सोमवार, 31 जनवरी 2022

ब्रह्माण्ड से जुड़े कुछ रोचक तथ्य/Brahand ke bare me/ Facts about Universe in hindi

 



                                              "ब्रह्माण्ड से जुड़े कुछ रोचक तथ्य"



ब्रह्माण्ड का जन्म एक महाविस्फोट के कारण हुआ है. लगभग बारह से चौदह अरब वर्ष पूर्व संपूर्ण ब्रह्मांड एक परमाण्विक इकाई के रूप में अति-संघनित (compressed) था. उस समय, समय और स्थान जैसी कोई वस्तु अस्तित्व में नहीं थी. लगभग 13.7 अरब वर्ष पूर्व इस महाविस्फोट से अत्यधिक ऊर्जा (energy) का उत्सजर्न (release) हुआ और हर 10-24 सेकंड में यह धमाका दोगुना बड़ा होता गया. यह ऊर्जा इतनी अधिक थी कि इसके प्रभाव से आज तक ब्रह्मांड फैलता ही जा रहा है. इस धमाके के कारण 3 लाख साल बाद पूरा ब्रह्मांड हाइड्रोजन और हीलियम गैस के बादलों से भर गया. इस धमाके के 3 लाख 80 हज़ार साल बाद अंतरिक्ष में सिर्फ फोटोन ही रह गए. इन फोटोन से तारों और आकाशगंगाओं का जन्म हुआ, और बाद में जाकर ग्रहों और हमारी पृथ्वी का जन्म हुआ. यही महाविस्फोट यानी बिग-बैंग का सिद्धांत है.


🔜आइये जानें ब्रह्मांड से जुड़े ऐसे ही रोचक तथ्यों के बारे में…


क्या आपको पता है कि जो वैज्ञानिक ब्रह्माण्ड के बारे में अध्ययन करते है, उसे विज्ञान में खगोलीय विज्ञान  (Astronomical) कहा जाता है.


खगोल विज्ञान, विज्ञान की एक बहुत ही रोचक और रहस्यमय शाखा माना गया है.


ब्रह्माण्ड में सभी ग्रह, तारे, गैलेक्सियाँ (Galeksiya), गैलेक्सियों के बीच के अंतरिक्ष की अंतर्वस्तु, परमाण्विक कण, और सारा पदार्थ और सारी ऊर्जा शामिल हैं.


खगोल विज्ञान में बहुत ही दूर स्थित आकाशीय पिंडों का अध्ययन किया जाता है, जिसे समझना बहुत मुश्किल हैं.

पिनव्हील गैलेक्सी (Pinwheel Galaxy) को मेसियर 101 भी कहते हैं. पिनव्हील गैलेक्सी, पृथ्वी से 5 करोड़ प्रकाश वर्ष की दूरी पर स्थित है. यह तस्वीर इस आकाशगंगा की सबसे ज़्यादा विस्तृत तस्वीर है और इसे हब्बल टेलिस्कोप (Hubble Telescope) ने लिया है.


खगोल विज्ञान से जुड़े कई सिद्धांत बहु प्रतलित है. जैसे के विशेष तथा साधारण सापेक्षतावाद.


ब्रह्माण्ड में अनगिनत भौतिक वस्तुएं मौज़ूद हैं. इसमें ही अरबों तारे, सौर मण्डल और आकाशगंगाएं है, पर यह सिर्फ सारी वस्तुओं का 25 प्रतिशत ही है.


ब्रह्माण्ड को मुख्यत इसे तीन अक्ष में मापा जाता है, जैसे कि लंबाई, चौड़ाई और गहराई. तीनो अक्षों को गणितीय शब्दों  में x अक्ष, y अक्ष और z अक्ष कहा जाता है.

अगर नासा एक पंक्षी को अंतरिक्ष में भेजे, तो वह उड़ नहीं पाएगा और जल्दी ही मर जाएगा, क्योंकि वहां पर उड़ने के लिए बल ही नहीं है.


श्याम पदार्थ (dark matter) ब्रह्माण्ड में पाया जाने वाला ऐसा पदार्थ है, जो दिखता नहीं, पर इसके गुरुत्व का प्रभाव ज़रूर पाया गया है. तभी इसे श्याम पदार्थ का नाम दिया गया है.


अगर आप 1 मिनट में 100 तारे गिन लें, तो आप 2000 साल में एक पुरी आकाशगंगा गिन देगें.


ब्रह्मांण्ड में कुछ आकाशगंगाएं इतनी दूर होती हैं कि उनका प्रकाश पृथ्वी तक पहुँचने में लाखों साल का समय लेता है.


महाविस्फोट सिद्धांत (Big Bang Theory) में बताया गया है कि ब्रह्माण्ड 15 खरब साल में 93 खरब प्रकाश वर्ष तक फैल चुका है.


क्या आपको पता है कि सितारे, तारे और उपग्रह सभी एक दूसरे को अपनी तरफ आकर्षित करते हैं.


ब्रह्मांड चारों तरफ से जल, बादल, वायु और आकाश से घिरा हुआ है.


आकाशगंगा का व्यास लगभग लाख प्रकाशवर्ष है और इसका प्रवाह उत्तर से दक्षिण की ओर होता है.


हमारी आकाशगंगा (Galaxy) का नाम मंदाकिनी है, हमारा सौर मण्डल इसी आकाशगंगा में है.


ब्रह्माण्ड में द लार्ज मेगालीनिक कलाउड आकाशगंगा (The Large Cloud galaxy Megalinik) सभी आकाशगंगाओं से सबसे ज़्यादा चमकदार है

"ब्रह्माण्ड से जुड़े कुछ रोचक तथ्य…!!"


1. आप का T.V. या कोई और आवाज़ पैदा करने वाला रिकार्डर जा music set जब ठीक से नही चल रहा होता तब यह जो बेकार सी आवाज पैदा करता है यह Big Bang(महाविस्फोट) के तुरंत बाद बनने वाली रेडिऐशन का नतीजा है जो आज 15 अरब साल बाद भी है।


2. खगोलविज्ञान के अनुसार हम कहते है कि हर भौतिक वस्तु इस ब्रह्मांण्ड में मौजुद है। इसमें ही खरबों तारे, सौर मंण्डल और आकाशगंगाएं है। पर यह सिर्फ सारी वस्तुओं का 25 प्रतीशत ही है। अभी भी कई ऐसी और चीजों के बारें में पता लगाया जाना बाकी है।

 

3. अगर नासा एक पंक्षी को अंतरिक्ष में भेजे तो वह उड़ नही पाएगा और जल्दी ही मर जाएगा। क्योंकि वहां पर उड़ने के लिए बल ही नही है।


4. क्या आप को पता है श्याम पदार्थ(dark matter) ब्रह्माण्ड में पाया जाने वाला ऐसा पदार्थ है जो दिखता नही पर इसके गुरूत्व का प्रभाव जरूर पाया गया है। तभी इसे श्याम पदार्थ का नाम दिया गया है क्योंकि यह है तो दिखता नही।


5. अगर आप 1 मिनट में 100 तारे गिने तो आप 2000 साल में एक पुरी आकाशगंगा गिन देगें।


6. महाविस्फोट के बाद ब्रह्माण्ड विस्तारित होकर अपने वर्तमान स्वरूप में आया । पर आधुनिक विज्ञान के अनुसार भौतिक पदार्थ प्रकाश की गति से फैल नही सकता। पर महाविस्फोट सिद्धांत में तो यह पक्का है कि ब्रह्माण्ड 15 खरब साल में 93 खरब प्रकाश वर्ष तक फैल चुका है।(1प्रकाश वर्ष( light year)=प्रकाश के द्वारा एक साल में तय की गई दूरी)। पर इस उलझण को आइंस्टाइन का साधारण सापेक्षतावाद का सिद्धात समझाता है। इसके अनुसार दो आकाशगंगाएँ एक-दुसरे से जितनी दूर है उतने ही अनुपात से यह और दूर होती जाती है। यह तथ्य थोड़ा समझने में कठिन लगेगा मगर जब इसे ध्यान से पढ़ेगें तो कुछ-कुछ समझ आ जाएगा।


7. हमारी आकाशगंगा का नाम मंदाकिनी(Milky way) है, हमारा सौर मंण्डल इसी आकाशगंगा में है। आकाशगंगा का ग्रीक भाषा में अर्थ है- ‘दूध’। अगर आप एक खगोलीए दूरबीन लेकर आकाशगंगओं को देखे तो ऐसा लगेगा जैसे दूध की धारा बह रही हो।


8. द लार्ज मेगालीनिक कलाउड आकाशगंगा सभी आकाशगंगाओं से सबसे ज्यादा चमकदार है। यह केवल दक्षिणी गोलाअर्ध में ही दिखेगी। यह धरती से 1.7 लाख प्रकाश वर्ष दूर है और इसका व्यास 39,000 प्रकाश वर्ष है।


9. Abell 2029 ब्रह्माण्ड की सबसे बड़ी आकाशगंगा है। इसका व्यास 56,00,000 प्रकाश वर्ष है और यह हमारी आकीशगंगा से 80 गुना ज्यादा बड़ी है यह धरती से 107 करोड़ प्रकाश वर्ष दूर है।

 

10. धनु बौनी आकाशगंगा की खोज 1994 मे हुई थी और यह सभी आकाशगंगायों से धरती के सबसे करीब है यह धरती से 70,000 प्रकाश वर्ष दूर है।


11. ऐड्रोमेडा आकाशगंगा नंगी आखों से देखी जाने वाली सबसे दूर स्थित आकाशगंगा है यह पृथ्वी से 2309000 प्रकाश वर्ष दूर है। इसमें लगभग 300 खरब (30×1011) तारे है और इसका व्यास 1,80,000 प्रकाश वर्ष है।


12. ज्यादातर आकाशगंगाओं की शकल अंडाकार है पर कुछ अपनी शकल बदलती रहती है। हमारी आकाशगंगा मंदाकिनी अंडाकार है।


13. Abell 1835 IR 1916 आकाशगंगा हमारे ब्रह्माण्ड की सबसे दूर स्थित आकाशगंगा है यह धरती से आश्चार्यजनक 13.2 खरब प्रकाश वर्ष दूर है। 2004 में युरोपीय दक्षिणी वेधशाला के खगोलविदों ने इस आकाशगंगा की खोज की घोषणा की ।


14. ब्रह्माण्ड कैंलेडर


महाविस्फोट के बाद कई खगोलीय और धरती की घटनाएँ घटित हुई जिसमें डायनासोरों का जन्म और खातमा शामिल है। यह सारी चीजे बहुत ही ज्यादा समय में घटित हुई जिसे कि एक साधारण मनुष्य नही समझ सकता। इस समस्या से पार पाने के लिए अमरीकी गणितज्ञ और खगोलबिद कार्ल सागन ने ‘ब्रह्माण्ड कैंलेडर’ का सुझाव दिया। इस कैंलेडर में महाविस्फोट से लेकर अब तक के मानव इतिहास को एक साल में दर्शाया गया है।


मंगल पांडे/ Facts About Mangal Pandey in Hindi/ Biography of Mangal Pandey in hindi

 



                                  "मंगल पांडे-भारत के प्रथम स्वतंत्रता संग्राम के सेनानी"


                       


☞"मंगल पाण्डेय एक भारतीय स्वतंत्रता सेनानी थे जिन्होंने 1857 में भारत के प्रथम स्वाधीनता संग्राम में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई। वोे ईस्ट इंडिया कंपनी की 34 वीं बंगाल इंफेन्ट्री के सिपाही थे। तत्कालीन अंग्रेजी शासन ने उन्हें बागी करार दिया जबकि आम हिंदुस्तानी उन्हें आजादी की लड़ाई के नायक के रूप में सम्मान देता है। भारत के स्वाधीनता संग्राम में उनकी महत्वपूर्ण भूमिका को लेकर भारत सरकार द्वारा उनके सम्मान में सन् 1984 में एक डाक टिकट जारी किया गया।


☞"मंगल पाण्डेय


जन्म:-19 जुलाई 1827

नगवा,बलिया, भारत

पूर्ण नाम:- मंगल  पांडे

राष्ट्रीयता:- भारतीय

मृत्यु:-8 अप्रैल 1857, बैरकपुर भारत

व्यवसाय:-बैरकपुर छावनी में बंगाल नेटिव इन्फैण्ट्री की 34 वीं रेजीमेण्ट में सिपाही

प्रसिद्धि कारण:-भारतीय स्वतन्त्रता सेनानी

धार्मिक मान्यता:-हिन्दू


मंगल पाण्डेय ने इसी एन्फील्ड राइफल का प्रयोग 29 मार्च 1857 को बैरकपुर छावनी में किया था


