवार के 

एक लड़के ने 10वीं की परीक्षा में 

90% अंक प्राप्त किए ....

पिता ने जब मार्कशीट देखकर 

खुशी-खुशी अपनी पत्नी को कहा ....

"सुनो.... 

आज खीर या मीठा दलिया बना लो ,

स्कूल की परीक्षा मे हमारे लाड़ले को 

90% अंक मिले है ..


मां किचन से दौड़ती हुई आई और बोली....सच.....मुझे

भी दिखाइए......

मेरे बच्चे की कामयाबी की पर्ची....

ये सुनते ही बीच लड़का फटाक से बोला...

..."क्या पापा.... 

किसे रिजल्ट दिखा रहे है... 

क्या वह पढ़-लिख सकती है  ?

वह तो अनपढ़ है ..."


अश्रुपुर्ण आँखों को पल्लू से पोंछती हुई मां चुपचाप दलिया बनाने चली गई....


लेकिन ये बात पिता ने सुनी भी और देखी भी...

फिर उन्होंने लड़के के कहे हुए वाक्यों में जोड़ा और कहा... 

"हां बेटा सच कहा तुमने.... 

बिल्कुल सच... 

जानता है जब तू गर्भ में था, 

तो उसे दूध बिल्कुल पसंद नहीं था !

तेरी मां ने तुझे स्वस्थ बनाने के लिए 

हर दिन नौ महीने तक दूध पिया ...

क्योंकि तेरी मां तो अनपढ़ थी ना इसलिए ...

तुझे सुबह सात बजे स्कूल जाना होता था, इसलिए वह सुबह पांच बजे उठकर 

तुम्हारा मनपसंद नाश्ता और 

डिब्बा बनाती थी.....

जानता है क्यों ....

क्योंकि वो अनपढ़ थी ना इसलिए....


जब तुम रात को पढ़ते-पढ़ते सो जाते थे, 

तो वह आकर तुम्हारी कॉपी व किताब 

बस्ते में भरकर, 

फिर तुम्हारे शरीर पर ओढ़नी से ढँक देती थी और उसके बाद ही सोती थी...

जानते हो क्यों ...

क्योकि अनपढ़ थी ना इसलिए.. ...


बचपन में तुम ज्यादातर समय बीमार रहते थे... तब वो रात- रात भर जागकर 

सुबह जल्दी उठती थी और काम पर 

लग जाती थी....जानते हो क्यों ....

क्योंकि वो अनपढ़ थी ना इसलिए...

 

तुम्हें, ब्रांडेड कपड़े लाने के लिये 

मेरे पीछे पड़ती थी, 

और खुद सालों तक एक ही साड़ी में रही....

क्योंकि वो सचमुच अनपढ़ थी ना...


बेटा .... पढ़े-लिखे लोग 

पहले अपना स्वार्थ और मतलब देखते हैं.. लेकिन तेरी मां ने आज तक कभी नहीं देखा

क्योंकि अनपढ़ है ना वो इसलिए....


वो खाना बनाकर और हमें परोसकर, 

कभी-कभी खुद खाना भूल जाती थी... 

इसलिए मैं गर्व से कहता हूं कि 

तुम्हारी माँ अनपढ़ है..."


यह सब सुनकर लड़का रोते रोते, 

और लिपटकर अपनी मां से बोला.... 

"मां...मुझे तो कागज पर 90% अंक ही मिले हैं लेकिन आप मेरे जीवन को 

100% बनाने वाली पहली शिक्षक हैं!

 मां....मुझे आज 90% अंक मिले हैं, 

फिर भी मैं अशिक्षित हूँ 

और आपके पास पीएचडी के ऊपर की 

उच्च डिग्री है ,

क्योंकि आज मैंने अपनी मां के अंदर छुपे 

रूप में, डॉक्टर, शिक्षक, वकील, 

ड्रेस डिजाइनर, बेस्ट कुक, 

इन सभी के दर्शन कर लिए... 

मुझे माफ कर दो मां...

मुझे माफ कर दो....."


मां ने तुरंत अपने बेटे को उठाकर 

सीने से लगाते हुए कहा.... 

"पगले रोते नही है !

आज तो खुशी का दिन है !

चल हंस ....."

और उसने उसे चूम लिया,,


❤️दनिया की सभी माँ को समर्पित❤️

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