ब्रेन ईटिंग अमीबा (Naegleria fowleri) — पूरी जानकारी हिंदी में
1️⃣ परिचय
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Naegleria fowleri एक सूक्ष्म परजीवी (ameba) है।
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इसे आमतौर पर “Brain Eating Amoeba” कहा जाता है क्योंकि यह दिमाग़ पर हमला करता है।
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यह एक दुर्लभ लेकिन लगभग हमेशा जानलेवा संक्रमण पैदा करता है जिसे Primary Amebic Meningoencephalitis (PAM) कहते हैं।
(CDC, TOI Reports 2025)
2️⃣ यह कहाँ पाया जाता है?
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गुनगुने और गर्म मीठे पानी (Freshwater) में – झील, तालाब, नदी, गर्म पानी के झरने।
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मिट्टी और असुरक्षित पाइपलाइन के पानी में भी पाया जा सकता है।
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सही तरीके से क्लोरीन मिलाए गए स्विमिंग पूल में यह नहीं पनपता।
3️⃣ संक्रमण कैसे होता है?
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यह अमीबा नाक के रास्ते शरीर में प्रवेश करता है (जैसे तैरते समय, डुबकी लगाते समय या नाक धोते समय)।
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फिर यह घ्राण तंत्रिका (Olfactory nerve) के जरिए दिमाग़ तक पहुँचता है और मस्तिष्क की कोशिकाएँ नष्ट करने लगता है।
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ध्यान दें: पीने से संक्रमण नहीं होता।
4️⃣ लक्षण (Symptoms)
संक्रमण के 1–12 दिन के भीतर लक्षण दिखते हैं:
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तेज सिरदर्द
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बुखार
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उल्टी और मतली
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गर्दन में अकड़न
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मानसिक स्थिति बदलना (भ्रम, चिड़चिड़ापन)
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दौरे (Seizures)
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धीरे-धीरे कोमा और मृत्यु
(CDC, TOI Kerala Case 2025)
5️⃣ निदान (Diagnosis)
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Cerebrospinal Fluid (CSF) जाँच से पता चलता है।
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माइक्रोस्कोप, PCR टेस्ट, या कल्चर द्वारा अमीबा की पहचान की जाती है।
6️⃣ उपचार (Treatment)
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अब तक कोई गारंटीड इलाज नहीं है।
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कुछ मामलों में Amphotericin B, Miltefosine, Azithromycin, Fluconazole जैसी दवाइयाँ दी जाती हैं।
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अगर संक्रमण बहुत जल्दी पहचान लिया जाए, तो बचाव की संभावना थोड़ी बढ़ सकती है।
(CDC, Case Studies)
7️⃣ बचाव के उपाय (Prevention)
✔ गर्म और ठहरे हुए मीठे पानी में तैरने से बचें।
✔ अगर तैरें तो नाक में क्लिप लगाएँ।
✔ Neti pot / नाक धोने के लिए केवल:
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उबला और ठंडा किया हुआ पानी
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डिस्टिल्ड या स्टेराइल पानी
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या फिल्टर (0.2 माइक्रोन) से साफ किया पानी प्रयोग करें।
✔ पूल और वाटर टैंक हमेशा क्लोरीनयुक्त और साफ रखें।
(CDC Safe Water Guidelines 2025)
8️⃣ भारत में हाल के मामले
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केरल (2025): 9 साल की बच्ची की मौत ब्रेन ईटिंग अमीबा संक्रमण से हुई। यह राज्य में चौथी मौत थी जो संदूषित पानी से जुड़ी पाई गई।
(TOI, Aug 2025)
🔑 निष्कर्ष
ब्रेन ईटिंग अमीबा (Naegleria fowleri) बेहद दुर्लभ है, लेकिन अगर संक्रमण हो जाए तो इसका इलाज बहुत कठिन है।
सुरक्षा ही सबसे बड़ा बचाव है — सुरक्षित पानी का इस्तेमाल और असुरक्षित जल स्रोतों से परहेज़ ही हमें बचा सकता है।
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