🔴"जीवन परिचय....✍️


☞"मंगल पाण्डेय का जन्म भारत में उत्तर प्रदेश के बलिया जिले के नगवा नामक गांव में 19 जुलाई 1827 को एक "भूमिहार ब्राह्मण" परिवार में हुआ था। हांलाकि कुछ इतिहासकार इनका जन्म-स्थान फैज़ाबाद के गांव सुरहुरपुर को मानते हैं।


☞"इनके पिता का नाम दिवाकर पांडे था। जमींदार ब्राह्मण को भूमिहार कहा जाता है। "भूमिहार ब्राह्मण" होने के बाद भी मंगल पाण्डेय सन् 1849 में 22 साल की उम्र में ब्रिटिश ईस्ट इंडिया कंपनी की सेना में शामिल हो गए।


🔴"1857 का विद्रोह...✍️


☞"विद्रोह का प्रारम्भ एक बंदूक की वजह से हुआ। सिपाहियों को पैटऱ्न 1853 एनफ़ील्ड बंदूक दी गयीं जो कि 0.577 कैलीबर की बंदूक थी तथा पुरानी और कई दशकों से उपयोग में लायी जा रही ब्राउन बैस के मुकाबले में शक्तिशाली और अचूक थी। नयी बंदूक में गोली दागने की आधुनिक प्रणाली (प्रिकशन कैप) का प्रयोग किया गया था परन्तु बंदूक में गोली भरने की प्रक्रिया पुरानी थी। 


☞"नयी एनफ़ील्ड बंदूक भरने के लिये कारतूस को दांतों से काट कर खोलना पड़ता था और उसमे भरे हुए बारुद को बंदूक की नली में भर कर कारतूस को डालना पड़ता था। कारतूस का बाहरी आवरण में चर्बी होती थी जो कि उसे पानी की सीलन से बचाती थी। सिपाहियों के बीच अफ़वाह फ़ैल चुकी थी कि कारतूस में लगी हुई चर्बी सुअर और गाय के मांस से बनायी जाती है।


☞"29 मार्च 1857 को बैरकपुर परेड मैदान कलकत्ता के निकट मंगल पाण्डेय जो दुगवा रहीमपुर(फैजाबाद) के रहने वाले थे रेजीमेण्ट के अफ़सर लेफ़्टीनेण्ट बाग पर हमला कर के उसे घायल कर दिया। जनरल जान हेएरसेये के अनुसार मंगल पाण्डेय किसी प्रकार के धार्मिक पागलपन में थे जनरल ने जमादार ईश्वरी प्रसाद ने मंगल पांडेय को गिरफ़्तार करने का आदेश दिया पर ज़मीदार ने मना कर दिया। सिवाय एक सिपाही शेख पलटु को छोड़ कर सारी रेजीमेण्ट ने मंगल पाण्डेय को गिरफ़्तार करने से मना कर दिया। मंगल पाण्डेय ने अपने साथियों को खुलेआम विद्रोह करने के लिये कहा पर किसी के ना मानने पर उन्होने अपनी बंदूक से अपनी प्राण लेने का प्रयास किया। परन्तु वे इस प्रयास में केवल घायल हुये। 6 अप्रैल 1857 को मंगल पाण्डेय का कोर्ट मार्शल कर दिया गया और 8 अप्रैल को फ़ांसी दे दी गयी।


🔴"विद्रोह का परिणाम...✍️


☞"सन् 1857 के सैनिक विद्रोह की एक झलक :- मंगल पांडे द्वारा लगायी गयी विद्रोह की यह चिंगारी बुझी नहीं। एक महीने बाद ही १० मई सन् १८५७ को मेरठ की छावनी में बगावत हो गयी। यह विप्लव देखते ही देखते पूरे उत्तरी भारत में फैल गया जिससे अंग्रेजों को स्पष्ट संदेश मिल गया कि अब भारत पर राज्य करना उतना आसान नहीं है जितना वे समझ रहे थे। इसके बाद ही हिन्दुस्तान में चौंतीस हजार सात सौ पैंतीस अंग्रेजी कानून यहाँ की जनता पर लागू किये गये ताकि मंगल पाण्डेय सरीखा कोई सैनिक दोबारा भारतीय शासकों के विरुद्ध बगावत न कर सके।



🔺"मंगल पाण्डेय जीवनी"🔺


 ☞"वीरवर मंगल पाण्डेय का जन्म 30 जुलाई 1827 को वर्तमान उत्तर प्रदेश, जो उन दिनों संयुक्त प्रान्त आगरा व अवध के नाम से जाना जाता था, के बलिया जिले में स्थित नगवा गाँव के एक सामान्य परंतु प्रतिष्ठित सरयूपारीण ब्राम्हण परिवार में हुआ था। स्वाधिनता की वेदी पर पहला बलिदान ब्रितानी साम्राज्य के वफादार, चतुर व्यापारी, जो भारत में आए तो व्यापार करने थें, लेकिन इस देश में चल रही फूट ने उन्हे इस पर राज करने की जिप्सा जगा दिया। 


☞"सन् 1757 ई0 से ब्रिटिशों के गुलाम बने भारत में सौ वर्षों बाद इस दासता से मुक्ति के लिए सामूहिक संघर्ष करने की स्थितियंा बन पायी। 1857 ई0 के प्रथम स्वतंत्रता संग्राम को जन-जन का मुक्ति संग्राम बनाने लिए हमारे रणनीतिकारों ने बड़े ही व्यापक पैमाने पर तैयारी भी किया था। इस समवेत मुक्ति संग्राम को आरम्भ करने की तिथि भी इसके नायकों द्वारा 31 मई 1857 निर्धारित की गयी थी। लेकिन इस तिथि से दो माह पूर्व ही गंगा की उर्वर मिट्टी में पड़ा क्रान्ति बीज फूट पड़ा। 


☞"29 मार्च 1857 को बैरकपुर छावनी (कलकत्ता) में इस संग्राम के अग्रइल, आगरा-अवध प्रान्त (अब उत्तर प्रदेश) के गाजीपुर जिले (अब बलिया जिला) की बलिया तहसील के नगवा गंाव निवासी, अंग्रेजी फौज की 34 नम्बर देशी सेना की 39वीं पलटन के 1446 नम्बर सिपाही श्री मंगल पाण्डे ने सेना के दो अधिकारियों मि बाॅफ और मि. ह्यूसन को मौत के घाट उतार कर, स्वाधिनता की बलिवेदी पर अपना स्थान आरक्षित कर लिया। वो सन 1849 में 22 साल की उम्र में ब्रिटिश ईस्ट इंडिया कंपनी की सेना में शामिल हुए। मंगल बैरकपुर की सैनिक छावनी में “34वीं बंगाल नेटिव इन्फैंट्री” की पैदल सेना में एक सिपाही थे।


☞"ईस्ट इंडिया कंपनी की रियासत व राज हड़प और फिर इशाई मिस्नरियों द्वारा धर्मान्तर आदि की नीति ने लोगों के मन में अंग्रेजी हुकुमत के प्रति पहले ही नफरत पैदा कर दी थी और जब कंपनी की सेना की बंगाल इकाई में ‘एनफील्ड पी.53’ राइफल में नई कारतूसों का इस्तेमाल शुरू हुआ तो मामला और बिगड़ गया। इन कारतूसों को बंदूक में डालने से पहले मुंह से खोलना पड़ता था और भारतीय सैनिकों के बीच ऐसी खबर फैल गई कि इन कारतूसों को बनाने में गाय तथा सूअर की चर्बी का प्रयोग किया जाता है। उनके मन में ये बात घर कर गयी कि अंग्रेज हिन्दुस्तानियों का धर्म भ्रष्ट करने पर अमादा हैं क्योंकि ये हिन्दू और मुसलमानों दोनों के लिए नापाक था।


☞"Mangal Pandey एक ऐसे भारतीय सैनिक थे जिन्होंने 29 मार्च 1857 को ब्रिटिश अधिकारियो पर हमला किया था. उस समय यह पहला अवसर था जब किसी भारतीय ने ब्रिटिश अधिकारी पर हमला किया था. (बाद में भारत में इस घटना की आज़ादी की पहली लढाई के नाम से भी जाना जाने लगा). हमले के कुछ समय बाद ही उन्हें फ़ासी की सजा सुनाई गयी. और कुछ दिन बाद उन्हें फांसी दे दी गयी, लेकिन फांसी देने के बाद भी ब्रिटिश अधिकारी उनके पार्थिव शरीर के पास जाने से भी डर रहे थे.


☞"भारत में, मंगल पांडे एक महान क्रांतिकारी के नाम से जाने जाते है. जिन्होंने ब्रिटिश कानून का विरोध किया. भारत सरकार द्वारा 1984 में उनके नाम के साथ ही उनके फोटो का एक स्टेम्प भी जारी किया. वे पहले स्वतंत्रता क्रांतिकारी थे जिन्होंने सबसे पहले ब्रिटिश कानून का विरोध किया था. मंगल पांडे चर्बी युक्त कारतूसो के खिलाफ थे. वे भली-भांति जानते थे की ब्रिटिश अधिकारी, हिंदु सैनिको और ब्रिटिश सैनिको में भेदभाव करते थे. इन सब से ही परेशान होकर उन्होंने ब्रिटिश अधिकारियो से लढने का बीड़ा उठाया. उन्होंने आज़ादी की लड़ाई की चिंगारी भारत में लगाई थी जिसने बाद में एक भयंकर रूप धारण कर लिया था. और अंत में भारतीयों से हारकर अंग्रेजो को भारत छोड़ना ही पड़ा.

 

☞"अंग्रेजी हुकूमत ने 6 अप्रेल को फ़ैसला सुनाया कि मंगल पाण्डे को 18 अप्रेल को फ़ांसी पर चढा दिया जाये. परन्तु बाद में यह तारीख 8 अप्रेल कर दी गई ताकि विद्रोह की आग अन्य रेजिमेन्टों में भी न फ़ैल जाये. मंगल पाण्डे के प्रति लोगों में इतना सम्मान पैदा हो गया था कि बैरकपुर का कोई जल्लाद फ़ांसी देने को तैयार नहीं हुआ. नजीतन कल्कत्ता से चार जल्लाद बुलाकर मंगल पाण्डे को 8 अप्रेल, 1857 के दिन फ़ांसी पर चढा दिया गया. मंगल पाण्डे को फ़ांसी पर चढाकर अंग्रेजी हुकूमत ने जिस विद्रोह की चिंगारी को खत्म करना चाहा, वह तो फ़ैल ही चुकी थी और देखते ही देखते इसने पूरे देश को अपने आगोश में ले लिया.

मणिकर्णिका-झांसी की रानी लक्ष्मीबाई का जीवन परिचय/ Rani Laxmi BaiJiwani in hindi/ About Rani Laxmi Bai




               "मणिकर्णिका-झांसी की रानी लक्ष्मीबाई का जीवन परिचय"


           

 

                         सोने की चिड़िया कहे जाने वाले भारत के 1857 प्रथम स्वतंत्रता संग्राम  के योद्धाओं में से एक रानी लक्ष्मीबाई को देश का बच्चा-बच्चा जानता हैं. वो वीरता,देशभक्ति और सम्मान का प्रतीक हैं. झांसी की रानी ने देश में महिलाओं की पारंपरिक छवि को बदल दिया था, उन्होंने 18 वी शताब्दी में महिला सश्क्तिकरण की एक नयी परिभाषा रच दी थी.


🔜रानी लक्ष्मीबाई का जन्म और परिवार 


नाम -रानी लक्ष्मीबाई

वास्तविक नाम-मणिकर्णिका

उपनाम -छबीली,मनु

पिता -मोरोपन्य ताम्बे

माता-भागीरथी

जन्मस्थान -वाराणसी

जन्मदिन -19 नवम्बर 1828



 इन्होंने 4 वर्ष की उम्र में ही अपनी माँ को खो दिया था, उनके पिता ने उन्हें बड़ा किया था. उन्होंने अपनी बेटी को घुड़सवारी और हाथी की सवारी के साथ साथ हथियार चलाना भी सिखाया था. उनकी परवरिश नाना साहिब और तात्या टोपे के साथ हुयी थी, जिन्होंने उनके साथ स्वतंत्रता संग्राम में हिस्सा लिया था.


🔜रानी लक्ष्मीबाई का विवाह और महाराजा गंगाधर राव नेवालकर की मृत्यु 


मणिकर्णिका का विवाह झांसी के राजा गंगाधर राव से 1842 में हुआ था,और इस विवाह के बाद ही मणिकर्णिका को रानी लक्ष्मीबाई की पहचान मिली थी. इस दंपत्ति के यहां 1851 में एक पुत्र भी हुआ था लेकिन उसकी अकाल मृत्यु के बाद इस दम्पति ने महाराज के चचेरे भाई के पुत्र आनंद राव को अपना दत्तक पुत्र बनाने का निर्णय लिया. 21 नवम्बर 1853 को महाराज कि मृत्यु के चलते राज्य में फिर दुख के बादल घिर गए. झांसी के राजा की मृत्यु के बाद लार्ड डलहौजी ने “डोक्ट्राइन ऑफ़ लैप्स” (doctrine of lapse) का नियम लागू कर दिया और इसके चलतें महाराज के पुत्र को राज्य का उत्तराधिकारी बनने के अधिकार से वंचित किया गया.


🔜मणिकर्णिका-रानी लक्ष्मी बाई और 1857 स्वतंत्रता संग्राम


उस समय के भारत के गवर्नर जनरल लार्ड डलहौजी ने गंगाधर राव की मृत्यु का फायदा उठाकर झांसी पर कब्जा करने की सोची,लेकिन बाल दामोदर राव (लक्ष्मीबाई के संरक्षण में प्रतीकात्मक शासन सम्भाल रहे थे) ने ब्रिटिश हुकुमत को मानने से इनकार कर दिया. अंग्रेजों की मंशा थी कि वो ये कहकर झांसी हडप लेंगे कि इसका कोई उतराधिकारी नहीं हैं.


मार्च 1854 में झांसी की रानी को 60,000 रूपये की वार्षिक पेंशन देने की घोषणा की गई और उन्हें झांसी का किला छोडकर जाने का आदेश दे दिया गया.लेकिन वो झांसी ना छोड़ने की जिद पर थी. लक्ष्मीबाई ने 1400 विद्रोहियों की सेना तैयार की जिसमें महिलाएं भी शामिल थी,उनके सहयोगियों में मुख्यत: गुलाम गॉस खान,दोस्त खान,खुदा बक्श,सुंदर-मुन्दर,काशी बाई,लाल भाऊ बक्षी,मोती बाई,दीवान रघुनाथ सिंह और दीवान जवाहर सिंह जैसे नाम शामिल थे. वास्तव में 10 मई 1857 को जब लक्ष्मीबाई सेना इक्कट्ठा कर रही थी  तब मेरठ में सैन्य विद्रोह हो गया,जिसमें बहुत से विद्रोही, जिनमे महिलाये और बच्चे भी शामिल थे मारे गये. इसी दौरान लक्ष्मीबाई को ये आदेश मिला कि वो राज्य को अंग्रेजों को सौंप दे.


🔜झाँसी का युद्ध 


जून 1857 को बंगाल नेटिव इन्फेंट्री ने झांसी को खजाने समेत सीज कर दिया,उन्होंने यूरोपियन ऑफिसर्स और उनकी पत्नी बच्चो को मार दिया. इस कारण लक्ष्मीबाई ने सत्ता सम्भाली और अंगेजों को पत्र लिखा,  इसी दौरान ब्रिटीश सरकार से मिले हुए “ओरछा” और “दतिया” नाम के 2 व्यक्तियों ने भी झांसी पर चढाई कर दी,उनका उद्देश्य झांसी को आपस में बांटना था. तब लक्ष्मीबाई ने ब्रिटिश सरकार से मदद की गुहार लगाई लेकिन उनका कोई जवाब नहीं आया इस कारण लक्ष्मीबाई ने सेना एकत्र की और अगस्त 1857 में इन लोगों को हराया. अगस्त 1857 से जनवरी 1858 के दौरान झांसी में लक्ष्मीबाई के राज्य में काफी शांति थी,लेकिन ब्रिटिश झांसी पहुंचे , सर ह्यूज रोज जो कि ब्रिटिश आर्मी सम्भाल रहे थे,उन्होंने शहर को तबाह करने की धमकी देते हुए रानी लक्ष्मीबाई को सत्ता अंग्रेजों को सौपने को कहा. लक्ष्मीबाई ने ऐसा करने से मना कर दिया और इस तरह से 23 मार्च 1858 से झांसी का युद्ध शुरु हो गया


मार्च 1858 में  अंग्रेजों के झांसी पर आक्रमण करने पर लक्ष्मीबाई ने अपनी बनाई सेना के साथ उनसे 2 सप्ताह तक युद्ध किया..भयंकर युद्ध के बाद ब्रिटिश सेना झांसी में घुस गयी तब लक्ष्मीबाई ने अपने पुत्र दामोदर राव को साथ लेकर बहादुरी से दोनों हाथों में तलवार लेकर लड़ने लगी. अंग्रेजों ने 24 मार्च को किले पर बमबारी की,जिसका जवाब उन्हें मिला. झांसी की रानी ने तात्या टोपे से सहायता मांगी,तात्या टोपे 20,000 सैनिको को लेकर झाँसी पहुच गए,लेकिन वो भी ब्रिटिश सेना के सामने ज्यादा समय तक टिक नही पा रहे थे. युद्ध ज़ारी रहा,और जब लक्ष्मीबाई ने ये महसूस किया कि झांसी के युद्ध का कोई परिणाम नहीं आने वाला हैं,तो उन्होंने झांसी को छोड़ने का फैसला किया.

🔜कालपी का युद्ध 


लक्ष्मीबाई दामोदर राव के साथ झांसी से निकल गई,और कालपी पहुची. यहाँ वो तात्या टोपे की सेना में शामिल हो गयी. यहाँ उन्होंने कस्बे पर कब्ज़ा कर लिया,और इसकी सुरक्षा की तैयारियां देखने लगे. ब्रिटिश ने 22 मई 1858 को कालपी पर आक्रमण किया. जिसमें तात्या टोपे और झांसी की रानी लक्ष्मीबाई हार गए,और इस तरह झांसी की रानी के साथ तात्या टोपे,राव साहिब और बाँदा के नवाब ग्वालियर चले गए जहाँ पर ये सब लोग शहर की रक्षा करने वाली सेना में शामिल हो गए. लक्ष्मीबाई और उनकी टीम ग्वालियर के किले के सामरिक महत्व को समझ गये थे इसलिए वो इन पर कब्जा करना चाहती थी, लेकिन वो विद्रोही नेताओं को ये नहीं समझा सकी.16 जून 1858 को जनरल रोज की सेना वहाँ पर पहुच गयी.17 जून को फूल बाघ के पास कैप्टन हेनेज ने भारतीय सेना से युद्ध किया,लक्ष्मीबाई उस जगह को छोड़ने की कोशिश कर रही थी, इसलिए उन्होंने पुरुष का वेश धारण किया,अपनी पीठ पर अपने पुत्र को बाँधा,और ब्रिटिश सेना पर हमला बोल दिया,युद्ध में लक्ष्मीबाई घायल हो गयी.   


🔜रानी लक्ष्मी बाई म्रुत्यु


लक्ष्मीबाई अंग्रेजों के हाथों नही मरना चाहती थी इसलिए उन्होंने एक संत को कहा था कि उनका दाह संस्कार कर दे. 17 जून 1858 को उनका देहांत हो गया.  उनकी इच्छा के अनुसार उनके  शव का दाह-संस्कार 18 जून 1858 को किया गया जबकि उनकी मृत्यु के बाद भी अंग्रेज को ग्वालियर पर कब्जा करने के लिए 3 दिन लगे.



🔜रानी लक्ष्मी बाई और झलकारी बाई


रानी लक्ष्मीबाई की सेना में कई वीरांगनाओं में से एक झलकारीबाई भी थी जिन्होंने झांसी के युद्ध के समय लक्ष्मीबाई का रूप धर लिया था,जिससे कि लक्ष्मीबाई को बचकर निकलने का मौका मिल सके, और वो अंग्रेजों का ध्यान लक्ष्मीबाई से हटाकर खुद पर कर सके. वो सीधे जनरल रोज के कैंप पहुच गयी थी और वहां जाकर उन्होंने कहा कि वो जनरल से मिलना चाहती हैं.  जनरल ने उन्हें रानी समझकर पूछा कि वो क्या सजा चाहती हैं अपने लिए. झलकारी बाई ने कहा कि उन्हें फांसी की सजा दी जाए,तब जनरल ने कहा कि यदि 1 प्रतिशत महिलाएं भी उनके जैसी हो जाए तो भारत अंग्रेजों को देश छोडकर जाने को मजबूर कर देगा. हालांकि अगले दिन “दूल्हा जू” नाम के आदमी ने झलकारी बाई को पहचान लिया और ब्रिटिशर्स को एहसास हो गया कि उनके साथ धोखा हुआ हैं. झलकारी  की मृत्यु को लेकर विविध मत हैं,कुछ के अनुसार उनकी मृत्यु 1858 में हुयी थी जबकि कुछ के अनुसार उन्हें अंग्रेजों ने स्वतन्त्र कर दिया था और उनकी मृत्यु 1890 में हुयी थी. झलकारीबाई के सम्मान में एक प्रतिमा ग्वालियर में स्थापित की गयी हैं  इसके अलावा 2001 में भारत सरकार ने उन पर एक स्टाम्प ज़ारी किया था


"मणिकर्णिका-रानी लक्ष्मीबाई से जुड़े रोचक तथ्य"


                        


🔜जयादातर लोग उन्हें लक्ष्मी बाई के नाम से ही जानते थे लेकिन बचपन से ही उनकानाम मणिकर्णिक था और प्यार से सभी लोग उन्हें मनु कह कर बुलाते थे लक्ष्मी बाई का नाम उनके पति द्वारा दिया गया जब वो झांसी आई 


🔜जब मन्नू 4 साल की थी तब उनकी माता का देहांत हो गया था उनके पिता मोरोपंत तांबे ने बाजीराव के दरबार में ले गए मन्नू का स्वभाव इतना मनमोहक था कि उन्होंने दरबार में सभी का मन मोह लिया और इसी वजह से बाजीराव ने उन्हें छबीली नाम दिया


🔜पशवा बाजीराव के घर पर शिक्षक आते थे उनके बच्चों को पढ़ाने रानी लक्ष्मीबाई भी वह बच्चों के साथ पढ़ने लगी और बचपन में ही तीर बाजी चलाना सीख गई उनका पूरा परवरिश लड़कों जैसा हुआ इसलिए उन्हें बचपन से ही घुड़सवार धनुष बनाना तीर चलाना सब आता था इसीलिए वह अपने उम्र की लड़कियों से काफी आगे थी 


🔜लक्ष्मी बाई के पिता एक साधारण ब्राह्मण और अंतिम पेशवा बाजीराव द्वितीय के सेवक थे।


🔜झांसी की रानी लक्ष्मीबाई सन 1857 के प्रथम भारतीय स्वतन्त्रता संग्राम की वीरांगना थीं। उन्होंने मात्र 23 वर्ष की आयु में अंग्रेज़ साम्राज्य की सेना से लौहा लिया था।


🔜रानी लक्ष्मीबाई को घुंघट में रहना पसंद नहीं था शादी के बाद वह अक्सर घुंघट में रहा करती थी उन्होंने किले के अंदर ही एक व्यायामशाला बनवाई और शस्त्र चलाना सीखा घुड़सवारी करने के लिए जरूरी प्रबंध किया और स्त्रियों की एक सेना तैयार की


🔜1842 में मनु का विवाह राजा गंगाधर राव से हुआ शादी के तुरंत बाद ही राजा गंगाधर राव का तबीयत खराब होने लगा और कुछ दिनों बाद ही राजा गंगाधर राव का मृत्यु होने के कारण रानी अकेली रह गई लेकिन इतनी कठिन परिस्थितियों में भी रानी ने धैर्य नहीं खोया उन्होंने राज्य का उत्तराधिकारी स्वयं बनने का फैसला किया और मात्र 18 वर्ष की उम्र में उन्होंने झांसी की रानी राज गद्दी संभाला


🔜अग्रेज़ झांसी को हड़पना चाहते थे और उन्होंने राजा के दरबार में एक चिट्ठी भेजी जहां वह कह रहे थे यह महल अब उनके अंदर आता है लेकिन रानी लक्ष्मीबाई ने इसका उल्लंघन किया


🔜अग्रेजों और रानी लक्ष्मीबाई के बीच युद्ध छिड़ गया यह युद्ध लगातार 7 दिन तक चला रानी लक्ष्मीबाई अपने घोड़े लेकर युद्ध पर निकल गई थी अपने छोटे से सेना के साथ और उन्होंने अंग्रेजों से, निडर होकर लड़ाई की |


🔜रानी लक्ष्मी बाई युद्ध करते-करते अपने घोड़े के साथ ग्वालियर पहुंच गई थी ग्वालियर पहुंचते ही पीछे से एक अंग्रेज के सैनिक ने उनके आंख पर हमला किया और उनकी दाई आंख पूरी तरह से जख्मी हो गई लेकिन लक्ष्मी बाई ने हार नहीं मानी


🔜रानी जब घायल हुई तब रामराव देशमुख रानी के साथ थे उन्होंने रानी के शरीर को बाबा गंगादास की कुटिया में पहुंचाया रानी लक्ष्मीबाई को बाबा गंगादास ने जल पिलाया और 18 जून 1851 को उन्होंने अंतिम सांस ली रानी लक्ष्मी बाई की इच्छा के अनुसार उसी कुटिया में उनकी चिता जलाई गई क्यों की रानी लक्ष्मीबाई चाहती थी कि उनका शरीर अंग्रेजों के हाथ ना लगे |


🔜रानी लक्ष्मीबाई जब अपनी अंतिम सांस ली तो उनकी उम्र महज 23 साल की थी, जो अंग्रेज इन के खिलाफ लड़ रहे थे वह भी इनके तारीफ करने से पीछे नहीं हटे वह भी बोले कि इतने कम उम्र में ऐसी सुंदरता चालाक और निडर होकर अंग्रेजों से लड़ना कोई कम बात नहीं है


🔜1957 में रानी लक्ष्मीबाई के सम्मान में 2 पोस्टेज स्टाम्प ज़ारी किये गये थे. इसके अलावा सरकार ने झांसी की रानी की वीरता की स्मृति में एक म्यूजियम भी बनाया हैं,ये जगह रानी लक्ष्मीबाई का आवास हैं,जिसे रानी महल भी कहा जाता हैं.


🔜झांसी के युद्ध में लक्ष्मीबाई लड़ते हुए ये शब्द के साथ अपने सेना को प्रेरित कर रही थी “हम स्वतंत्रता के लिए लड़ रहे है” उनका मतलब था कि यदि वो जीत जाते हैं तो स्वतंत्र और समृद्ध जीवन जी सकेंगे,वर्ना गुलामी से अच्छा तो रण-क्षेत्र में लड़ते हुए मर जाना अच्छा हैं.


🔜रानी लक्ष्मीबाई एक रानी होते हुए भी पालकी में आना-जाना पसंद नहीं करती थी, वो घुड़सवारी की शौक़ीन थी,इसलिए उनके लिए ज्यादातर परिवहन का साधन घोडा ही हुआ करता था.


🔜1857 के सितम्बर तथा अक्टूबर के महीनों में पड़ोसी राज्य ओरछा तथा दतिया के राजाओं ने झाँसी पर आक्रमण कर दिया था।


🔜18 जून 1858 को ग्वालियर के पास कोटा की सराय में ब्रिटिश सेना से लड़ते-लड़ते रानी लक्ष्मीबाई ने वीरगति प्राप्त की थी।




➨झांसी के किले के बारे में रोचक तथ्य"

           


🔜 इस भव्य किले का निर्माण वर्ष 1613 ई. में ओरछा साम्राज्य के प्रसिद्ध शासक राजा बीरसिंह जुदेव द्वारा करवाया गया था।


🔜यह किला भारत के सबसे खूबसूरत राज्यों में से एक उत्तर प्रदेश के झाँसी में स्थित है।

यह किला भारत के सबसे भव्य और ऊँचे किलो में से एक है, यह किला पहाडियों पर बना हुआ है जिसकी ऊंचाई लगभग 285 मीटर है।


🔜यह किला भारत के सबसे अद्भुत किलो में से एक है, क्यूंकि इस किले के अधिकत्तर भागो का निर्माण ग्रेनाइट से किया गया है।


🔜यह ऐतिहासक किला भारत के सबसे विशाल किलो में शामिल है, यह किला लगभग 15 एकड़ के क्षेत्रफल में फैला हुआ है, यह किला 312 मीटर लंबा और 225 मीटर चौड़ा है जिसमे घास के मैदान भी सम्मिलित है।


🔜इस किले की बाहरी सुरक्षा दीवार का निर्माण पूर्णता ग्रेनाइट से किया गया है जो इसे एक मजबूती प्रदान करती है, यह दीवार 16 से 20 फुट मोटी है और दक्षिण में यह शहर की दीवारों से भी लगती है।


🔜इस विश्व प्रसिद्ध किले में मुख्यत: 10 प्रवेश द्वार है, जिनमे खंडेरो गेट, दतिया दरवाजा, उन्नाव गेट, बादागाओ गेट, लक्ष्मी गेट, सागर गेट, ओरछा गेट, सैनीर गेट और चंद गेट आदि प्रमुख है।


🔜इस किले के समीप ही स्थित रानी महल का निर्माण 19वीं शताब्दी में करवाया गया था, जिसका वर्तमान में उपयोग एक पुरातात्विक संग्रहालय के रूप में किया जाता है।


🔜वर्ष 1854 ई. में रानी लक्ष्मीबाई द्वारा ब्रिटिशो को महल और किले को छोड़कर जाने के लिए लगभग 60,000 रुपये की रकम दी गई थी।


🔜इस किले तक पंहुचने के सारे साधन मौजूद है, इसका सबसे निकटम रेलवे स्टेशन “झांसी रेलवे स्टेशन” है जो इससे 3 कि.मी. की दूरी पर स्थित है, यहाँ पर हवाई जहाज की सहायता से भी पंहुचा जा सकता क्यूंकि मात्र 103 कि.मी. की दूरी पर ग्वालियर हवाई अड्डा मौजूद है।


➨झांसी के किले के बारे में जानकारी :-


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1857 की क्रांति का भारतीय इतिहास में बहुत महत्वपूर्ण योगदान रहा है जिसमे एक से बढकर एक वीर योद्धाओ ने अपना विशेष योगदान दिया है, इन वीर योद्धाओ में रानी लक्ष्मीबाई और मंगल पांडे जैसे वीर नाम भी सम्मिलित है। रानी लक्ष्मी बाई का नाम भारतीय इतिहास के सुनहरे पन्नो में दर्ज है, उन्ही से संबंधित झांसी का किला अपनी वास्तुकला शैली और कलाकृतियों के लिए पूरे विश्वभर में मशहूर है।


🔜झांसी के किले का संक्षिप्त विवरण :-


स्थान :- झांसी, उत्तर प्रदेश (भारत)

निर्माण :-1613 ई.

निर्माता:-ओरछा नरेश “बीरसिंह जुदेव”

प्रकार :-किला


🔜झांसी के किले का इतिहास :-


          इस विश्व प्रसिद्ध किले का निर्माण वर्ष 1613 में ओरछा के बुन्देल राजा बीरसिंह जुदेव द्वारा करवाया गया था। यह किला बुंदेला का सबसे शक्तिशाली किला हुआ करता था। 17वीं शताब्दी में मोहम्मद खान बंगेश ने महाराजा छत्रसाल पर आक्रमण कर दिया था, इस आक्रमण से महाराजा छत्रसाल को बचाने में पेशवा बाजीराव ने सहायता की थी जिसके बाद महाराजा छत्रसाल ने उन्हें राज्य का कुछ भाग उपहार के रूप में दे दिया था, जिसमे झाँसी भी शामिल था। इसके बाद नारोशंकर को झाँसी का सूबेदार बना दिया गया। उन्होंने केवल झाँसी को ही विकसित नही किया बल्कि झाँसी के आस-पास स्थित दूसरी इमारतो को भी बनवाया। नारोशंकर के बाद झांसी में कई सूबेदार बनाए गये थे जिनमे रघुनाथ भी सम्मिलित थे जिन्होंने इस किले के भीतर महालक्ष्मी मंदिर और रघुनाथ मंदिर का भी निर्माण करवाया था। वर्ष 1838 में रगुनाथ राव द्वितीय की मृत्यु के बाद ब्रिटिश शासको ने गंगाधर राव को झाँसी के नए राजा के रूप में स्वीकार किया। वर्ष 1842 ई. में राजा गंगाधर राव ने मणिकर्णिका ताम्बे से शादी की, जिसे बाद में रानी लक्ष्मीबाई के नाम से पुकारा जाने लगा था। वर्ष 1851 ई. में रानी ने एक बेटे को जन्म दिया जिसका नाम दामोदरराव रखा गया परंतु वह शिशु 4 महीने के भीतर ही मृत्यु को प्राप्त हो गया था, इसके बाद महाराजा ने अपने भाई के एक पुत्र “आनंद राव” को गोद लिया जिसका नाम बाद में बदलकर दामोदर राव रख दिया गया था। वर्ष 1853 में महाराजा की मृत्यु के बाद, गवर्नर जनरल लार्ड डलहौजी के नेतृत्व वाली ब्रिटिश सेना ने चुक का सिद्धांत लगाकर दामोदर राव को सिंहासन सौपने से मना कर दिया था। 1857 के विद्रोह दौरान रानी लक्ष्मीबाई ने किले की बागडोर अपने हाथ में ले ली और ब्रिटिश ईस्ट इंडिया कंपनी के खिलाफ अपनी सेना का नेतृत्व किया। अप्रैल 1858 में जनरल ह्यूज के नेतृत्व वाली ब्रिटिश सेना झाँसी को पूरी तरह से घेर लिया और 4 अप्रैल 1858 को उन्होंने झाँसी पर कब्ज़ा भी कर लिया। उस समय रानी लक्ष्मीबाई ने हिम्मत दिखाकर ब्रिटिश सेना का सामना किया और घोड़े की मदद से महल से निकलने में सफल रही परंतु 18 जून 1858 में ब्रिटिश सेना से लड़ने के दौरान वह शहीद हो गई थी। वर्ष 1861 में ब्रिटिश सर्कार ने झाँसी के किले और झाँसी शहर को जियाजी राव सिंधियां को सौप दिया, जो ग्वालियर के महाराज थे लेकिन 1868 में ब्रिटिशो ने ग्वालियर राज्य से झाँसी को वापिस ले लिया था।

शिवराम राजगुरु जीवनी/ Rajguru ki jiwani in Hindi/ Biography of Rajguru in Hindi

 





                                               "शिवराम राजगुरु जीवनी"

     

              


               शिवराम हरि राजगुरु का जन्म भाद्रपद के कृष्णपक्ष की त्रयोदशी सम्वत् 1965 (विक्रमी) तदनुसार सन् 1908 में पुणे जिला के खेडा गाँव में हुआ था। 6 वर्ष की आयु में पिता का निधन हो जाने से बहुत छोटी उम्र में ही ये वाराणसी विद्याध्ययन करने एवं संस्कृत सीखने आ गये थे। इन्होंने हिन्दू धर्म-ग्रंन्थों तथा वेदो का अध्ययन तो किया ही लघु सिद्धान्त कौमुदी जैसा क्लिष्ट ग्रन्थ बहुत कम आयु में कण्ठस्थ कर लिया था। इन्हें कसरत (व्यायाम) का बेहद शौक था और छत्रपति शिवाजी की छापामार युद्ध-शैली के बड़े प्रशंसक थे।


☞"वाराणसी में विद्याध्ययन करते हुए राजगुरु का सम्पर्क अनेक क्रान्तिकारियों से हुआ। चन्द्रशेखर आजाद से इतने अधिक प्रभावित हुए कि उनकी पार्टी हिन्दुस्तान सोशलिस्ट रिपब्लिकन आर्मी से तत्काल जुड़ गये। आजाद की पार्टी के अन्दर इन्हें रघुनाथ के छद्म-नाम से जाना जाता था; राजगुरु के नाम से नहीं। पण्डित चन्द्रशेखर आज़ाद, सरदार भगत सिंह और यतीन्द्रनाथ दास आदि क्रान्तिकारी इनके अभिन्न मित्र थे। राजगुरु एक अच्छे निशानेबाज भी थे। साण्डर्स का वध करने में इन्होंने भगत सिंह तथा सुखदेव का पूरा साथ दिया था जबकि चन्द्रशेखर आज़ाद ने छाया की भाँति इन तीनों को सामरिक सुरक्षा प्रदान की थी।


23 मार्च 1931 को इन्होंने भगत सिंह तथा सुखदेव के साथ लाहौर सेण्ट्रल जेल में फाँसी के तख्ते पर झूल कर अपने नाम को हिन्दुस्तान के अमर शहीदों की सूची में अहमियत के साथ दर्ज करा दिया।


🔴"चंद्रशेखर आज़ाद से भेंट...✍️


☞"जब राजगुरु तिरस्कार सहते-सहते तंग आ गए, तब वे अपने स्वाभिमान को बचाने के लिए घर छोड़ कर चले गए। फिर सोचा की अब जबकि घर के बंधनों से स्वाधीन हूँ तो भारत माता की बेड़ियाँ काटने में अब कोई दुविधा नहीं है। वे कई दिनों तक भिन्न-भिन्न क्रांतिकारियों से भेंट करते रहे। 


☞"अंत में उनकी क्रांति की नौका को चंद्रशेखर आज़ाद ने पार लगाया। राजगुरु 'हिंदुस्तान सामाजवादी प्रजातान्त्रिक संघ' के सदस्य बन गए। 


☞"चंद्रशेखर आज़ाद इस जोशीले नवयुवक से बहुत प्रभावित हुए और बड़े चाव से इन्हें निशानेबाजी की शिक्षा देने लगे। शीघ्र ही राजगुरु आज़ाद जैसे एक कुशल निशानेबाज बन गए। कभी-कभी चंद्रशेखर आज़ाद इनको लापरवाही करने पर डांट देते, किन्तु यह सदा आज़ाद को बड़ा भाई समझ कर बुरा न मानते।


☞"राजगुरु का निशाना कभी चूकता नहीं था। बाद में दल में इनकी भेंट भगत सिंह और सुखदेव से हुई। राजगुरु इन दोनों से बड़े प्रभावित हुए।


🔴"क्रन्तिकारी जीवन....✍️


☞"दोस्तों 1925 में काकोरी कांड के बाद क्रान्तिकारी दल बिखर गया था


☞"पुनः पार्टी को स्थापित करने के लिये बचे हुये सदस्य संगठन को मजबूत करने के लिये अलग-अलग जाकर क्रान्तिकारी विचारधारा को मानने वाले नये-नये युवकों को अपने साथ जोड़ रहे थे|


☞"इसी समय राजगुरु की मुलाकात मुनीश्वर अवस्थी से हुई ! अवस्थी के सम्पर्कों के माध्यम से ये क्रान्तिकारी दल से जुड़े|इस दल में इनकी मुलाकात श्रीराम बलवन्त सावरकर से हुई|इनके विचारों को देखते हुये पार्टी के सदस्यों ने इन्हें पार्टी के अन्य क्रान्तिकारी सदस्य शिव वर्मा (प्रभात पार्टी का नाम) के साथ मिलकर दिल्ली में एक देशद्रोही को गोली मारने का कार्य दिया गया|पार्टी की ओर से ऐसा आदेश मिलने पर ये बहुत खुश हुये कि पार्टी ने इन्हें भी कुछ करने लायक समझा और एक जिम्मेदारी दी


☞"आपको बताये पार्टी के आदेश के बाद राजगुरु कानपुर डी.ए.वी. कॉलेज में शिव वर्मा से मिले और पार्टी के प्रस्ताव के बारे में बताया गया|इस काम को करने के लिये इन्हें दो बन्दूकों की आवश्यकता थी लेकिन दोनों के पास केवल एक ही बन्दूक थी| इसलिए वर्मा दूसरी बन्दूक का प्रबन्ध करने में लग गये और राजगुरु बस पूरे दिन शिव के कमरे में रहते, खाना खाकर सो जाते थे|ये जीवन के विभिन्न उतार चढ़ावों से गुजरे थे ! इस संघर्ष पूर्ण जीवन में ये बहुत बदल गये थे लेकिन अपने सोने की आदत को नहीं बदल पाये|शिव वर्मा ने बहुत प्रयास किया लेकिन कानपुर से दूसरी पिस्तौल का प्रबंध करने में सफल नहीं हुये


☞"अतः इन्होंने एक पिस्तौल से ही काम लेने का निर्णय किया और लगभग दो हफ्तों तक शिव वर्मा के साथ कानपुर रुकने के बाद ये दोनों दिल्ली के लिये रवाना हो गये|दिल्ली पहुँचने के बाद राजगुरु और शिव एक धर्मशाला में रुके और बहुत दिन तक उस देशद्रोही विश्वासघाती साथी पर गुप्त रुप से नजर रखने लगे|


🔴"सम्मान...✍️


☞"राजगुरु के जन्म शती के अवसर पर भारत सरकार के प्रकाशन विभाग ने उन पर संभवत पहली बार कोई पुस्तक प्रकाशित की। इस सराहनीय प्रयास के लिए न केवल प्रकाशन विभाग धन्यवाद का पात्र है बल्कि उस लेखक को भी कोटि कोटि बधाई है, जिसने इस क्रन्तिकारी की जीवन लीला से सभी को परिचय कराया है। पुणे का वह खेड़ा गाँव जहाँ राजगुरु का जन्म हुआ था, उसे अब 'राजगुरु नगर' के नाम से जाना जाता है।


🔴"राजगुरु के बारे में मुख्य तथ्य...✍️


☞"24 अगस्त 1908 को महाराष्ट्र के खेड़ा (पूना) नामक स्थान पर जन्म।


☞"जलियांवाला बाग हत्या कांड के बाद देश सेवा के लिये अपने आप को समर्पित करने का संकल्प।


☞"1923 को 15 वर्ष की अल्प आयु में घर का त्याग।


☞"बनारस में रहकर संस्कृत और लघु कौमुदगी के सिद्धान्तों का अध्ययन।


☞"1924 में क्रान्तकारी दल से सम्पर्क और एच.एस.आर.ए. के कार्यकारी सदस्य बनें


☞"17 दिसम्बर 1928 को लाला लाजपत राय पर लाठी से प्रहार करने वाले जे.पी.सांडर्स की गोली मारकर हत्या।


☞"20 दिसम्बर 1928 को भगत सिंह के नौकर के रुप में लाहैर से फरारी।


☞"30 सितम्बर 1929 को पूना में गिरफ्तारी।


☞"7 अक्टूबर 1930 को भगत सिंह और सुखदेव के साथ फाँसी की सजा।


☞"23 मार्च 1931 को फाँसी पर चढ़कर शहीद हो गये।


☞"इनकी मृत्यु के बाद भारत सरकार ने इनके जन्म स्थान खेड़ा का नाम बदलकर राजगुरु नगर रख दिया गया हैं।


☞"24 अगस्त 2008 को प्रसिद्ध लेखक अजय वर्मा (जज) ने राजगुरु के जन्म की 100वीं वर्षगाँठ पर “अजेय क्रान्तिकारी राजगुरु” नाम से किताब लिखकर प्रकाशित की।

सिकंदर महान के बारे में रोचक तथ्य/ Facts about Alexander/Sikandar the Great/ Amazing/Interesting facts about Alexander/Sikandar

 






                                               "सिकंदर महान के बारे में रोचक तथ्य "


                     


         सिकंदर मकदूनिया (मेसेडोनिया) का ग्रीक शासक था. इतिहास में राजा तो बहुत हुए लेकिन सिकंदर को ही महान Q कहा जाता हैं ? वह अपनी मृत्‍यु तक हर उस जमीन को जीत चुका था जिसकी जानकारी प्राचीन ग्रीक के लोगों को थी. यही वजह है कि उसे विश्‍वविजेता कहा जाता हैं.


1. कहा जाता है कि अपने 12 साल के शासन मे Alexander ने कभी कोई युद्ध नहीं हारा था। लेकिन आपकी जानकारी के लिए बता दें सिकंदर राजा पूरू जा पोरस से हार गए थे.


2. Alexander को 16 साल की उम्र तक महान दार्शनिक अरस्तु (Aristotle) द्वारा पढ़ाया गया था।


3. Alexander की ताजपोशी उनके पिता Philip II की मौत के बाद की गई थी तब उनकी उम्र सिर्फ 20 साल थी।


4. Alexander को The great शब्द की उपाधी एक military commander के तौर पर अद्वितीय योगदान के कारण मिली थी।


5. कई इतिहासकार मानते है कि वह सिकंदर का गुरू अरस्तू ही था जिसने सिकंदर के मन में पूरी दुनिया जीतने का सपना जगाया।


6. Alexander the great, Nepoleon, Mussolini, Hitler इन सभी को ailurophobia था जो एक बिल्ली से लगने वाला डर हैं।


7. Alexander ने तीन बार शादी की थी पहली Roxana से, जो एक Love marriege थी और दूसरी और तीसरी stareira II और partsatis II, जो presian princesses थी ये शादी political reasons से की थी।


8. Alexander the great ने एक बार अपने सैनिकों के बीच शराब पीने की प्रतियोगिता करवाई थी. जब तक यह खत्म हुई तब तक 42 लोग Alcohol की वजह से मारे जा चुके थे।


9. सिकंदर की सेना ने व्‍यास नदी को पार करने से इनकार कर दिया था।


10. Alexander the great, bisexual था लेकिन उस समय मे यह शब्द इतना विवादास्पद नही था।


11. Alexander को heterochromia iridum नाम की बिमारी थी, जिसकी वजह से उनकी एक आंख नीले रंग की व एक आंख भूरे रंग की थी।


12. फारसी समुदाय को हराने के बाद Alexander ने दो फारसी पत्नियां रख ली और फारसी समुदाय की तरह कपड़े पहनना शुरू कर दिया।


13. क्यूबा के राष्ट्रपति Fidel castro के तीनो लड़को के नाम Alexander के नाम पर रखे गए थे, वो नाम: Alexis, Alejandro and Alexander.


14. Alexander अपनी जिंदगी से खुश नहीं था क्योकि उसे कई लोगो द्वारा एक क्रुर तानाशाह की तरह देखा गया था।


15. Alexander, Macedonia का राजा, Egypt का राजा, Asia का राजा व Persia का राजा था।


16. Alexander ने 70 शहरों को खोजा था, जिनमें से 20 शहरो का नाम खुद के नाम पर व 1 शहर का नाम अपने घोड़े के नाम पर।


17. Julius caesar, Mark antony, Octavian ये सभी Alexander के जबरदस्त मकबरे को देखने के लिए एक तीर्थयात्री बनकर गए थे. ये मकबरा Alexandria शहर में था।


18. Alexander अपने बालों को चमकीले व साफ रखने के लिए Saffron (केसर) से धोता था।


19. Alexander की मौत Babylon (ईरान) में हुई थी तब उनकी उम्र 32 साल थी और उसने 12 साल राज किया था।


20. Alexander the great की body को सोने (gold) के ताबूत मे रखा गया था।


21. सन् 1998 के new england journal of madicine attributed के अनुसार Alexander की मौत बुखार व लखवा की वजह से हुई थी।


22. Alexander की मौत का असली कारण अभी तक पता नहीं चला हैं जो इतिहास की दुनिया का बहुत बड़ा रहस्य हैं. लेकिन कहा जाता है कि सिकंदर की मौत का कारण पोरस की सेना के जहर बुझे तीर थे।

सोमवार, 17 जनवरी 2022

शराब के बारे में रोचक तथ्य/ Facts about Alcohol/ About Alcohol in Hindi

 



🍷"शराब के बारे में रोचक तथ्य"🍷


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बड़ी ही अजीब बात हैं कि पहली बार की शराब कोई खरीदकर नही पीता. कोई न कोई दानी पिला ही देता हैं. हमारे भारत में तो बिना दारू के शादी भी अधूरी हैं. मैं पहले ही साफ़ कर दूं कि किसी तरह के नशे की लत, अपने और समाज के लिए बुरी होती हैं. नशा चाहे Alcohol का हो या सिगरेट का या तम्बाकू का, खराब ही होता हैं. हम तो कहते हैं इनसे बचकर ही रहें. आज हम आपको शराब से जुड़े ऐसे रोचक तथ्य बताएंगे जो किसी शराबी को भी नही पता होंगे.



1. इस समय भी दुनिया के 5 करोड़ लोगो ने शराब पी रखी हैं.


 

2. शराब पीने के 6 मिनट बाद ही नशा होना शुरू हो जाता हैं.


3. शराब कभी पचती नही हैं बल्कि रक्त वाहिनाओं द्वारा सीधी सोख ली जाती हैं.


4. 15 साल से कम की आधी दुनिया ये दावा करती हैं कि उसने कभी दारू नही पीयी.


5. शराब आपको कुछ भूलने नही देती लेकिन बहुत ज्यादा पी लेने के बाद आप कुछ नया याद नही कर सकते.


 

6. प्रत्येक रशियन हर साल 18 litres शराब पीता हैं जो कि हानिकारक मात्रा की दोगुनी हैं.


7. नीली आँखो वाले लोग ज्यादा नशा सह सकते हैं.


8. तंबाकू, शराब से दूर रहकर कैंसर का खतरा 30% तक कम किया जा सकता हैं


9. दुनिया की सबसे Strong beer में 67.5% Alcohol होती हैं.


10. Amsterdam में गलियां साफ करने वाले लोगो को हर दिन सैलरी के तौर पर 5 बीयर, 10 यूरो और थोड़ा तंबाकू दिया जाता हैं.


11. मध्य युग में Beer पानी से ज्यादा प्रयोग की जाती थी.


12. प्रोफेशनल शूटिंग करने से पहले थोड़ी शराब पी लेने से आपका निशाना ज्यादा सटीक लगता हैं.


13. 19वीं सदी में हजारों अमेरिकी स्कूलों में ये सिखाया जाता था कि Alcohol को एक बार चखने से आप अंधे या पागल हो सकते हैं.


14. आज तक किसी के खून में 91% Alcohol दर्ज की गई हैं जो वैध ड्रिंक से 11 गुणा ज्यादा हैं.


15. जब शराब Straight-sided ग्लास में डाली जाती हैं तो लोग धीरे-धीरे पीते हैं लेकिन जब Curved-sided ग्लास में डाली जाती हैं तो लोग जल्दी-जल्दी पीते हैं.


16. 31% Rock stars की मौत Drugs या Alcohol की वजह से हुई हैं.


17. सभी देशो के Top 100 गानों में से 20 Alcohol के हैं.


18. Alexander the great ने एक बार अपने सैनिकों के बीच पीने की प्रतियोगिता करवाई थी. जब तक यह खत्म हुई तब तक 42 लोग Alcohol की वजह से मारे जा चुके थे.


19. खाली पेट दारू पीने से 3 गुना ज्यादा नशा होता हैं.


20. भोजन के साथ Alcohol पीने से नशा देर से होता हैं.


21. शराब का नशा आदमी और औरत पर अलग-अलग होता हैं.


22. कुछ लोग सोचते हैं कि Alcohol पीने से शरीर का तापमान बढ़ता हैं लेकिन असल में ये घटता हैं.


23. अधिक सब्जियों और फलों में थोड़ा बहुत नशा होता हैं.


24. शैंपेन की बोतल का प्रेशर 90 पाउंड प्रति वर्ग इंच होता हैं यह गाड़ियों के टायर के प्रेशर से 3 गुना अधिक होता हैं.


25. शैंपेन की एक बोतल में लगभग 5 करोड़ बुलबुले होते हैं.


26. एक बोतल Wine बनाने के लिए 600 अंगूर चाहिए.


27. अमेरिका का राष्ट्रगान एक Alcohol के गानें की tune पर लिखा गया हैं.


28. Original Thermometers में mercury नही Brandy (ब्रांडी) भरी होती हैं.


29. शराब की वजह से हर 10 second में एक आदमी की मौत होती हैं.


30. आदमी को जीने के लिए 13 minerals की जरूरत होती हैं ये सभी शराब में मिलते हैं.


31. गर्भावस्था में शराब पीने से बच्चे को 428 तरह के रोग हो सकते हैं.


👉32. नशे में क्यों बहकते हैं लोग ?


कुछ लोगों का ब्रेन बहुत जल्द ही किसी वस्तु के प्रभाव में आ जाता है। एल्कोहल मस्तिष्क में एक रासायनिक स्विच की तरह व्यवहार करता है, जो हमारी स्मरणशक्ति को इनकोड करता है जिसके संपर्क में आते ही इंसान अपनी बातों को रिकॉल करता है और उसकी जुबान पर वो सबकुछ आ जाता है जो शायद अपने दिल में छुपा कर रखता हैं.

महिलाओं से जुड़ी कुछ रोचक बातें/ Facts about Women in hindi/ Amazing facts about women

 



आज हम आपको महिलाओं से जुड़ी कुछ रोचक बातें बताते हैं जिनको जानकर आपकी आँखें फटी रह जाएँगी क्योंकि ये सब तथ्य आपके लिए बिल्कुल नए हैं 


महिलायें भगवान् द्वारा बनाई सबसे अदभुत शक्ति हैं। किसी भी देश की महानता और संस्कृति में महिलाओं का विशेष स्थान होता है और हमारे तो वेदों में भी महिलाओं को विशिष्ट दर्जा प्राप्त है...


1. महिलाएं एक दिन में 20,000 शब्द बोलती हैं जबकि पुरुष केवल 13000 शब्द ही बोलते हैं।


2. दुनिया की टॉप 20 अमीर महिलायें अपने पति या पिता की संपत्ति की उत्तराधिकारी होकर अमीर हुई हैं।


3. रूस में 90 लाख महिलाएं पुरुषों से ज्यादा हैं।


4. “मैं क्या पहनूँ” यही सोचने में महिलाएं अपने जीवन का एक साल बिता देती हैं।


5. औरतें एक साल में 30 से 64 बार रोती हैं

6. पुरुष महिलाओं से दुगना झूठ बोलते हैं।


7. भारत की सबसे कम उम्र की तलाकशुदा महिला की उम्र मात्र 10 साल है।


8. हार्ट अटैक में महिलाओं को कंधे में दर्द होता है जबकि पुरुषों को सीने में।


9. महिलाओं का दिल पुरुषों से तेज धड़कता है।


10. दुनिया की पहली कम्प्यूटर प्रोग्रामर एक महिला थी।


11. लंबी महिलाओं में कैंसर के चांस ज्यादा होते हैं।


12. सबसे ज्यादा बच्चे पैदा करने वाली महिला के 69 बच्चे थे।


13. महिलाएं एक मिनट में 19 बार पलकें झपकाती हैं जबकि पुरुष केवल 11 बार।


14. 80% महिलायें गलत नंबर की ब्रा पहनती हैं।


15. पुरुषों के मुकाबले महिलायें बुरे सपने ज्यादा देखती हैं।


16. ब्रेकअप के बाद पुरुषों को ज्यादा दर्द होता है।


17. औरतें जूते चप्पल बहुत खरीदती हैं लेकिन उनमें से केवल 40% चप्पल ही वो पहनती हैं।

लोकनायक बिरसा मुंडा जीवनी/ Birsa Munda Ki Jivani in hindi/ Biography of Birsa Munda in hindi


 

                                                            "लोकनायक बिरसा मुंडा जीवनी...

 

                   


☞"बिरसा मुंडा  एक आदिवासी नेता और लोकनायक थे। ये मुंडा जाति से सम्बन्धित थे। वर्तमान भारत में रांची और सिंहभूमि के आदिवासी बिरसा मुंडा को अब 'बिरसा भगवान' कहकर याद करते हैं। मुंडा आदिवासियों को अंग्रेज़ों के दमन के विरुद्ध खड़ा करके बिरसा मुंडा ने यह सम्मान अर्जित किया था। 19वीं सदी में बिरसा भारतीय स्वतंत्रता आंदोलन के इतिहास में एक मुख्य कड़ी साबित हुए थे।


☞"बिरसा मुंडा का जन्म 15 नवम्बर 1875 को रांची जिले के उलिहतु गाँव में हुआ था !! मुंडा रीती रिवाज के अनुसार उनका नाम बृहस्पतिवार के हिसाब से बिरसा रखा गया था | बिरसा के पिता का नाम सुगना मुंडा और माता का नाम करमी हटू था | उनका परिवार रोजगार की तलाश में उनके जन्म के बाद उलिहतु से कुरुमब्दा आकर बस गया जहा वो खेतो में काम करके अपना जीवन चलाते थे | उसके बाद फिर काम की तलाश में उनका परिवार बम्बा चला गया 


☞"Birsa Munda बिरसा का परिवार वैसे तो घुमक्कड़ जीवन व्यतीत करता था लेकिन उनका अधिकांश बचपन चल्कड़ में बीता था | बिरसा बचपन से अपने दोस्तों के साथ रेत में खेलते रहते थे और थोडा बड़ा होने पर उन्हें जंगल में भेड़ चराने जाना पड़ता था | जंगल में भेड़ चराते वक़्त समय व्यतीत करने के लिए बाँसुरी बजाया करते थे और कुछ दिनों बाँसुरी बजाने में उस्ताद हो गये थे | उन्होंने कद्दू से एक एक तार वाला वादक यंत्र तुइला बनाया था जिसे भी वो बजाया करते थे | उनके जीवन के कुछ रोमांचक पल अखारा गाँव में बीते थे 


☞"गरीबी के इस दौर में Birsa Munda बिरसा को उनके मामा के गाँव अयुभातु  भेज दिया गया | अयुभातु में बिरसा दो साल तक रहे और वहा के स्कूल में पढने गये थे | बिरसा पढाई में बहुत होशियार थे इसलिए स्कूल चलाने वाले जयपाल नाग ने उन्हें जर्मन मिशन स्कूल में दाखिला लेने को कहा | अब उस समय क्रिस्चियन स्कूल में प्रवेश लेने के लिए इसाई धर्म अपनाना जरुरी हुआ करता था तो बिरसा ने धर्म परिवर्तन कर अपना नाम बिरसा डेविड रख दिया जो बाद में बिरसा दाउद हो गया था |


🔴"लोगों का विश्वास...✍️


☞"इसके बाद बिरसा के जीवन में एक नया मोड़ आया। उनका स्वामी आनन्द पाण्डे से सम्पर्क हो गया और उन्हें हिन्दू धर्म तथा महाभारत के पात्रों का परिचय मिला। यह कहा जाता है कि 1895 में कुछ ऐसी आलौकिक घटनाएँ घटीं, जिनके कारण लोग बिरसा को भगवान का अवतार मानने लगे। लोगों में यह विश्वास दृढ़ हो गया कि बिरसा के स्पर्श मात्र से ही रोग दूर हो जाते हैं।


🔴"प्रभाव में वृद्धि....✍️


☞"जन-सामान्य का बिरसा में काफ़ी दृढ़ विश्वास हो चुका था, इससे बिरसा को अपने प्रभाव में वृद्धि करने में मदद मिली। लोग उनकी बातें सुनने के लिए बड़ी संख्या में एकत्र होने लगे। बिरसा ने पुराने अंधविश्वासों का खंडन किया। लोगों को हिंसा और मादक पदार्थों से दूर रहने की सलाह दी। उनकी बातों का प्रभाव यह पड़ा कि ईसाई धर्म स्वीकार करने वालों की संख्या तेजी से घटने लगी और जो मुंडा ईसाई बन गये थे, वे फिर से अपने पुराने धर्म में लौटने लगे।


🔴"मुंडा विद्रोह का नेतृत्‍व...✍️


☞"1 अक्टूबर 1894 को नौजवान नेता के रूप में सभी मुंडाओं को एकत्र कर इन्होंने अंग्रेजो से लगान माफी के लिये आन्दोलन किया। 1895 में उन्हें गिरफ़्तार कर लिया गया और हजारीबाग केन्द्रीय कारागार में दो साल के कारावास की सजा दी गयी। लेकिन बिरसा और उसके शिष्यों ने क्षेत्र की अकाल पीड़ित जनता की सहायता करने की ठान रखी थी और अपने जीवन काल में ही एक महापुरुष का दर्जा पाया। उन्हें उस इलाके के लोग "धरती बाबा" के नाम से पुकारा और पूजा जाता था। उनके प्रभाव की वृद्धि के बाद पूरे इलाके के मुंडाओं में संगठित होने की चेतना जागी।


🔴"विद्रोह में भागीदारी और अन्त...✍️


☞"1897 से 1900 के बीच मुंडाओं और अंग्रेज सिपाहियों के बीच युद्ध होते रहे और बिरसा और उसके चाहने वाले लोगों ने अंग्रेजों की नाक में दम कर रखा था। अगस्त 1897 में बिरसा और उसके चार सौ सिपाहियों ने तीर कमानों से लैस होकर खूँटी थाने पर धावा बोला। 1898 में तांगा नदी के किनारे मुंडाओं की भिड़ंत अंग्रेज सेनाओं से हुई जिसमें पहले तो अंग्रेजी सेना हार गयी लेकिन बाद में इसके बदले उस इलाके के बहुत से आदिवासी नेताओं की गिरफ़्तारियाँ हुईं।


☞"जनवरी 1900 डोमबाड़ी पहाड़ी पर एक और संघर्ष हुआ था जिसमें बहुत से औरतें और बच्चे मारे गये थे। उस जगह बिरसा अपनी जनसभा को सम्बोधित कर रहे थे। बाद में बिरसा के कुछ शिष्यों की गिरफ़्तारियाँ भी हुईं। अन्त में स्वयं बिरसा भी 3 फरवरी 1900 को चक्रधरपुर में गिरफ़्तार कर लिये गये।

☞"बिरसा ने अपनी अन्तिम साँसें 9 जून 1900 को राँची कारागार में लीं। आज भी बिहार, उड़ीसा, झारखंड, छत्तीसगढ और पश्चिम बंगाल के आदिवासी इलाकों में बिरसा मुण्डा को भगवान की तरह पूजा जाता है।


🔴"द मेकिंग ऑफ अ पैगम्बर...✍️


☞"बिरसा का दावा है कि ईश्वर का दूत और एक नए धर्म के संस्थापक ने मिशन के प्रति असंतुष्ट प्रतीत किया है। उनके संप्रदाय में भी ईसाई धर्म से प्रेरित थे, ज्यादातर सरदार उनकी सरल व्यवस्था की व्यवस्था को चर्च के खिलाफ निर्देशित किया गया था, जिसने कर लगाया था। और एक भगवान की अवधारणा ने अपने लोगों से अपील की, जिन्होंने अपने धर्म और आर्थिक धर्म के मरहम लगाने वाले, एक चमत्कार-कार्यकर्ता और एक प्रचारक को तथ्यों के सभी अनुपात से फैल दिया। मुदास, ओरेन्स और खरिया, नए भविष्यद्वक्ता को देखने के लिए चालाक के पास आये और उनकी बीमारियों से ठीक हो जाए। पारामौ में बारवरी और चचेरी तक ओरोन और मुंडा आबादी दोनों ही बिरसाइटी बन गए। 


☞"समकालीन और बाद में लोक गीत अपने लोगों पर बिरसा के जबरदस्त प्रभाव, उनके आगमन और उनके आगमन पर उम्मीदों को स्मरण करते हैं। धरती अबा का नाम हर किसी के होंठ पर था सदानी में एक लोक गीत ने दिखाया कि जाति हिंदुओं और मुस्लिमों की तर्ज पर पहला प्रभाव कटौती भी धर्म के नए सूर्य की ओर आते थे।


☞"बिरसा मुंडा ने आदिवासी लोगों को अपने मूल पारंपरिक आदिवासी धार्मिक व्यवस्था का पीछा करने के लिए सलाह देना शुरू कर दिया। उनकी शिक्षाओं से प्रभावित, वह आदिवासी लोगों के लिए एक भविष्यवक्ता बन गया और उन्होंने उनके आशीर्वाद मांगे

☞"बिरसा ने अपनी अन्तिम साँसें 9 जून 1900 को राँची कारागार में लीं। आज भी बिहार, उड़ीसा, झारखंड, छत्तीसगढ और पश्चिम बंगाल के आदिवासी इलाकों में बिरसा मुण्डा को भगवान की तरह पूजा जाता है।


🔴"द मेकिंग ऑफ अ पैगम्बर...✍️


☞"बिरसा का दावा है कि ईश्वर का दूत और एक नए धर्म के संस्थापक ने मिशन के प्रति असंतुष्ट प्रतीत किया है। उनके संप्रदाय में भी ईसाई धर्म से प्रेरित थे, ज्यादातर सरदार उनकी सरल व्यवस्था की व्यवस्था को चर्च के खिलाफ निर्देशित किया गया था, जिसने कर लगाया था। और एक भगवान की अवधारणा ने अपने लोगों से अपील की, जिन्होंने अपने धर्म और आर्थिक धर्म के मरहम लगाने वाले, एक चमत्कार-कार्यकर्ता और एक प्रचारक को तथ्यों के सभी अनुपात से फैल दिया। मुदास, ओरेन्स और खरिया, नए भविष्यद्वक्ता को देखने के लिए चालाक के पास आये और उनकी बीमारियों से ठीक हो जाए। पारामौ में बारवरी और चचेरी तक ओरोन और मुंडा आबादी दोनों ही बिरसाइटी बन गए। 


☞"समकालीन और बाद में लोक गीत अपने लोगों पर बिरसा के जबरदस्त प्रभाव, उनके आगमन और उनके आगमन पर उम्मीदों को स्मरण करते हैं। धरती अबा का नाम हर किसी के होंठ पर था सदानी में एक लोक गीत ने दिखाया कि जाति हिंदुओं और मुस्लिमों की तर्ज पर पहला प्रभाव कटौती भी धर्म के नए सूर्य की ओर आते थे।


☞"बिरसा मुंडा ने आदिवासी लोगों को अपने मूल पारंपरिक आदिवासी धार्मिक व्यवस्था का पीछा करने के लिए सलाह देना शुरू कर दिया। उनकी शिक्षाओं से प्रभावित, वह आदिवासी लोगों के लिए एक भविष्यवक्ता बन गया और उन्होंने उनके आशीर्वाद मांगे

शुक्रवार, 14 जनवरी 2022

सपने क्या होते हैं ?/ Facts about dreams/ What is Dreams?/ About Dreams In Hindi/ Sapne kya hote hai?

                                         





                                              "सपनों के 32 हैरान कर देने वाले तथ्य"


                ✍️✍️


सपने क्या होते हैं ? यह हर कोई जानता है। पर अब सपनों के बारे में इन रोचक तथ्यों को पढ़ने के बाद आपको लगेगा कि आपका सपनो के बारे में ज्ञान बहुत कम था। 


                👇👇


1. जब कोई व्यक्ति खराटे मार रहा हो तो वो उस समय सपने नही देख सकता।




2. अगर कोई इंसान आप को कहता है कि उसे सपने नही आते ते इसका मतलब वह अपने सपने भूल चुका है।


 

3. एक औसतन मनुष्य रात में 4 सपने और एक साल में 1,460 सपने देखता है।



4. आप को कभी भी यह याद नहीं रहेगा कि आपका सपना कहां से शुरू हुआ था।



5. आप जागने के बाद अपने आधे सपने और दस मिनट बाद 90% सपनें भूल जाते हैं।



6. अंधे लोगो को भी सपने आते हैं। जो लोग जन्म के बाद अंधे बनते है उन्हें अपने सपनो में तस्वीरे दिखाई देती है। मगर जो जन्म से ही अंधे होते है उन्हें कोई तस्वीर नही दिखती और उनके सपनों में चीजों की आवाजे, smells, छूना और भावनाएँ ही आती हैं।



7. सपनों में हम सिर्फ चेहरे देखते है, जो हम पहले से ही जानते होते हैं। हमारा दिमाग अपने आप चेहरे नही बनाता। सपनें में हमे सिर्फ वही चेहरे दिखते हैं जो हमने अपनी जिन्दगी जा T.V. पर देखे होते हैं।



8. हर किसी के सपने रंगदार नही होते। सारे मनुष्य रंगदार सपने नही देखते हैं।



9. ज्यादातर सपने चिंता और फिक्र वाले होते है। सपनो में Negative emotions, Positive से ज्यादा होते हैं।



10. जानवर भी सपनें देखते हैं। अध्ययनों के बाद पता चला है कि जानवर भी सोते समय मनुष्यों की तरह ही दिमागी तरंगे छोड़ते है। कभी आप एक कुत्ते को सोते देखें। वह अपने पैर इस तरह से हिला रहा होगा जैसे किसी का पीछा कर रहा हो।



11. आदमी और औरतों के सपने अलग-अलग होते हैं। लगभग 70% आदमीयों के सपनें अन्य आदमीयों के बारे में ही होते है जब कि औरतो के सपने आदमी और औरतो दोनो के बारे में होते हैं।



12. फेड्रिक ओगस्ट ने बेनजेन (C6H6) जैसा जटिल रसायनिक फार्मूला तैयार किया वह भी सपने के आभारी है। उन्होंने अपने सपने में कुछ साँप देखे थे जो अपनी पूंछ खा रहे थे। @Amazing_Rochak_Tathya



13. अमरीका के 16वे राष्ट्रपति अब्राहम लिंकन ने अपनी मौत से कुछ समय पहले अपनी पत्नी से कहा था, “मैने अपने सपने में कुछ लोगों को रोते देखा था”।



14. हम सोते समय 90 मिनट में एक सपना जरूर देखते हैं और हमारा सबसे लंबा सपना सुबह आता है जो कि 30 से 45 मिनट तक का होता है।



15. अगर सपने में किसी को गंदा पानी दिखता है तो उसका मतलब यह है कि सपना देखने वाला सेहतमंद नही है।



16. हमारे प्राचीन वेदों में लिखा है कि यह संसार असल में एक सपना ही है और असलीयत कुछ और ही है।




17. सपने हमें लक्वाग्रस्त बनाते हैं। इस पग को बताने से पहले हम आप को बता देना चाहते है कि हमारी नींद के 4 चरण होते है उन में से एक चरण है रेपिड आई मुवमेंट जा REM (Rapid eye movement)। इस अवस्था के दौरान हमारी आँखो की पुतलियाँ तेजी से हिलती हैं। इस अवस्था के दौरान हम सपने देख रहे होते हैं। सपनों की अवस्था तब आती है जब हम नींद के REM चरण में पहुँच जाते हैं। इस अवस्था के दैरान हम स्लीप पेरैलाइज का अनुभव करते हैं यानी कि इस दौरान हमारा शरीर लगभग लकवाग्रस्त सा हो जाता है। हम जागृत अवस्था में होते हैं परंतु हिलडुल नही पाते। इस अवस्था के दौरान हम सपने देखते है। हमें हमारे आसपास का वातावरण जागृत अवस्था में दिखाई देता है। इस समय हमारा दिमाग काफी सक्रीय हो जाता है। कई लोग इस अवस्था के दौरान अचानक जाग जाते हैं परंतु फिर भी हिल-डुल नही पाते। यह अवस्था 5 मिनट तक चल सकती है जब तक कि दिमाग के वे हिस्से फिर से सक्रीय न हो जाए जो शरीर के हलन-चलन के लिए आवश्यक हैं। कई लोग जिन्होंने खुद को परग्रहवासियों के अधीन हो जाने की बात कही थी, वह वास्तव में इसी अवस्था से गुजरे थे।



18. सपनें हमें सिखाते हैं। सपने जाने अनजाने हमारे बौद्धिक विकास में महत्वपूर्ण भाग निभाते हैं। REM अवस्था के दैरान हमारे दिमाग के वे हिस्से काफी सक्रीय हो जाते है जिनसे हम पढ़ना सीखते हैं, यही वजह है कि बच्चे अधिक समय तक इस अवस्था मे गुजरते हैं। सपनों के दौरान हम कई नई बातें सीखते हैं परन्तु जागने के बाद हमें इसका अहसास नही रहता। दिन में हम जो सीखते हैं, सपनों के दौरान हम उन कलाओं में पारंगत बन जाते हैं।



19. लगभग 5 से 10 प्रतीशत लोग महीने में एकाध बार भयानक और डरावने सपने देखते है। इस तरह के सपनों में कोई हमारे पीछे भागता है। 3 से 8 साल को बच्चों को इस तरह के सपने अधिक आते हैं।


20. इलियास होवे ने सिलाई मशीन की खोज की थी। उन्होंने अपने सपनें में खुद को आदिवासियों की कैद में देखा था जो उन्हें जलाने वाले थे। इस दौरान वे आदिवासी अपने हथियारों को अजीब तरह से सिल रहे थे। परन्तु इससे एलियास को सिलाई मशीन की तकनीक समझ में आ गई।



21. जेम्स वाटसन जिन्होंने अपने मित्र फ्रांसिस क्रिक के साथ मिलकर D.N.A की खोज की थी का कहना था कि, “मैंने अपने सपने में ढेर सारी स्पायर सीढ़ियॉ देखी थी।”



22. जिसका IQ जितना ज्यादा होता है, उसे उतने ही ज्यादा सपने आते हैं।



23. छोटे बच्चों को पहले 3-4 साल तक सपने नहीं आते।



24. सपनों के ऊपर सबसे पहली किताब मिसर में लिखी गई थी और यह लगभग 6 हज़ार साल पहले लिखी गई थी।



25. कई लोग सोचते हैं कि दिनभर का करने के बाद दिमाग थक जाता है लेकिन लेकिन ऐसा नहीं है। दिमाग सोते समय, जगे हुए की तुलना में और ज्यादा तेजी से काम करता हैं।



26. जो लोग सपने नहीं देखते, उन्हें “Personality Disorders” नामक बीमारी होती हैं। इस बिमारी को हिंदी में “विभाज्‍य व्‍यक्तित्‍व” कहा जाता है।



27. कई लोगों का मानना है कि सुबह के सपने सच होते हैं लेकिन ऐसा बहुत कम होता है कि जो सपने में देखा है वही भविष्य में घटित हो गया हो।



28. कई लोगों को नींद में चलने की बिमारी होती है। असल में ये एक मनोवैज्ञानिक बिमारी है। सही समय पर ठीक से नींद लेकर इस बिमारी की संभावना को खत्म किया जा सकता है।



29. जब हम कोई सपना देखते हैं वह हमें उससे नहीं पता होता है कि हम जो देख रहे हैं वह एक सपना है तो उस चीज को “Lucid Dream” बोलते हैं. इस दुनिया में कुछ ऐसे लोग भी हैं जो Lucid Dream को कंट्रोल कर सकते हैं, जैसे अपनी मर्जी से सपने में उड़ना या time travel करना। Frederik van Eeden (फ्रेडरिक वैन ईडेन) ने पहली बार ‘lucid’ शब्द का अर्थ ‘मानसिक स्पष्टता’ के रूप में इस्तेमाल किया था।



31. सपनों में कुछ भी पढ़-लिख नहीं सकते, यहां तक कि सपने में दिख रही घड़ी में समय देखना भी बेहद मुश्किल होता है।



32. हम अपनी जिंदगी के 6 साल सपने देखने में बिता देते हैं।


शिष्टाचार क्या हैं?/ What is Good Manners/ About Good Manners/ Good Manners in Hindi

   



                  शिष्टाचार में ऐसी शक्ति है कि मनुष्य किसी को बिना कुछ दिए-लिए अपने और परायों का श्रद्धाभाजन और आदर का पात्र बन जाता।सहृदयता एक ऐसा गुण है, जिससे एक साधारण श्रेणी का व्यक्ति भी अनेक लोगों का प्यारा मित्र, घनिष्ठ सखा बन जाता है।


कुछ साधारण शिष्टाचार क्या हैं?


शिष्टाचार में ऐसी शक्ति है कि मनुष्य किसी को बिना कुछ दिए-लिए अपने और परायों का श्रद्धाभाजन और आदर का पात्र बन जाता।सहृदयता एक ऐसा गुण है, जिससे एक साधारण श्रेणी का व्यक्ति भी अनेक लोगों का प्यारा मित्र, घनिष्ठ सखा बन जाता है।



''अंग्रेजी में एक कहावत है- मैनर मेक्स ए मैन ।''


 अर्थात मनुष्य का परिचय उसके शिष्टाचार, बैठने, उठने, बोलने, खाने, पीने, के ढंग से मिलता है । खेद का विषय है कि आजकल शिष्टाचार की भावना घटती जाती है और खासकर अनेक नवयुवकों में ऐसा है।


दस वर्ष की उम्र से पहले बच्चों को शिष्टाचार के 20 नियम सीखने चाहिये। शिष्टाचार पारिवारिक शिक्षा होती है, जो बच्चे की जिन्दगी पर प्रभाव डालता है। इसमें यह साबित होता है कि बच्चों की पारिवारिक शिक्षा सफल है या नहीं।



✅️ अब देखिये ये 20 नियम क्या हैं?



1.दूसरों से सवाल पूछने से पहले कृपया बोलो।


2.अन्य लोगों से कुछ पाने के बाद धन्यवाद कहो।


3.आपात स्थिति को छोड़कर बड़े लोगों को बात करते समय न टोको।


4.अगर सचमुच किसी व्यक्ति से बात करनी पड़े, तो सबसे पहले माफ़ कीजिये बोलो।


5.अगर एक काम करने का फैसला बहुत मुश्किल से किया जाता है, तो इसे करने से पहले मां-बाप की राय व अनुमति लेनी चाहिये।


6.दूसरे लोग तुम्हारी नफ़रत पर चिंता नहीं करते। इसलिये तुम आलोचना की बातें केवल दोस्त से कह सकते हो। सभी लोगों को बताने की ज़रूरत नहीं है।


7.अन्य लोगों की ऑवरक्रिटिकल मत करो, पर उनकी प्रशंसा कर सकते हो।


8.जब दूसरे लोग तुम्हें नमस्ते कहते हैं, तो शिष्टाचार के साथ उनका जवाब दो, फिर उन्हें नमस्ते कहो।


9.एक मेहमान के रुप में तुम्हें मेज़बान को धन्यवाद देना चाहिये।


10.किसी कमरे में अंदर जाने से पहले दरवाज़ा खटखटाना चाहिए।


11.फ़ोन करते समय सबसे पहले अपने बारे में बताओ, फिर किस से बातचीत करने को कहो।


12.उपहार लेने के बाद धन्यवाद कहना चाहिये।


13.बड़े लोगों के सामने गालियां मत दो।


14.दूसरे लोगों से बुरी बातें मत करो।


15.किसी स्थिति में अन्य लोगों का उपहास मत करो।


16.कार्यक्रम देखते समय शांत रहो, शायद तुम्हारे लिये यह कार्यक्रम बोरिंग हो, लेकिन मंच पर अभिनेता व अभिनेत्री सचमुच कोशिश कर रहे हैं।


17.किसी को टक्कर मारते ही, माफ़ी मांगनी चाहिये।


18.खांसी करते या छींक मारते समय अपना मुंह कवर करो।


19.दरवाज़ा से गुजरते समय थोड़ा इंतजार करो और पीछे के लोगों के लिये द्वार खोलो।


20. जब मां-बाप, अध्यापक या पड़ोसी को काम में व्यस्त होते हुए देखें , तो पूछो कि क्या तुम्हें मदद चाहिए, क्योंकि मदद देते समय तुम भी कुछ सीख सकोगे।

21.घर पर आए अथिति को समय और सम्मान दे क्योंकि अगर कोई आपके घर आया है तो उसकी एक बजह उसका आपके प्रति प्रेम होगा या फिर उसकी जरूरत।


22.रिश्तों की मर्यादा को हमेशा याद रखें और हर रिश्ते के प्रति अपने कर्तव्य को भलीभांति समझे।


23.अपनी बात कहने के साथ-साथ दूसरों की बात सुनने को अधिक प्राथमिकता दे।


24.किसी भी मुद्दे पर अगर विरोध हो तो सामने वाले को गलत साबित करने के लिए गलत शब्दो को उपयोग न करें।


25.अहंकार और आत्मसम्मान के बड़े अंतर को समझकर ही व्यवहार करें।


26.बच्चे और बुजुर्गों की जरूरतों को बराबर प्राथमिकता दे।


27.किसी की मदद के लिए मना करने से पहले सोचे कि सामने वाला किस स्थिति में है ।


28.अपने धन और पद का बखान स्वयं न करें।


                                        🔺'यह कुछ महत्वपूर्ण बातें याद रखें' 🔺



1.लगातार दो बार से अधिक किसी को कॉल न करें। यदि वे आपकी कॉल नहीं उठाते हैं, तो मान लें कि उनके पास आपस बात करने से ज्यादा कुछ महत्वपूर्ण है जिससे निपटने पर वे स्वयं कॉल करेंगे।


2.वह धन, उस व्यक्ति को उनके मांगने से पहले लौटाएँ जो आपने उनसे उधार में लिया था। यह आपकी ईमानदारी और चरित्र को दर्शाता है। यही छाते, पेन या और किसी चीज के लिए भी लागु होता है;


3.कभी भी मेनू पर महंगे पकवान का ऑर्डर न करें जब कोई आपको लंच / डिनर पर आमंत्रित कर रहा हो। यदि संभव हो तो उन्हें आपके लिए भोजन उनकी अपनी पसंद का ऑर्डर करने के लिए कहें;


4.ओह, तो आपने अभी तक शादी नहीं की है? ’या क्या आपके बच्चे नहीं हैं’ जैसे अजीबोगरीब सवाल नहीं पूछते हैं? या आपने घर क्यों नहीं खरीदा? या आप कार क्यों नहीं खरीदते? ? भगवान के लिए यह आपकी समस्या नहीं है;


5.अपने पीछे आने वाले व्यक्ति के लिए हमेशा दरवाजा खोलें। इससे कोई फर्क नहीं पड़ता कि वह लड़का है या लड़की, सीनियर है या जूनियर है। आप छोटे नहीं बन जाते अगर आप सार्वजनिक रूप से किसी के साथ अच्छा व्यवहार करते है;


6.यदि आप किसी दोस्त के साथ टैक्सी लेते हैं और वह अभी भुगतान करता है, तो अगली बार भुगतान करने का प्रयास करें;


7.विभिन्न प्रकार के विचारों का सम्मान करें। याद रखें कि आपके लिए 6 क्या है जो आपके सामने आने वाले 9 लोगों को दिखाई देगा। इसके अलावा, दूसरा विकल्प एक विकल्प के लिए अच्छा है;


8.लोगों से बात करने में कभी बाधा न डालें। उन्हें भी बाधा डालने की अनुमति न दें। जैसा कि वे कहते हैं, उन सभी को सुनें और उन सभी को फ़िल्टर करें;


9.यदि आप किसी को चिढ़ाते हैं, और वे इसका आनंद नहीं लेते हैं, तो इसे रोकें और फिर कभी ऐसा न करें। यह किसी को और अधिक अच्छा करने के लिए प्रोत्साहित करता है और यह दर्शाता है कि आप उनकी कितनी सराहना करते हैं;


10.जब कोई आपकी मदद कर रहा हो तो "धन्यवाद" कहें।


11."प्रशंसा" सार्वजनिक रूप से करें और "आलोचना" निजी तौर पर करें;


12.किसी के वजन पर टिप्पणी करने का लगभग कभी कोई कारण नहीं है। बस, "आप शानदार दिखते हैं।" यदि वे वजन कम करने के बारे में बात करना चाहते हैं, तभी वे करेंगे;


13.जब कोई आपको अपने फोन पर एक फोटो दिखाता है, तो बाएं या दाएं स्वाइप न करें। आपको कभी नहीं पता कि आगे क्या है;


14.यदि कोई सहकर्मी आपको बताता है कि उनके पास डॉक्टरों की नियुक्ति है, तो यह न पूछें कि ये क्यों है, या क्या हुआ है? बस ये कहें कि "मुझे आशा है कि आप ठीक हैं"। अपनी व्यक्तिगत बीमारी बताने के लिए बाध्य कर उन्हें असहज स्थिति में न डालें। यदि वे आपको बताना चाहेंगे, तो वे आपके पूछने के बिना ही बताएँगे;


15.सीईओ के समान ही क्लीनर के साथ व्यवहार करें। कोई भी इस बात से प्रभावित नहीं होता है कि आप अपने से नीचे के लोगों के साथ कितना बुरा व्यवहार कर सकते हैं लेकिन अगर आप उन्हें सम्मान के साथ मानते हैं तो लोग नोटिस करेंगे;


16.यदि कोई व्यक्ति आपसे बात कर रहा है, तो आपके द्वारा उसके फोन को घूरना अशिष्टता है;


17.जब तक आप कोई आपसे नहीं पूछे, तब तक कभी भी सलाह न दें;


18.जब किसी से नए व्यक्ति से मिलें, जब तक वे स्वयं इसके बारे में बात नहीं करना चाहते, तब तक उनसे उनकी उम्र और वेतन न पूछें;


19.आप सिर्फ अपने काम से मतलब रखे और बेकार या दूसरों के मामले में न पड़े, तब तक, जब तक कोई आपसे ऐसा करने के लिए न कहे;


20.यदि आप किसी से सड़क पर बात कर रहे हैं तो अपने धूप के चश्मे को हटा दें। यह सम्मान की निशानी है। नेत्र संपर्क आपकी बातों जितना ही महत्वपूर्ण है;


21.गरीबों के बीच में कभी अपने धनी होने की बात न करें…।


बुधवार, 12 जनवरी 2022

प्रेरणादायक विचार/ज़िंदगी बदलने वाले विचार/अच्छे विचार/सुविचार/अनमोल वचन/Motivational Thoughts/ Daily Motivation/Good Thoughts

 


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जब तालाब भरता है तो मछलियां चिटियां को खाती है और जब तालाब खाली होता है तो चिटियां मछलियों को खाती है

मौका सबको मिलता है अपनी भारी का इंजतार करें..!



पहले कैरियर बना लीजिए फिर प्यार को वक्त 
दीजिए क्योंकि आज के जमाने में लोग उन्हीं के 
साथ रहना पसंद करते हैं जिनके पास एक 
अच्छा भविष्य हो...!


क्या  ही फर्क पड़ता है हम कैसे है जिस ने जैसी सोच बना ली उसके लिए वैसे है...!


अपनी तुलना कभी किसी के साथ मत करना जो तुम कर सकते हो वो दुनिया का किसी का बाप नहीं कर सकता..!





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